कौन बनेगा अमेरिका का राष्ट्रपति? आचार्य उमाधर बहुगुणा अमेरिका के नवंबर 2012 के आसन्न राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा एवं मिट रौमनी के बीच कांटे की टक्कर है। संपूर्ण विश्व टकटकी लगाए बैठा है इस चुनाव पर और विश्लेषक भी अपने सर्वेक्षण से किसी स्पष्ट नतीजे पर पहुंचने में नाकामयाब रहे हैं। आइए देखें ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कि किसकी कुंडली में कितना है दम और कौन बन सकता है अमेरिका का राष्ट्रपति? मेरिका के राष्ट्रपति माननीय श्री बराक हुसैन ओबामा का कार्यकाल जनवरी 2013 में समाप्त हो जाएगा। जैसे-जैसे 06 नवंबर का दिन समीप आ रहा है, वैसे-वैसे न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में वरन् संपूर्ण विश्व के लोगों की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है कि क्या बराक ओबामा फिर दुबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बन जायेंगे या मिट रौमनी अमेरिका के सŸाावन (57) वें राष्ट्रपति होंगे? वर्तमान में एक ध्रुवीय विश्व राजनीति में यह पद अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है, इस पद पर आसीन व्यक्ति न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका का भाग्य विधाता या नियंता होता है, बल्कि वह विश्व शांति, सद्भावना, वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के सामूहिक मुद्दों, न्याय, पारस्परिक विवादों को (विटो) अधिकारपूर्ण तरीकों से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। इसलिए इस चुनाव पर विश्व के राष्ट्राध्यक्षों की भी नजर है। क्या समय से पहले भी इसकी सही जानकारी ज्योतिषीय ग्रह नक्षत्रों द्वारा दी जा सकती है, आइए देखें- मिट रौमनी का जन्म 12 मार्च 1947 को ड।त्स् ठव्त्व्न्ळभ् ड।ैै।ब्भ्. न्ैम्ज्ज्ैए न्ै। में वृष लग्न में हुआ था। लग्नेश शुक्र भाग्य स्थान में स्थित होने से धनवान, पुत्रवान, सम्मानित सभी भौतिक सुखों से परिपूर्ण करते हैं, व्यक्ति अपने जीवन में अपनी मेहनत से मान-सम्मान, अपार धन-सम्पति अर्जित करता है। धनेश पंचमेश बुध राज्य में योगकारी बन गया है इसी योग के कारण मिट रौमनी ने खूब धन, मान-सम्मान कमाया। ऐसे व्यक्ति हमेशा बड़े परिवार वाले होते हंै। कर्क राशि का शनि भाग्य स्थान को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है जो इन्हें बहुत ही भाग्यशाली बना रहा है, इसी ने उन्हें अपनी मेहनत, लग्न तथा दृढ़ता से पहले करोड़पति फिर अरबपति बनाया। इस शनि ने ही इन्हें कुशल व्यवस्थापक एवं योजनाकार भी बनाया, इसलिए ये व्यवस्थित उद्योगपति बने। चतुर्थेश सूर्य राज्यभाव में द्वितीयेश पंचमेश बुध, मंगल के साथ एक पाराशरी योग बना रहा है जिसने इन्हें बड़ा उद्योगपति बनाया तथा मैनेजमैंट की बारीक से बारीक जानकारियां दीं, लग्नेश षष्ठेश शुक्र ने भाग्यस्थान में धन-सम्पŸिा नाम, सम्मान एवं यश दिया। सप्तमेश व्ययेश मंगल दशम में अच्छा है लेकिन यह व्ययेश होने से तथा शुक्र षष्ठेश होने से, बृहस्पति लाभेश होने से इन्हीं ग्रहों के कारण माननीय श्री मिट रौमनी अमेरिका जैसे शक्ति संपन्न राष्ट्र के राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं। ये ग्रह योग इन्हें जन समर्थन नहीं मिलने देंगे। चंद्रमा, वृश्चिक राशि में जनता का सहयोग एवं अच्छी छवि नहीं बनने देगा, बृहस्पति भी अच्छा नहीं है जिस वजह से वे अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र का राष्ट्रपति नहीं बन सकेंगे। लग्नेश शुक्र भाग्य भाव में अपार धन-सम्पति, लोकप्रियता देता है। शनि के घर में रवि कमजोर है और इस समय विंशोŸारी दशा में सन् 2014 तक सूर्य की दशा में बुध के अंतर में 08 दिसंबर 2012 तक बृहस्पति का प्रत्यंतर रहेगा जो इन्हें जीतने नहीं देगा, अर्थात बराक ओबामा ही जीतेंगे। माननीय बराक ओबामा जी का लग्नेश शुक्र भाग्य स्थान में स्थित होने से व्यक्ति नैतिकवान, संस्कारी प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय होता है। लग्नेश शुक्र के एक ओर चंद्रमा तथा दूसरी ओर बुध, सूर्य स्थित हैं। चंद्रमा से द्वितीय शुक्र स्थित है, यह ग्रह योग इन्हें विश्व विख्यात लोकप्रिय व्यक्ति बनाता है। इनका द्वितीयेश सप्तमेश मंगल लाभ भाव में राहु के साथ स्थित है जो इन्हें समय-समय पर लाभ या सफलता दिलाता रहता है। पराक्रमेश षष्ठेश बृहस्पति अपनी नीच राशि में स्थित है, जो कि विपरीत राजयोग कारक बन गया है, बृहस्पति शनि के साथ नीच भंग राजयोग भी चतुर्थ स्थान में बना रहा है। यहां पर दो राजयोगों का एक साथ सृजन हो गया है जो बराक ओबामा को दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनायेंगे। चंद्रमा राज्येश होकर अष्टम में अच्छा नहीं है, यह लोकप्रियता में कमी लाता है, भाग्येश बुध लाभेश सूर्य के साथ पाराशरी राजयोगों में विपरीत राजयोग एवं नीच भंग राजयोगों का एक साथ निर्माण कर रहे हैं, इन्हीं राजयोगों के कारण ही वे पहले एक अच्छे वक्ता, अधिवक्ता, कानून के ज्ञाता, अध्यापक, लेखक, संपादक के रूप में प्रसिद्धि पा चुके हंै और अब एक बार फिर अमेरिका जैसे राष्ट्र के राष्ट्रपति बनेंगे। अतः ओबामा ही अमेरिका के सŸाावन (57) वें राष्ट्रपति होंगे।