प्रेम विच्छेद को कैसे रोकें? - अपनाएं ये कारगर ज्योतिषीय उपाय
प्रेम विच्छेद को कैसे रोकें? - अपनाएं ये कारगर ज्योतिषीय उपाय

प्रेम विच्छेद को कैसे रोकें? - अपनाएं ये कारगर ज्योतिषीय उपाय  

आइफास
व्यूस : 3738 | मई 2022

प्रेम सम्बन्ध आज के आधुनिक युग का अहम् हिस्सा बन चूका है।  आज के युग की तकनीकी उपलब्धता, विचारों का खुलापन, आधुनिक लाइफस्टाइल, पाश्चात्य संस्कृति का बोलबाला, युवाओं व युवतियों के विद्यालों, कॉलेजों व कार्य स्थलों पर नज़दीकी सम्बन्ध आदि सभी प्रेम संबंधों को बढ़ावा देते हैं। यदि सही मायनों में यह प्रेम सम्बन्ध हो तो यह एक अत्यंत शुभ व अमूल्य रिश्ता है परन्तु यदि यह केवल मौज मस्ती व विलासिता का साधन हो तो यह आपको गर्त में धकेल सकती है।  

यदि प्रेम प्रसंग सच्चा व गहरा हो तो प्रेमी युगल शादी के बंधन में बांधने में समय नहीं लगाता पर यदि यह केवल मौज-मस्ती का तरीका हो तो कई युवाओं को प्रेम सम्बन्ध के टूट जाने की व्यथा को भी झेलना पड़ता है।  हो सकता है, आप अपने प्रेम सम्बन्ध में गंभीर न हो पर आपके प्रेमी अपने प्रेम सम्बन्ध को लेकर अत्यंत गंभीर हो या ठीक इसका उलट भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में क्या होगा ? प्रेम संबंधों का बीच में टूट जाना या ब्रेकअप हो जाना कई बार युवाओं को डिप्रेशन की स्थिति में भी भेज देती है।  व्यक्ति जीवन के प्रति उदासीन हो जाता है ओर कई बार आत्म हत्या जैसे कुकर्म भी कर बैठता है।  कई युवा शराब, ड्रग्स ओर अन्य नशों का शिकार भी होते देखे गए हैं।

क्या ज्योतिष शास्त्र प्रेम संबंधों के मामलों में कुछ मदद कर सकता है? क्या ज्योतिष युवाओं को ब्रेकअप होने के बाद प्राप्त दुष्परिणामों से बचा सकता है? क्या ज्योतिष आपको पहले से ही आपके प्रेमी के धोखे के बारे में आगाह कर सकता है?

इन सभी का जवाब निश्चित तौर पर हाँ, है !

प्रेम सम्बन्ध ओर ज्योतिष   

ज्योतिष शास्त्र आपके प्रेम संबंधों की गणना सुगमता से कर सकता है। कुंडली का पांचवां घर प्रेम संबंधों का घर है।  इस भाव की गहराई से जांच आपके प्रेम संबंधों से जुडी सभी जानकारी देती है। इस पर कैसे ग्रहों का प्रभाव है ? पांचवें भाव के स्वामी की क्या स्थिति है ? कौन से ग्रहों के साथ पांचवे भाव का स्वामी सम्बन्ध बना रहा है ? कौन से भाव के स्वामी पांचवें भाव या उसके स्वामी से सम्बंधित हैं आदि। 

ब्रेकअप के लिए, ग्रह भी जिम्मेदार होते हैं। किसी भी प्रेम सम्बन्ध का टूटना, ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है। ग्रहों के गोचर व दशा प्रभाव के कारण ही प्रेम सम्बन्ध अक्सर टूटते और जुड़ते रहते हैं। यह बिलकुल भी ज़रूरी नहीं की आपका प्रेम सम्बन्ध हो ही, कई बार आप किसी के प्रति आकर्षित महसूस करते हैं पर असल में प्रेम सम्बन्ध में नहीं होते। कुंडली का ग्यारहवां भाव इस स्थिति को दर्शाता है।

प्रेम संबंधों पर ग्रहों का दुष्प्रभाव 

सूर्य को क्रूर ग्रह माना गया है और यदि यह पांचवे या सातवें भाव पर अपनी उपस्थिति या दृष्टि से प्रभाव डाले तो व्यक्ति के प्रेम सम्बन्ध या तो बनते ही नहीं और यदि बन जाएँ तो ठहरते नहीं।  सूर्य के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम विवाह में कभी भी अपने पार्टनर को महत्व नहीं देता। और वे दोनों कभी भी एकमत नहीं हो पाते और सम्बन्ध विछेद की ओर अग्रसर हो जाते हैं। 

प्रणय संबंध या वैवाहिक जीवन में भी राहु और केतु भारी उथल-पुथल मचा सकते हैं। ये दोनों अचानक ही अपना प्रभाव दिखाते है।  ये दोनों ही पापी ग्रह हैं ओर यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो रिश्तों में भ्रम पैदा कर देते हैं। क्योकि ये दोनों छाया ग्रह है तो केवल भ्रम ही दे देते है जो अच्छे भले रिश्ते में गलतफहमियां पैदा कर देता है।  ऐसी बातों पर लड़ाइयां हो जाती है जिनका कोई मतलब ही नहीं होता। इनको भी अनायास ही विच्छेद का कारण माना गया है। कुंडली में चंद्र व शुक्र की युति या परस्पर दृष्टि सम्बन्ध भी प्रेम संबंधों में धोखा देता है।

प्रेम संबंधों में बाधा पहुंचाने वाले ग्रहों का समय से पता लगाना चहिये और उपाय करने चाहियें। शनि ग्रह को भी शांत रखना बहुत आवश्यक है। शनि अपनी अशुभता से प्रेम संबंधों में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। पांचवें भाव पर शनि के प्रभाव से वाद-विवाद और सम्बन्ध विच्छेद जैसी स्थितियां बन सकती हैं। 

ज्योतिष के अनुसार ब्रेकअप के योग

ज्योतिष शास्त्र, कुंडली में निहित प्रेम संबंधों के योगों का अत्यंत गहनता से अध्ययन करता है। जैसा की बताया गया है की कुंडली का  पांचवां भाव प्रेम संबंधों को दर्शाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में पांचवां भाव, अशुभ या पापी ग्रहों से पीड़ित है तो उसे प्रेम संबंधों में मुश्किल आती है।  प्रेम सम्बन्ध अचानक से कष्टदायी हो जाते है। मानसिक शांति भांग हो जाती है ओर मस्तिष्क किसी कार्य में नहीं लगता है। अशुभ ग्रहों का प्रभाव मन में अनेक भ्रम व गलतफहमियां पैदा कर देता है।  कभी कभी भ्रम इतना फैल जाता है कि लव रिलेशन टूटने की नौबत आ जाती है।  

ज्योतिष में मुख्यतः ब्रेकअप के लिए सूर्य, मंगल और शनि ग्रह को दोषी बताया गया है। ये सभी अशुभ ग्रह है और प्रेम संबंधों के हित में नहीं होते। यदि इनमे से कोई भी ग्रह बली होकर, पांचवें भाव पर अपना प्रभाव डालता है तो प्रेम विच्छेद होने का योग बनता है। पांचवें के साथ साथ सांतवां घर भी अन्य लोगों से हमारे संबंधों को दर्शाता है।  यदि सांतवां घर भी पीड़ित हो तो व्यक्ति के बाहरी दुनिया से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते।

मंगल ग्रह यदि पाप प्रभाव में हो या निर्बल हो तो यह प्रेम संबंधों में शुभ परिणाम नहीं लाता। मंगल एक क्रोधी प्रवृत्ति का ग्रह है और खराब मंगल क्रोध, अहंकार व कषायों की वृद्धि करता है। ऐसे व्यक्ति किसी की नहीं सुनते और केवल अपनी मनमानी करते हैं। इन्हें अपने प्रेमी के भावों व ख़ुशी का ख्याल नहीं रहता। ये बस अपने तक ही सीमित होते हैं और अपने बारे में ही सोचते हैं।  इसी कारण ऐसे लोगों का प्यार का रिश्ता ब्रेकअप की तरफ बढ़ जाता है। 

शनि भी अवसाद उत्पन्न करता है और इसकी दृष्टि भी व्यक्ति को उदासीन व चिड़चिड़े स्वभाव का बनाता है। ऐसा व्यक्ति एकांत पसंद करता है और अपने पार्टनर से विमुख हो जाता है।  हर छोटी बात ऐसे व्यक्ति में नकारात्मक विचार पैदा कर देती है और वह अपने पार्टनर से अधिकतर रूठा ही रहता है।  इससे प्रेम संबंधों में झगड़े होने लगते हैं और बात ज्यादा बिगड़ने पर ब्रेकअप हो जाता है।

प्रेम विच्छेद योग के बनने पर उपाय 

कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव से यदि आपके प्रेम सम्बन्ध न टिक पा रहे हो तो आप निम्न उपाय कर सकते हैं-

  • सबसे प्रमुख ग्रह है, मंगल।  मंगल का अशुभ हो जाना प्रेम संबंधों के टूटने का सबसे बड़ा कारण है।  मंगल क्रोध व नकारात्मकता के कारण प्रेमी युगल में वाद-विवाद करवाता है।  वे एक दूसरे की बात समझ पाने में असमर्थ होते हैं। मंगल को शांत करने के लिए, लाल मसूर व लाल कपडे का दान करना चाहिए। हनुमान जी की पूजा व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। 
  • सूर्य भी प्रेम संबंधों में कटुता लाता है।  अपने अहंकार की वजह से पार्टनर आपके साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाता और कभी भी सामने वाले के सामने नहीं झुकता। सूर्य के दुष्प्रभाव में होने से आपके घर के बड़े भी, आपके प्रेम सम्बन्ध के लिए राज़ी नहीं होते। इससे प्रेम विच्छेद हो जाता है। यह एक प्रेम विच्छेद योग का निर्माण करता है। रविवार के दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य घर के बुज़ुर्गों और पिता का करक है।  उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और सूर्य को शुभ प्रभाव देने के लिए मनाएं।  
  • शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें और शनि से जुड़ी चीज़ें जैसे काले तिल, काली उड़द दाल, सरसो का तेल, काले वस्त्र, चमड़ा, जूते, छाता आदि का दान करें।
  • यह बहुत ज़रूरी है की इन ग्रहों को शांत रखा जाए।  भगवान शिव और भगवान गणेश जी की पूजा कर सकते है।

यदि आप उचित समय पर उपाय करते हैं तो आप अपने प्रेम संबंधों को सुगमता से बचा सकते हैं।  इन उपायों से आपसी मतभेद समाप्त हो जाते है और एक मज़बूत रिश्ते की नींव राखी जाती है जो आगे जाकर विवाह बंधन में परिवर्तित हो जाती है।  



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