घर में फलदार वृक्ष एवं पीपल कलह एवं अशांति का कारण पं. गोपाल शर्मा (बी.ई.) कुछ माह पूर्व पंडित जी गुड़गांव के एक व्यापारी के यहां वास्तु परीक्षण करने गए थे। उनसे मिलने पर उन्होंने बताया कि जब से उन्होंने अपना नया घर बनाया है तभी से व्यापार में हानि एवं सभी कार्यों मंे रुकावटें व विलंब होता रहता है। उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है। बच्चों की पढ़ाई में भी गिरावट होनी शुरु हो गई है। बड़ा बेटा अपनी मनमानी करता है और उससे वैचारिक मतभेद की वजह से घर में मानसिक तनाव बना रहता है। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष - उनके घर का उत्तर-पूर्व कोना कटा हुआ था जो कि आर्थिक हानि, पारिवारिक उन्नति एवं सुख-समृद्धि में बाधक होता है। - दक्षिण-पश्चिम में शौचालय होना घर के मालिक के स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों तथा अनावश्यक खर्चों का कारण होता है। - पूर्व में सीढियां विकास में बाधक होती हैं (मुख्यतः बच्चों के) तथा छाती संबंधी रोग होने की आशंका रहती है। - रसोई में उत्तर-पूर्व में गैस तथा दक्षिण-पूर्व में पानी होना घर में वैचारिक मतभेद होने का कारण होता है। - बड़े पुत्र का शयन कक्ष दक्षिण-पश्चिम में होने की वजह से वह अपने पिता पर हावी रहता है। - घर में फलदार वृक्ष (आम, जामुन) तथा पीपल होना अशुभ होता है जिससे कलह व अशांति बनी रहती है। सुझाव - उत्तर-पर्वू म ंे कट े काने े का े मटै ल का परगाले ा बनाकर ठीक करने को कहा, जिससे घर आयताकार हो सके। - दक्षिण-पश्चिम में बने शौचालय को पश्चिम के कोने में बनाने को कहा गया। - पूर्व में बनी सीढ़ियां हटवाने को कहा और उत्तर-पश्चिम में बनी सीढ़ियों को ही इस्तेमाल करने को कहा गया। - रसोई में गैस को दक्षिण-पूर्व तथा सिंक को उत्तर-पूर्व में स्थानांतरित करने को कहा। - बेटे को पश्चिम में बने कमरे में तथा उनको दक्षिण-पश्चिम के कमरे में रहने को कहा गया। - उनके घर में लगे आम, जामुन व पीपल के पेड़ (जो कि अभी ज्यादा बड़े नहीं हुए थे) को हटवाकर सार्वजनिक पार्क में लगवाने को कहा गया। पंडित जी ने उनको आश्वासन दिया कि सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा।