त्रिक भावों में ग्रहों का फल
त्रिक भावों में ग्रहों का फल

त्रिक भावों में ग्रहों का फल  

व्यूस : 9035 | अकतूबर 2013
छठा भाव छठे भाव को ‘उपचय’ भाव भी कहा जाता है। उपचय का अर्थ है गतिशील। छठे घर में स्थित ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव बहुत तेज रफ्तार के साथ होता है। यह भाव मनुष्य के मानसिक संताप, दुश्मनी, बीमारी, ननिहाल परिवार, नौकरी, रखैल, भूतबाधा, कर्ज़ और फौजदारी मुकदमे का कारक है। छठे घर में स्थित विभिन्न ग्रहों का फल लाल किताब के अनुसार इस प्रकार होता है। शनि छठे घर का शनि व्यक्ति के कारोबार या नौकरी में अचानक बाधा उत्पन्न करता है। इस घर में शनि बुध के पक्के घर में है। अगर कुंडली में बुध शुभ है तो यह व्यक्ति को आर्थिक पक्ष से शुभ फल देता अन्यथा नहीं। यह शनि यदि उच्च का हो या स्वराशि में अर्थात् तुला, मकर या कुंभ में तो उस इंसान के शत्रु प्रभाव नहीं होते। इस घर का शुभ शनि बीमारियों के वश में नहीं होता परन्तु हाज़मे की शक्ति को कमजोर करता है। यदि शनि पर मंगल या सूर्य की दृष्टि हो तो पेट में सख्त दर्द रहता है। बृहस्पति की दृष्टि से जिगर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उपाय - विशेष कार्य की योजना रात को या कृष्ण पक्ष में बनाए। - घर में काला कुत्ता पालें। - बीमारी दूर करने के लिए एक पूजा वाला नारियल छः दिन लगातार बहते पानी में बहाएँ। - मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल भरकर ढक्कन को सीमेन्ट से अच्छी तरह बंद करके तालाब या नहर की भीतरी मिट्टी में गहरा दबा दें। - जूतों का दान करते रहें। राहु इस घर में बैठा राहु कुदरत से अपने आप मिलने वाली मदद का प्रतीक है। ऐसे इन्सान को अपने पिता के अलावा अन्य किसी व्यक्ति का सहारा भी मिलता है, जो पिता के समान उसकी सहायता करता है। स्त्रियों की कुण्डली में यह राहु उन्हें मर्दों जैसा साहस देता है। ऐसा राहु होने पर इंसान के किसी स्त्री के साथ सम्बन्ध भी हो सकते हैं यदि राहु के साथ चंद्रमा हो तो ऐसा संबंध किसी ऊँचे घर की स्त्री से होगा। यदि राहु के साथ शनि हो तो ऐसा संबंध मानसिक और सामाजिक तौर से निम्न स्तर की स्त्री के साथ होता है। इसके अतिरिक्त छठे भाव में राहु होने पर इंसान को नजर बहुत जल्दी लगती है। ज्योतिष में एक मत यह भी है कि ऐसे राहु के कारण यदि बीमारी हो जाए तो आसानी से समझ में नहीं आती और यदि राहु अच्छी हालत में न हो तो प्रेत बाधा का भी कारक होता है। उपाय - माँ सरस्वती की मूर्ति के आगे नीले रंग के पुष्प अर्पित करना। - हनुमान जी को सिंदूर अथवा चोला चढ़ाना। - सिक्के की गोली तो लाल रंग करके अपने पास रखना। केतु छठे घर में केतु स्थित होने पर इंसान आध्यात्मिक हो जाता है। काल पुरूष की कुंडली में छठे घर यानि बुध के घर में बैठा राहु इंसान की आर्थिक पक्ष की ओर से शुभ होता है। पैसा कमाने के लिए केतु की हिम्मत और बुध की आर्थिक सूझ दोनों बहुत अच्छी आर्थिक स्थिति का कारण बन सकते हैं। परन्तु इस केतु पर बारहवें घर से पड़ती हुई राहु की दृष्टि उसे रूहानी अर्थात् आध्यात्मिक प्राप्ति की ओर खींचती है। अगर केतु इस संकेत को न समझे तो राहु कई तरह की मुश्किलें पैदा करता है। ऐसे इंसान को सिर्फ एक ही तरह की प्राप्ति हो सकती है, सांसारिक या आध्यात्मिक। छठे भाव में केतु होने पर व्यक्ति को कुत्ते काटने का खौफ भी बना रहता है। केतु के साथ शुक्र होने पर व्यक्ति पुत्र सुख से वंचित रहता है। केतु पुत्र का कारक है परंतु छठे घर में सुख का कारण नहीं बनता। पुत्र पैदा भी हो जाए तो रोगी पैदा होता है। ऐसा इन्सान कहीं एक जगह टिककर भी नहीं रह सकता। उपाय - बुआ, बहन, बेटी को कुछ उपहार देते रहें। - बायें हाथ की छोटी उंगली में सोने का छल्ला पहने। - कुत्तों को खाने की वस्तुएँ डालते रहें। -क्रमशः



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.