इस अंक से हम ‘गृह सज्जा एवं वास्तु-फेंग शुई’ शीर्षकान्तर्गत एक नये स्तंभ की शुरूआत कर रहे हैं जिसमें हम आपको अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा के निर्माण एवं उनके क्रियान्वयन के वास्तु-फेंगशुई पर आधारित नायाब तरीके बताएंगे जो कि शत-प्रतिशत स्वयंसिद्ध हैं। इससे मार्गदर्शन लेकर तथा घर में उनका अनुपालन करके आप अपने लिए सफलता, सुख, शांति, समृद्धि एवं सौहार्दपूर्ण संबंध का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इसी कड़ी का पहला महत्वपूर्ण आलेख आपके सामने प्रस्तुत है। मालूम कीजिए अपना कुआ नम्बर और खोलिए कामयाबी के दरवाजे .... फेंग शुई में बहुत सारी अवधारणाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक है एट मैन्सन। एट मैन्सन की अवधारणा के अनुसार हममें से प्रत्येक व्यक्ति का एक अति महत्वपूर्ण नंबर होता है जिससे हमारे जीवन की दशा-दिशा निर्धारित होती है। इस नंबर को फेंग शुई में कुआ नम्बर की संज्ञा दी गई है। कुआ नम्बर का निर्धारण हमारी जन्म तिथि के आधार पर होता है। कुआ नम्बर की गणना करने के उपरांत हमें पता चलता है कि कौन सी दिशाएं एवं रंग हमारे लिए सौभाग्यशाली हैं तथा अगर हम उन दिशाओं एवं रंगों को महत्व प्रदान कर अपनी जीवन शैली को उसी के अनुरूप ढालें तो ऐसा करना हमारे जीवन में असीम सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इसी प्रकार कुआ नम्बर के अनुसार हमारे लिए कुछ नकारात्मक दिशाएं होंगी जिनका त्याग करना हमारे सुखी-जीवन के लिए अति आवश्यक है। कुआ नम्बर की गणना कुआ नम्बर की गणना जन्मतिथि के आधार पर की जाती है, हालांकि पुरूषों एवं महिलाओं के लिए गणना की विधि में थोड़ी भिन्नता है। मान लीजिए कि आप एक पुरूष हैं तथा आपकी जन्मतिथि 15 फरवरी 1967 है। आपके कुआ नम्बर की गणना निम्न प्रकार से होगी: चरण 1: अपने जन्मवर्ष के अंतिम दो अंकों को जोड़ें तथा यदि पुनः दो अंक बने तो उसे जोड़कर एकल अंक में परिवर्तित करें। उदाहरण: यहां जन्मवर्ष 1967 है। अतः अंतिम दो अंक अर्थात् 6+7 = 13, इसे एकल अंक में परिवर्तित करने पर बना अंक = 1+3 = 4 चरण 2: चरण 1 में जो अंक प्राप्त हुआ है उसे 10 में से घटा दें। जो अंक प्राप्त होगा वही आपका कुआ नम्बर है। इस उदाहरण में कुआ नम्बर = 10-4 = 6 ध्यातव्य: अब प्रश्न यहां यह उठता है कि यदि जन्म वर्ष के अंतिम दो अंकों से ही कुआ नम्बर की गणना हो जाती है तो पूरी जन्मतिथि की क्या आवश्यकता है। उत्तर है हां इसकी आवश्यकता है। यदि आपका जन्म किसी भी वर्ष के 4 फरवरी या उसके उपरांत हुआ है तो यह नियम हूबहू लागू होगा। किंतु यदि जन्म 4 फरवरी के पूर्व हुआ है तो गणना के पश्चात् इसमें 1 और जोड़ना होगा। मान लीजिए कि इसी उदाहरण में जन्म तिथि 5 जनवरी 1967 होता तो ऐसी स्थिति में कुआ अंक की गणना करने के उपरांत 1 और जोड़ना पड़ता। अतः यदि जन्म 4 फरवरी के पूर्व का होगा तो कुआ अंक की गणना के पश्चात उसमें 1 और जोड़ना होगा। महिलाओं के कुआ नम्बर की गणना अब मान लीजिए कि आप एक महिला हैं तथा आपकी भी जन्मतिथि 15 फरवरी 1967 ही है। महिला होने के कारण आपके कुआ नम्बर की गणना निम्न प्रकार से की जाएगी। चरण 1: अपने जन्मवर्ष के अंतिम दो अंकों को जोड़कर उसे एकल अंक में परिवर्तित करें। उदाहरण 6+7= 13; 1+3 = 4 चरण 2: जो अंक चरण 1 में प्राप्त हुआ उसमें 5 और जोड़ दें। उदाहरण - 4+5 = 9। इस प्रकार प्राप्त अंक 9 आपका कुआ नम्बर हुआ। ध्यातव्य: महिलाओं के लिए भी नियम वही है। यदि आपका जन्म 4 फरवरी से पहले हुआ हो तो गणना में प्राप्त हुए कुआ नम्बर में 1 और जोड़ दें। शुभ अथवा अशुभ दिशाएं कुआ अंकों को दो विभागों में विभाजित किया गया है। वे हैं पूर्वी समूह एवं पश्चिमी समूह। पूर्वी समूह: पूर्वी समूह के अंतर्गत अंक 1, 3, 4, एवं 9 को रखा गया है। जिन व्यक्तियों के कुआ नम्बर पूर्वी समूह के अंतर्गत उपर्युक्त अंकों में से एक है, उनके कुआ नम्बरों के लिए शुभ एवं अशुभ दिशाएं निम्न प्रकार से होंगी जिनका सही तरह से अनुपालन करने पर जीवन में इच्छित फल की प्राप्ति हो सकती है तथा सफलता कदम चूम सकती है। कुआ नम्बर 1 शुभ दिशाएं दक्षिण-पूर्व - सर्वश्रेष्ठ पूर्व - उत्तम दक्षिण - मध्यम उत्तर - सामान्य अशुभ दिशाएं: दक्षिण-पश्चिम - अत्यंत अशुभ उत्तर-पूर्व - अशुभ उत्तर-पश्चिम - अशुभ पश्चिम - अशुभ सौभाग्यशाली रंग-काला एवं गहरा नीला कुआ नम्बर 3 शुभ दिशाएं: दक्षिण - सर्वश्रेष्ठ उत्तर - उत्तम दक्षिण-पूर्व - मध्यम पूर्व - सामान्य अशुभ दिशाएं: पश्चिम - अत्यंत अशुभ उत्तर-पश्चिम - अशुभ उत्तर-पूर्व - अशुभ दक्षिण-पश्चिम - अशुभ सौभाग्यशाली रंग- हरा कुआ नम्बर 4 शुभ दिशाएं: उत्तर - सर्वश्रेष्ठ दक्षिण - उत्तम पूर्व - मध्यम दक्षिण-पूर्व - सामान्य अशुभ दिशाएं: उत्तर-पूर्व - अत्यंत अशुभ दक्षिण-पश्चिम - अशुभ पश्चिम - अशुभ उत्तर - पश्चिम सौभाग्यशाली रंग- गहरा हरा कुआ नम्बर 9 अंक - 9 शुभ दिशाएं: पूर्व - सर्वश्रेष्ठ दक्षिण-पूर्व - उत्तम उत्तर - मध्यम दक्षिण - सामान्य अशुभ दिशाएं: उत्तर-पश्चिम - अत्यंत अशुभ पश्चिम - अशुभ दक्षिण-पश्चिम - अशुभ उत्तर-पूर्व - अशुभ सौभाग्यशाली रंग-लाल एवं बैंगनी पश्चिमी समूह: पश्चिमी समूह के अंतर्गत अंक 2, 5, 6, एवं 8 को रखा गया है। पश्चिमी समूह के अंतर्गत कुआ नम्बरों के लिए शुभ एवं अशुभ दिशाएं तथा सौभाग्यशाली रंग निम्न प्रकार से होंगे: कुआ नम्बर 2 शुभ दिशाएं: उत्तर-पूर्व - सर्वश्रेष्ठ पश्चिम - उत्तम उत्तर-पश्चिम - मध्यम दक्षिण- पश्चिम - सामान्य अशुभ दिशाएं: अत्यंत अशुभ दक्षिण-पूर्व - अशुभ दक्षिण - अशुभ पूर्व - अशुभ सौभाग्यशाली रंग- भूरा, पीला एवं टैन (पीला भूरा) कुआ नम्बर 5 कुआ नम्बर 5 के लिए शुभ तथा अशुभ दिशाओं का कारकत्व पुरूष एवं महिला के लिए अलग-अलग होता है। पुरूष के लिए शुभ दिशाएं: उत्तर-पूर्व - सर्वश्रेष्ठ पश्चिम - उत्तम उत्तर-पश्चिम - मध्यम दक्षिण - पश्चिम सामान्य पुरूष के लिए अशुभ दिशाएं: उत्तर - अत्यंत अशुभ दक्षिण-पूर्व - अशुभ दक्षिण - अशुभ पूर्व - अशुभ सौभाग्यशाली रंग-हल्का पीला, बिस्कुटी एवं पीला महिला के लिए शुभ दिशाएं: दक्षिण-पश्चिम - सर्वश्रेष्ठ उत्तर-पश्चिम - उत्तम पश्चिम - मध्यम उत्तर-पूर्व - सामान्य महिला के लिए अशुभ दिशाएं: दक्षिण-पूर्व - अत्यंत अशुभ उत्तर - अशुभ पूर्व - अशुभ दक्षिण-पश्चिम - अशुभ सौभाग्यशाली रंग- हल्का पीला, बिस्कुटी एवं पीला कुआ नम्बर 6 शुभ दिशाएं: पश्चिम - सर्वश्रेष्ठ उत्तर-पूर्व - उत्तम दक्षिण-पश्चिम - मध्यम उत्तर-पश्चिम - सामान्य अशुभ दिशाएं: दक्षिण - अत्यंत अशुभ पूर्व - अशुभ उत्तर - अशुभ दक्षिण-पूर्व - अशुभ सौभाग्यशाली रंग- सुनहला, चांदी, श्वेत (सफेद) एवं काँस्य। कुआ नम्बर 7 शुभ दिशाएं: उत्तर-पश्चिम - सर्वश्रेष्ठ दक्षिण-पश्चिम - उत्तम उत्तर-पूर्व - मध्यमृ पश्चिम - सामान्य अशुभ दिशाएं: पूर्व - अत्यंत अशुभ दक्षिण - अशुभ दक्षिण - पूर्व - अशुभ उत्तर - अशुभ सौभाग्यशाली रंग-सुनहला, चांदी, श्वेत (सफेद) एवं काँस्य कुआ नम्बर 8 शुभ दिशाएं: दक्षिण-पश्चिम - सर्वश्रेष्ठ उत्तर-पश्चिम - उत्तम पश्चिम - मध्यम उत्तर-पूर्व - सामान्य अशुभ दिशाएं: दक्षिण-पूर्व - अत्यंत अशुभ उत्तर - अशुभ पूर्व - अशुभ दक्षिण - अशुभ सौभाग्यशाली रंग-भूरा, पीला एवं टैन (हल्का भूरा) कुआ अंक के अनुसार दिशाओं का शुभत्व एवं अशुभत्व अवरोही क्रम में समझा जाना चाहिए। जो शुभ दिशा सबसे पहले है वह उस व्यक्ति के लिए अतिश्रेष्ठ दिशा होगी तथा नीचे की अन्य दिशाओं का शुभत्व क्रमशः थोड़ा कम होता जाएगा। इसी प्रकार से अशुभ दिशाओं के मामले में विचार करना आवश्यक है। अब प्रश्न यह उठता है कि एक ही परिवार में अनेक लोग रहते हैं तो उनके कुआ अंक भी अलग-अलग होंगे। इस प्रकार उनके शुभ तथा अशुभ दिशाओं में भी भिन्नता होगी तो घर के हर चीज का संयोजन कैसे किया जाय। ऐसी स्थिति में घर के प्रधान व्यक्ति को जो आजीविका कमाता है उसे तरजीह दी जानी चाहिए तथा लिविंग एरिया, उसके बेडरूम आदि का संयोजन उस अनुसार किया जाना चाहिए। अन्य सदस्य अपने बेडरूम में अपने कुआ अंक के अनुरूप व्यवस्था कर सकते हैं। पति-पत्नी के कुआ अंक अलग होने पर दोनों के लिए जो उपयुक्त शुभ दिशा हो उसका चयन कर संयोजन करें। फेंग शुई में कुआ अंक को बड़ी अहमियत प्रदान की जाती है तथा यदि इसके अनुसार शुभ दिशाआं का निर्धारण कर कार्य संपादित किया जाता है तो यह आशातीत सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। अतः इसे आजमाकर देखें एवं अपना जीवन सुखी एवं बेहतर बनाएं।