बेसमेंट
बेसमेंट

बेसमेंट  

व्यूस : 6392 | दिसम्बर 2013
प्रश्न: बेसमेंट का प्रसार (फैलाव) भवन के कितने हिस्से में एवं किस प्रकार होना चाहिए? यह किन दिशाओं में दोषपूर्ण कहा जा सकता है और क्यों? इसे दोषमुक्त किस प्रकार करेंगे? उर: बेसमेंट को तहखाना (तलगृह) या भूगृह भी कहते हैं। बेसमेंट का प्रसार/फैलाव भवन के पूर्व व उर हिस्से में होना चाहिए। इसमें ईशान भी आ जाता है। चूंकि इसमं ऊर्जा का स्तर चालीस प्रतिशत कम हो जाता है अतः महत्वपूर्ण कार्य/निर्माण जैसे-आफिस, दुकान नहीं होने चाहिए। हां, उस क्षेत्र में पानी की टंकी का निर्माण करवा सकते हैं। साथ ही पार्किंग के लिए यह स्थान उपयोग में ले सकते हैं। बेसमेंट का निर्माण उर-पूर्व से ऐसे करना चाहिए कि मध्य भाग यानी बैठक स्थल भी पूरा समाहित कर ले। उपरोक्त हिस्से को छोड़कर वायव्य, पश्चिम, र्नैत्य, दक्षिण में इसका निर्माण दोषपूर्ण कहा जाता है। बेसमेंट निर्माण का अर्थ स्थान खाली छोड़ना है, यदि इन स्थानों को खाली छोड़ेंगे (बेसमेंट के लिए) तो वास्तु दोष आ जायेगा क्योंकि पश्चिम, दक्षिण, र्नैत्य में निर्माण भारी या भारी वस्तुएं, ठोस होनी चाहिए, जोकि बेसमेंट के हिसाब से वास्तु दोष में आ जाती हैं। अतः इन स्थानों पर एवं आवासीय भवनों में बेसमेंट निर्माण से बचना चाहिए। बेसमेंट में हवा, रोशनी आती रहे। इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। अतः रोशनदान खिड़कियां व दरवाजे, पूर्व, उर दिशा में पर्याप्त हों। निम्न चित्र में भूखंड में बेसमेंट की स्थिति दर्शायी गई है। बेसमेंट की ऊंचाई न्यूनतम 9 मीटर हो और 3 मीटर तल से ऊपर हो ताकि वायु एवं प्रकाश आ-जा सके। बेसमेंट में शुद्ध वायु, रोशनी पर्याप्त मात्रा में नहीं आने पर वहां आने-जाने वाले व्यक्ति पर्याप्त ऊर्जा के अभाव में सुस्त या चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं। किसी भी स्थिति में तहखाने में निवास नहीं करना चाहिए क्योंकि बेसमेंट में एक खोखलेपन का अहसास रहता है। एक ठोस धरातल व्यक्ति, व्यक्ति की सोच, जीवन और विचारधारा को स्थायित्व एवं परिपक्वता देता है। बेसमेंट का फर्श बनवाते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए कि फर्श का स्तर सभी जगह एक समान हो। तहखाने की छत की ऊंचाई, भूतल के छत की ऊँचाई से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बेसमेंट या तहखाने में केवल हल्के रंगों का ही प्रयोग करें। गहरे एवं गाढ़े रंग जैसे- काला, नीला, लाल का प्रयोग कभी न करें। यदि बेसमेंट में ऊर्जा का स्तर कम हो तो पिरामिड के उपयोग द्वारा इसका स्तर बढ़ाकर लाभ ले सकते हैं। तहखाने का प्रवेश उरी या पूर्वी ईशान, दक्षिणी आग्नेय का पश्चिमी वायव्य में ही रखें। भूखंड के आग्नेय व वायव्य में किसी भी तरह का कोई गड्ढा न खुदवाएं तथा तहखाने के दक्षिण व पश्चिम भाग को दो फीट ऊंची दीवार बनवाकर बंद करना उचित है। तहखाने का चैथाई भाग भूमि से ऊपर रखें ताकि ऊर्जा, प्रकाश व वायु का संचार बराबर होता रहे। बेसमेंट में बड़े शीशे लगवाने से सूर्य का प्रकाश अधिक फैलेगा। दक्षिण-पश्चिम का बेसमेंट, मृत्यु कारक होता है। यहां इसके होने पर बेसमेंट के चारों कोणों और ब्रह्मस्थान में पिरामिड लगाने से दोष दूर होते हैं। भूखंड के एक चैथाई भाग में ही बेसमेंट बनाना शुभ रहता है। पूर्व दिशा में बनाया गया बेसमंट गृहस्वामी और उसकी संतानों के लिए शुभ होता है। बेसमेंट में झरना, हरियाली उर दिशा में, एक उगते सूर्य का फोटो पूर्व में लगाने पर वास्तु दोष दूर होते हैं। यदि पर्दों का उपयोग किया हो तो उनका रंग सफेद, हल्का गुलाबी या आसमानी रखें। पूरे भूखंड में बेसमेंट बनाकर किराये पर देना धन तो दे सकता है पर इससे पारिवारिक अलगाव शुरु हो जाता है। कोर्ट-कचहरी, मुकदमेबाजी भी शुरु हो जाती हैं। प्राचीनकाल में बेसमेंट का उपयोग मुख्य रूप से गुप्त वार्ताओं/गतिविधियों एवं कोषागार के लिए होता था। उपरोक्त उपायों द्वारा दोषपापूर्ण बेसमेंट के दोष दूर कर सकते हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.