गणपति के विभिन्न रूपों के पूजन से कष्ट निवारण
गणपति के विभिन्न रूपों के पूजन से कष्ट निवारण

गणपति के विभिन्न रूपों के पूजन से कष्ट निवारण  

व्यूस : 7856 | सितम्बर 2013
विघ्नहर्ता मंगलकर्ता गौरी पुत्र गणेश जी की महत्ता को सनातन धर्मावलंबी प्रत्येक व्यक्ति स्वीकार करता है। सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले गणेश जी की पूजा का शास्त्रीय विधान है। इनकी कृपा दृष्टि से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। जिस घर में नित्य गणेश जी की पूजा होती है वहां विघ्न, संकट आदि का निवारण शीघ्र हो जाता है। उनकी यंत्र, मंत्र, मूर्ति की संयुक्त साधना करने से शीघ्र लाभ प्राप्त होता है। श्वेतार्क गणपति: श्वेतार्क एक वनस्पति होती है। इसके अधिकांश पौधों में लाल तथा कुछ में सफेद रंग के फूल खिलते हैं। सफेद फूल को ही श्वेतार्क कहते हैं। इस पौधे की जड़ से गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है जिसे श्वेतार्क गणपति कहा जाता है। श्वेतार्क गणपति की इस मूर्ति की विधिवत पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, और पूजा करने वाले की सभी अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं। स्फटिक गणेश: यह मूर्ति स्फटिक से बनाई जाती है। स्फटिक अपने आप में स्वयंसिद्ध रत्न है। इसकी चमक वर्षों तक बरकरार रहती है। इस मूर्ति की पूजा करने से धन के अपव्यय एवं विघ्नों से रक्षा और जीविका तथा व्यवसाय में बरकत होती है। इसके अतिरिक्त स्फटिक से बने गणेश लाकेट को ध् रण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। वृष तथा तुला लग्न राशि वालों को भी लाॅकेट धारण करना शुभ होता है। गणेश रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष गणेश जी की आकृति जैसा होता है, इसलिए इसे गणेश रुद्राक्ष कहा जाता है। विद्यार्थियों को पढ़ाई में उन्नति के लिए इसे गले में धारण करना चाहिए। इससे बुद्धि तीव्र होती है तथा विद्या अर्जन में आने वाली बाधाओं का शमन होता है। गणेश यंत्र: गणेश यंत्र को घर में अथवा व्यवसाय स्थल, फैक्ट्री, दुकान या कार्यालय में स्थापित करके नित्य पूजन दर्शन करने से कार्य व्यवसाय में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। जीवन में उन्नति एवं लाभ के अवसर बने रहते हैं। गणेश शंख: इस श्ंख की आकृति गणेश जी की आकृति जैसी होती है। यह दिखने में आकर्षक होता है। इस शंख को घर, व्यवसाय स्थल अथवा कार्यालय में स्थापित करके पूजन करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है, कार्यों में आने वाली बाधाओं का शीघ्र शमन होता है और परिवार में सुख शांति बनी रहती है। हरिद्रा गणपति: हरिद्रा की जड़ से निर्मित गणेश मंगल के प्रतीक मान जाते हैं। जिनके विवाह आदि में विलंब हो रहा हो उन्हें हरिद्रा गणपति का पूजन करना चाहिए अथवा हरिद्रा गणपति को लाकेट के रूप में धारण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इस मूर्ति को घर में रखने से हर प्रकार से मंगल होता है। पारद गणेश: पारद धातु से निर्मित गणपति की मूर्ति की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा करने से आजीविका और व्यवसाय में स्थायित्व बना रहता है। व्यक्ति का चित्त स्थिर रहता है और उसे अपने कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है। सन सितारा गणेश सन सितारा रत्न में मनमोहक चमक होती है जो इसे अन्य रत्नों से अलग करती है। इससे बनी हुई मूर्तियां, यंत्र आदि पवित्र एवं सिद्धि प्रद होते हैं। इस रत्न से बनी गणेश की मूर्ति को घर अथवा व्यवसाय स्थल में स्थापित करने से धन, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त कार्यक्षेत्र का विस्तार होता है तथा मान-सम्मान, सुख, वैभव आदि की प्राप्ति होती है। मूंगा गणेश: यदि नौकरी या व्यवसाय में शत्रु हमेशा बाधाएं खड़ी करते हां तो मूंगा गणेश की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए अथवा मूंगा गणेश लाॅकेट धारण करना चाहिए। इससे बाधाओं का शमन होता है और उन्नति के द्व र खुलते हैं। संक्षिप्त पूजन विधि: उपर्युक्त किसी भी सामग्री को सर्वप्रथम गंगाजल अथवा शुद्ध ताजे जल से अभिषिक्त करके स्थापित करें और रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से बारी-बारी से पूजन करें। फिर निम्नलिखित गणेश बीज मंत्र का 108 बार नित्य जप करें - मनोवांछित फल की शीघ्र प्राप्ति होगी। मंत्र: Om गं गणपतये नमः



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