लंदन में हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार पाया गया कि पानी पीने से परीक्षार्थी बेहतर मानसिक क्षमताओं का प्रदर्षन कर पाते हैं। फ्रंटियर्स इन ह्यूमैन न्यूरोसांइस नामक विज्ञान पत्रिका में 16 जुलाई को प्रकाषित हुए इस अध्ययन के अनुसार वे प्रतिभागी जिन्होंने परीक्षाओं में भाग लेने से पूर्व दो-तीन कप पानी पीया उन प्रतिभागियों की अपेक्षा अधिक बेहतर कर पाए जिन्होंने पानी नहीं पीया। इन परिणामों से पता चलता है कि जब मानव अपनी प्यास को बुझा लेता है तो वह अपना ध्यान खींचने वाली चीजों से मुक्त हो जाता है। लाइव साइंस डॉट कॉम ने इंग्लैंड के पूर्वी लंदन मनोविज्ञान महाविद्यालय के शोधकर्ता कैरोलीन एडमंड्स के हवाले से कहा, कुछ परीक्षाओं में प्यास बेहतर परिणाम दे सकती है। क्योंकि प्यास जगाने वाले हार्मोंस के रिसाव का संबंध मानव की सजगता एवं चेतना से भी है। इससे पहले वयस्कों पर हुए अध्ययनों के मुताबिक पानी की कमी के कारण मस्तिष्क के प्रदर्शन में कमी आ जाती है तथा बच्चों पर किए गए अध्ययनों के अनुसार जल के पर्याप्त सेवन से याददाश्त में वृद्धि हो सकती है। हाल ही में ईस्ट लंदन स्कूल द्वारा किए गए अध्ययन में 34 वयस्कों को सुबह 9.00 बजे से ही भोजन और पानी का कम से कम सेवन करने के लिए कहा गया तथा उन्हें दूसरे दिन प्रयोगशाला बुलाया गया। प्रतिभागियों को दो बार प्रयोगशाला बुलाया गया। पहली बार जहां प्रतिभागियों को परीक्षण से पहले खाने के लिए अनाज वाला चॉकलेट और पीने के लिए पानी दिया गया, वहीं दूसरी बार प्रतिभागियों को सिर्फ अनाज वाला चॉकलेट ही दिया गया। परीक्षण के दौरान प्रतिभागियों को एक कंप्यूटर पर कोई भी चीज दिखाई पड़ने पर जल्द से जल्द एक बटन दबाना था। परीक्षण के बाद पानी पीने वाले प्रतिभागियों ने पानी न पीने वाले प्रतिभागियों की अपेक्षा कहीं अधिक तेजी दिखाई। पूर्व में किए गए अध्ययन के अनुसार भी डिहाइड्रेषन की प्रक्रिया मानसिक क्षमता के प्रदर्षन स्तर को घटा सकती है और अध्ययन ने यह सिद्ध किया कि बच्चों की स्मरण शक्ति पानी पीने की आदत से बढ़ सकती है। मन व जल दोनों का कारक चन्द्रमा है जो शीतलता का प्रतीक है इसलिए मन पर पानी का विश्रामदाई प्रभाव होना और तनाव आदि से मुक्ति देने वाले गुण को सभी जानते ही हैं। जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति खराब होने से मन की विकृत अवस्थाओं का संकेत मिलता है और मानसिक क्षमताओं पर प्रष्न चिन्ह लग जाता है। इसका सीधा तात्पर्य यही है कि मन के लिए आवश्यक शीतलता प्रदान करने वाला चंद्रमा दूषित होने की वजह से सही तरीके से कार्य नहीं कर पा रहा। मन वह जमीन है जिसके उपजाऊ होने की स्थिति में ही गुरु और ज्ञान का बीज उसमें सही तरीके से पनप सकता है इसलिए चन्द्रमा की राषि कर्क (जल राशि) में ही गुरु उच्च राषिस्थ माने जाते हैं लेकिन चन्द्रमा की कमजोर स्थिति से उच्च के गुरु लगभग निष्फल होने लगते हैं इसलिए चन्द्रमा की राषि कर्क व स्वयं चन्द्रमा के बली होकर बृहस्पति से संयुक्त होने पर ही गजकेसरी योग बनता है जो प्रभावित जातक को पूर्ण बुद्धिमान बना देता है। जिस तरह से ज्योतिष में बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान उसके निर्मल मन व ज्ञान के कारकों क्रमषः चन्द्रमा व गुरु से होती है उसी प्रकार विज्ञान भी चन्द्रमा की कारक वस्तु निर्मल जल के मन पर होने वाले प्रभावों को समझने लगा है। ज्योतिष इसे आदिकाल से प्रकट करता है। लोकोक्ति प्रसिद्ध है ही कि जल ही जीवन है। भगवद्गीता के अनुसार ईष्वर को जल सर्वाधिक प्रिय है। अतिथि के घर पर आते ही उसके स्वागत के लिए गृह द्वार पर जल व पुष्प से भरा कलष स्थापित किया जाता है और उसे पीने के लिए जल प्रदान किया जाता है। पानी पीते ही अतिथि प्रसन्न हो जाता है। आप खूब पानी पीजिए और अच्छा महसूस कीजिए।