भगवान श्री गणेश जी का देवताओं में असाधारण महत्व है। किसी भी धार्मिक या मांगलिक कार्य का आरंभ बिना इनकी पूजा के प्रारंभ नहीं होती। किसी भी उत्सव-महोत्सव में उनका पूजन करना अनिवार्य है। इतना महत्व किसी और देवता की नहीं। विस्तार से जानना चाहें तो हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और चार अंतःकरण हैं। इनके पीछे जो शक्तियां हैं उनको चैदह देवता कहते हैं। इन देवताओं के मूल प्रेरक भगवान श्री गणेश हैं। वास्तव में भगवान श्री गणेश शब्द ओंकार का प्रतीक हे। वैदिक हिंदु धर्म के अनुसार समस्त उपासना में इस प्राचीन परंपरा को स्वीकार करके इसका पालन किया है। हमारे सभी कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण हो जायें क्योंकि वे ही विघ्नहर्ता हैं। ‘‘वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभः। निर्विघ्न कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।। भगवान श्री गणेश उमा-महेश्वर के पुत्र हैं। वे गणों के ईश हैं। स्वास्तिक रूप हैं। इनके अनंत नाम हैं। शुभ कार्यों के लिये गणेश जी के नामों को स्मरण करना चाहिये। इनके नामों का स्मरण करने से संतान प्राप्ति, कलह और सर्वविघ्नों का नाश, विद्या की प्राप्ति के लिये, विवाह के लिये, धन प्राप्ति के लिये, चिंताओं की समाप्ति के लिये, सिद्धि प्राप्ति के लिये, आनंद और प्रसन्नता के लिये, कोर्ट कचहरी से मुक्ति और विजय प्राप्ति के लिये, ऋण मुक्ति के लिये, रोग मुक्ति के लिये, नेतृत्व शक्ति प्राप्ति के लिये विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा के लिये इन्हें नमस्कार करें। आवाहन करें, आसन अर्पण करें। पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें अपने सामने एक चैकी पर लाल कपड़ा बिछा लें इस कपड़े पर एक स्वस्तिक बनायें इस स्वास्तिक के बीचांे-बीच भगवान गणेश जी की प्रतिमा रखें और रोली, मौली, चावल, सुपारी, इलायची, पान, पुष्प, पुष्पमाला, दूर्बा, चंदन धूप, कपूर, दीपक, शहद जल आदि से पूजा करें। बुधवार का दिन गणेश पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन गणपति जी की पूजा सभी प्रकार की परेशानियों और विघ्नों को तुंरत समाप्त करने वाली होती है। बुधवार के दिन गणेश जी की विशेष पूजा करने का कारण यह है कि गणेश जी बुद्धि के भगवान माने गये हैं। बुधवार के दिन भक्त की बुद्धि प्रखर होती है और सभी प्रकार की समस्याओं को हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र में भी बुध ग्रह भी बुधवार को ही गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि और बुद्धि के देने वाले हैं। इनकी आराधाना से भक्त के घर में श्री गणेश जी अपनी पत्नियों ऋद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ सहित निवास करते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो या पाप पीड़ित हो, कार्य में मन न लगना या समस्या का हल न हो पाना तो उन्हें बुधवार को गणेश जी की पूजा करने से लाभ मिलता है। यदि घर में वास्तु दोष हो या किसी भी प्रकार की उपरोक्त वर्णित किसी प्रकार की समस्या हो तो उन बारह प्रकार के नामों वाले गणेश जी की दो प्रतिमा घर के मुख्य द्वार के आगे पीछे (दोनों गणेशजी की पीठ मिल रहे) लगाने से वास्तु दोष नहीं रहते। पुरानी कहानी भी है कि जब शिव जी ने आवेग में पार्वती जी के पुत्र का सिर काटा था और पार्वती जी के जिद्द पर गज का शीष उस बालक पर लगाया था और पार्वती जी को शांत करने के लिये वरदान दिया था कि आज से सब देवताओं से पहले गजानन की पूजा होगी। इनकी पूजा से सब विघ्न दूर होंगे, यह गणेश जी के नाम से प्रसिद्ध होंगे। इसी लिये भी यह मान्यता प्रचलित है।