वर्ष को संवत्सर के नाम से जाना जाता है। संवत्सर की प्रवृत्ति बृहस्पति के मध्यमान से होती है अर्थात् गुरु जितने समय में एक राशि को पार करता है उस अवधि को संवत्सर कहते हैं और इस बृहस्पति मान में 60 संवत्सर होते हैं जिनको अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस वर्ष संवत 2071 में प्लवंग नामक संवत्सर होगा जिसके स्वामी ब्रह्मा जी हैं। प्लवंग नामक संवत्सर होने के कारण इस सम्वत् में वर्षा कम ही होगी। साथ ही रोगों एवं चोरी इत्यादि अनैतिक कार्यों से जनता परेशान रहेगी। भूमि या सीमाओं के विवाद को लेकर शासकों के बीच युद्ध की संभावना बनती है। प्लवंग नामक संवत् के स्वामी ब्रह्मा जी हैं, इसलिए संभव है कि चैत्र और वैशाख के महीने में मंहगाई बढ़ जाये। इस संवत का ज्येष्ठ मास शासकों के लिये कष्टकारक रहेगा। इसी प्रकार आषाढ़ मास में वर्षा कम मात्रा में होगी। साथ ही भूकम्प आदि जैसे प्राकृतिक प्रकोप हो सकते हैं। लेकिन श्रावण मास में अधिक वर्षा होगी। विशेष तौर पर जन्माष्टमी से अधिक वर्षा होगी। आश्विन मास में रसदार या रसीली वस्तुओं के दामों में तेजी आयेगी। फाल्गुन मास में जनता परेशानी का अनुभव कर सकती है। संवत 2071 का आकाशीय कौंसिल इस प्रकार रहेगा- संवत का राजा - चंद्र संवत का रसेश - शुक्र संवत का मंत्री - चंद्र संवत का नीरसेश - बुध संवत का सस्येश - बुध संवत का धनेश - बुध संवत का धान्येश - मंगल संवत का दुर्गेश - सूर्य संवत का मेघेश - सूर्य संवत का फलेश - शनि इस संवत का राजा चन्द्र है अतः संवत में मांगलिक एवं शुभ कार्य अधिक होंगे। वर्षा अधिक मात्रा में तथा फसलें उत्तम होने के आसार हैं। जनता में परस्पर सद्भाव तथा स्नेह बढ़ेगा और शासक वर्ग की भी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। जनता के स्वास्थ्य, रोग निवारण तथा शान्ति के लिये विशेष योजनात्मक कदम उठाये जायेंगे। संवत का मंत्री चन्द्र होने के कारण वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी। अनाज और फसलें अधिक मात्रा में होने के संकेत हैं। जिलों (जनपदों) की संख्या में विस्तार हो सकता है तथा सभी जिले सुखी एवं समृद्ध रहेंगे तथा सभी प्रकार का आनन्द मंगल बना रहेगा। संवत सस्येश बुध है अतः ग्रीष्म ऋतु के धान्य जैसे गेहूं, चावल, गन्ना इत्यादि की उपज इस संवत में पर्याप्त मात्रा में होगी। यहां भी सुनिश्चित होता है कि इस संवत में वर्षा पर्याप्त व समुचित रहेगी। विकास एवं सुख साधनों में वृद्धि होगी। ब्राह्मण एवं विद्वानजन धर्म परायणता की ओर अग्रसर होंगे। वर्ष का धान्येश मंगल है अतः यहां भी यह सुनिश्चित करता है कि ग्रीष्म धान्य जैसे बाजरा, मंग, मोठ, चावल, मक्का आदि पर्याप्त मात्रा में होंगे। गन्ना, घी और तेल में महंगाई बढ़ सकती है तथा किसी भीषण अग्निकांड से दुर्घटना के कारण जनहानि की भी संभावना बनती है। लेकिन वर्ष का मेघेश सूर्य होने के कारण यह दर्शाता है कि वर्षा कम होगी साथ ही महंगाई अधिक होगी जिसके कारण राजनीतिज्ञों में परस्पर विरोध के स्वर उभरेंगे। समाज में चोर, ठग लोगों का भय व्याप्त रहेगा। कृषि की दृष्टि से चना, जौ, गन्ना, धान की फसलें अधिक मात्रा में होंगी। संवत का रसेश शुक्र है। इससे प्रतीत होता है कि समाज में शुभ मांगलिक कार्य या धार्मिक कार्य अधिक होंगे। कुछ प्रदेशों में वर्षा का अभाव रह सकता है लेकिन गुड़, खाण्ड आदि रसकस का उत्पाद प्रचुर मात्रा में ही होगा। संभव है कि शासक वर्ग न्याययुक्त होकर सुचारु रूप से शासन चलाने में सक्षम होंगे। वर्ष का नीरसेश बुध है अतः रेडिमेड कपड़े, हौजरी का सामान, शंख, चंदन, सोना, चांदी, धातु एवं रत्न महंगे होंगे। संवत का फलेश शनि है इसलिये फलों की फसलों को नुकसान पहुंचायेगा। पेड़ों पर फूल संक्रमित न होकर निष्फल रहेंगे। जाड़ों में बर्फवारी से नुकसान होगा, चोरी की घटनाएं अधिक होंगी तथा जनता रोगों से ग्रस्त व परेशान रहेगी। संवत का धनेश बुध होने के कारण विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का संग्रह लाभ मिलेगा। खेती-बाड़ी व कृषि से संबन्धित कार्य करने वालों को अच्छा लाभ मिलेगा। धार्मिक प्रवृत्ति के लोग अनुष्ठान कार्यों में संलग्न रहेंगे। संवत का दुर्गेश सूर्य होने के कारण शासन वर्ग कानून व्यवस्था में सुधार करने का भरपूर प्रयास करेगा और सुचारु रूप से लागू करने में सक्षम भी रहेगा। राजदरबार, कोर्ट कचहरी में सभी को न्याय की प्राप्ति होगी। राजकीय कर्मचारी भी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करेंगे। संवत 2071 का जल स्तम्भ- 91.31 प्रतिशत संवत 2071 का तृण - 91.5 प्रतिशत (जड़ी-बूटी) स्तंभ संवत 2071 का वायु स्तम्भ- 22.89 प्रतिशत संवत 2071 का अन्न स्तम्भ- 35.31 प्रतिशत (उपरोक्त विवरण ज्योतिष साफ्टवेयर ‘लियो स्टार’ से उद्धृत हैं।)