देवी कमला साधना अशोक सक्सेना देवी कमला श्री लक्ष्मी जी का ही रूप हैं तथा जीवन में धन, व्यापार वृद्धि, आर्थिक उन्नति एवं समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु मां कमला जी की साधना की जाती है। यह साधना नवरात्रि में करना चाहिए। दीपावली को तो हम सब मां लक्ष्मी की पूजा पाठ आदि संपन्न करते ही हैं। इस लेख में देवी कमला की साधना कैसे की जाती है। इसका विस्तृत वर्णन है। वी कमला महालक्ष्मी का ही रूप हैं तथा समस्त जगत की आधार हैं। महामाया कमला देवी आधार शक्ति हैं जिनकी कृपा दृष्टि से ब्रह्मा जी एवं अन्य देवता शक्ति प्राप्त करते हैं और जो साधक महामायापूर्ण लक्ष्मी भगवती कमला जी को नमन करता है उसकी कभी दुर्गति नहीं हो सकती। ऐसा साधक निश्चय ही पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर अंततः अलौकिक पूर्ण वैभव, धन धान्य, सम्मान तथा यश प्राप्त करता है। महामाया कमला देवी की आभा स्वर्ण के समान है। चार भुजाओं वाली मां हिमालय की उपत्यका में बैठी हुई हंै। दोनों ओर 4 हाथी अपनी सूंड़ों में स्वर्ण कलशों से अमृत जल से माता का अभिषेक कर रहे हैं। मां कमला रत्न जड़ित स्वर्ण के कुंडल, करधनी, मुकुट एवं आभूषण पहनी हुई हैं। अभय मुद्रा में कमल के पुष्पों के आसन पर विराजमान मां कमला को मेरा प्रणाम। यदि मां कमला की साधना करने में किसी को कठिनाई का अनुभव होता हो तो वह शास्त्रों में उल्लिखित 12 नामों का रोज उच्चारण करे तो उसे भी सिद्धि प्राप्त हो जाती है। माँ कमला सती का दशम रूपांतरण हैं जो परम चेतन एवं परमानंद का प्रतीक हैं और शांति एवं सुख के अमृत से स्नान करती हैं। वे ब्रह्म एकत्व का साक्षात्कार हंै, वे स्वयं आनंद एवं आनंद भोगा हैं। मां कमला साधना विधि: जो शास्त्रोक्त विधि से मां कमला की साधना सम्पन्न कर लेता है तो उसको निश्चित आश्चर्यजनक उपलब्धियां अनुभव होती हंै तथा उसे जीवन के समस्त सुख वैभव और सौभाग्य प्राप्त हो जाते हंै। साधक प्रातःकाल उठकर स्नान कर अपने पूजा स्थान में बैठ जायें और फिर साधना प्रारंभ करें। साधना प्रारंभ करने के पूर्व सामग्री अपने सामने रख लें, जिसमें जल पात्र, केला, अक्षत, नारियल, फल, दूध का बना प्रसाद, पुष्प आदि हों। कमला साधना में अष्टगंध का ज्यादा महत्व माना गया है उसका प्रबंध कर लें। मां कमला साधना हेतु सर्वप्रथम कमला यंत्र प्राप्त कर लें। यंत्र ताम्र पत्र, रजत पत्र पर अंकित हो। इसे शुद्धता के साथ विजय काल में अंकित किया जाना चाहिए तथा सिद्ध किया जाना चाहिए। साधना विधि: नवरात्रि की स्थापना के दिन या नौ दिनों में से किसी भी दिन प्रातःकाल इस साधना को सम्पन्न करें। साधना करने से पहले स्वच्छ जल से स्नान कर पवित्र हो लें। स्वच्छ एवं शुद्ध लाल वस्त्र धारण करें। संभव हो तो लाल पीतांबर धोती धारण करें और ऊपर गुलाबी दुपट्टा ओढ़ लें। किसी कमरे में पूजाघर में या एकांत स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। बैठने के लिए लाल ऊन या कुश के आसन का उपयोग करें। अब अपने सामने लकड़ी के पट्टे (बाजोट) पर लाल वस्त्र बिछायें और उसमें एक थाली रखें। इस थाली में केशर और कुंकुम (कुमकुम) से रंगे चावल बिखेर दें। अब थाली के मध्य में अक्षत का ढेर लगायें और इस पर श्री कमला महाविद्या यंत्र स्थापित करें। इसके पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प करें तथा अपनी ईच्छा जिसकी पूर्ति हेतु आप यह साधना सम्पन्न कर रहे हैं उसका उच्चारण कर पूर्ण होने की प्रार्थना करें और जल जमीन पर छोड़ दें तथा हाथ जोड़कर मां कमला देवी का ध्यान करें। कमला यंत्र पर निम्न मंत्र बार-बार उच्चारण करते हुए लघुशंख से कमला यंत्र पर दूध मिश्रित जल से अभिषेक करें। मंत्र - ‘‘श्रीं क्लीं श्रीं नमः’’ इसके बाद स्फटिक की माला से निम्न मंत्र का 11 माला जाप करें, बीच में न उठें, लगातार जाप करें। मंत्र - ‘‘ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं कमलवासिन्यै नमः’’ अथवा 10 दिन तक एक माला जाप के बाद यंत्र एवं लघु शंख को जल में प्रवाहित कर दें। जप समाप्ति पर मां कमला से अपने समस्त दुख हर लेने की प्रार्थना करें। प्रार्थना से ही आपको वैभव, समृद्धि, एवं सुख मिलता है। आपको निरंतर सफलताएं प्राप्त हों, जीवन वैभव पूर्ण एवं सर्व सुख सम्पन्न हो, मां कमला घर व धन स्थान में स्थिर हो जायंे। इसके बाद प्रसाद बांट दें तथा स्वयं भी ग्रहण करें। अब सब पूजन सामग्री को लाल वस्त्र में लपेट कर किसी नदी, तालाब एवं बाबड़ी आदि शुद्ध स्थान पर विसर्जित कर दें अथवा किसी वीरान स्थान पर गड्ढा खोदकर दबा दें। मां कमला देवी की कृपा से आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। साधना सामग्री- कमला यंत्र, माला एवं लघु शंख।