हस्त रेखाओं व ज्योतिष से पेट के रोग के कारण व निवारण
हस्त रेखाओं व ज्योतिष से पेट के रोग के कारण व निवारण

हस्त रेखाओं व ज्योतिष से पेट के रोग के कारण व निवारण  

व्यूस : 10727 | अकतूबर 2009
हस्त रेखाओं व ज्योतिष से जानें पेट रोग के कारण व निवारण भारती आनंद ईश्वर ने हमारी हस्त रेखाओं में हमारे ईश्वर ने हमारी हस्त रेखाओं में हमारे भाग्य, हमारी शिक्षा, हमारी आयु और स्वास्थ्य को स्पष्ट रूप से चित्रित कर रखा है। हमारी कुंडली में भी इन सारे पहलुओं का स्पष्ट चित्र दिखाई देता है। इन रेखाओं की बनावट, मोटाई, हाथ और उंगलियों के आकार, ग्रहों के उभार, दबाव आदि को देखकर शारीरिक दुखों, बीमारियों और स्वास्थ्य की परिस्थितियों को जाना सकता है। कुंडली में लग्न पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि, जीवन काल में ग्रहों की महादशा और अंतर्दशा आदि के आधार पर किसी भी व्यक्ति के जीवन में कौनसी बीमारी किस समय होगी और कितनी कष्टप्रद होगी इसका सरलता से अनुमान लगाया जा सकता है। हमारे शरीर में हर बीमारी की शुरुआत हमारे खान-पान में असंयम और अनियमितता तथा पेट की गड़बड़ी के कारण होती है। प्राचीन चिकित्सा शास्त्र के ग्रंथों में भी कहा गया है कि प्रत्येक बीमारी की जड़ पेट ही होता है। पेट के रोगों की शुरुआत कब्ज से होती है। इस कब्ज का यदि समय रहते उपचार न हो, तो व्यक्ति अल्सर, गैस डाइबिटीज या बवासीर से ग्रस्त हो सकता है। महिलाओं में गर्भ संबंधी बीमारियां भी पेट की गड़बड़ी के कारण पैदा होती हैं। पेट का कैंसर आनुवंशिक या अत्यधिक शराब, सिगरेट अथवा अन्य नशीली वस्तुओं के सेवन से हो सकता है। हस्त रेखा व ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन से हम पेट की बीमारियों का पूर्वानुमान लगाकर समय रहते उनसे अपना बचाव कर सकते हैं। यहां पेट के विभिन्न रोगों को दर्शाने वाली रेखाओं का विश्लेषण प्रस्तुत है जिसे पढ़कर हस्तरेखा का साधारण ज्ञान रखने वाले लोग भी लाभ उठा सकते हैं। जीवन रेखा के नीचे द्वीप हो, भाग्य रेखा दोषपूर्ण हो और मस्तिष्क रेखा खंडित हो तो व्यक्ति गैस, एसीडिटी आदि से ग्रस्त हो सकता है। मंगल क्षेत्र दोषपूर्ण हो, जीवन रेखा खंडित या बीच में कटी हो, मस्तिष्क रेखा मंे शनि के नीचे दोष के लक्षण हों तो व्यक्ति के पेट की किसी भयंकर गड़बड़ी से ग्रस्त होने की संभावना रहती है जिससे मुक्ति के लिए आपरेशन करना पड़ सकता है। जीवन रेखा के समानांतर कोई अन्य रेखा चल रही हो, शनि और सूर्य पर्वत अस्त हांे, भाग्य रेखा जीवन रेखा के साथ हो और मंगल क्षेत्र में बहुत सी रेखाएं आपस में काट रही हों तो अपेंडिक्स आदि उदर रोग होने की संभावना रहती है। जीवन रेखा को यदि मोटी-मोटी राहु रेखाएं काटते हुए मस्तिष्क रेखा पर जा रही हों तो यह पेट की खराबी के कारण सिर में भारीपन का लक्षण है। यदि भाग्य रेखा के साथ कोई अन्य पतली भाग्य रेखा हो, जीवन रेखा के साथ कोई अन्य रेखा मंगल क्षेत्र पर जा रही हो तो व्यक्ति को मोटापे की समस्या हो सकती है। कुंडली के आधार पर मंगल और चंद्र की स्थितियों के आधार पर पेट के रोगों का आकलन करते हैं। यहां पेट के रोगों के लक्षणों को दर्शाने वाली उक्त ग्रहों स्थितियों का विश्लेषण प्रस्तुत है। कुंडली में छठा घर बीमारी का घर माना जाता है। यदि नीच का चंद्र या मंगल छठे घर में हो या उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति के गैस, अपेंडिक्स आदि से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। उसे भूख अधिक या कम लग सकती है। इसके अतिरिक्त उसकी पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है। यदि लग्न में चंद्र या मंगल अथवा दोनों नीच के हों और उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो, व्यक्ति को गैस, हर्नियां पेट में दर्द और कीड़े की संभावना रहती है। लग्न कुंडली में आठवां भाव मौत का या आयु का भाव माना जाता है। इस भाव में यदि मंगल या चंद्र नीच का हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो, तो व्यक्ति को पेट के रोगों से मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है और उससे मुक्ति के लिए आपरेशन की जरूरत पड़ सकती है। यदि नीच का गुरु लग्न में भाव 6 या 8 में हो तो व्यक्ति के मोटापा से ग्रस्त होने की संभावना रहती है जो पेट के लिए भयावह रूप ले सकता है। इन परिस्थितियों से बचने के लिए हनुमान चालीसा का नित्य सुबह शाम पाठ और मंगलवार को व्रत करना चाहिए। यदि दोष चंद्र का हो तो सोमवार का व्रत रखना चाहिए। गुरु ग्रह के कष्टदायी होने पर गुरुवार को उपवास रखना चाहिए। हल्के पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए और प्रतिदिन सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए। किसी ज्योतिषीे या हस्तरेखा विशेषज्ञ से सलाह लेकर विधिपूर्वक मूंगा रत्न धारण करने से भी पेट के रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ घरेलू उपाय इस प्रकार हैं। रात को दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर पीना चाहिए। एक चुटकी छोटी हर्र गर्म पानी में मिलाकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है। जीरा तथा सेंधा नमक पीसकर गर्म पानी के साथ खाने से भूख में कमी, पेट फूलने, दस्त, कब्ज और खट्टी डकारों से मुक्ति मिलती है। एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच शहद और एक नींबू का रस डालकर पीने से अधिक चर्बी व मोटापे से छुटकारा पाया जा सकता है। एक गिलास पानी में पांच ग्राम फिटकरी घोलकर पीने से हैजे में लाभ होता है। रात को सोने के पहले दूध में मुनक्का उबालकर पीने से कब्ज से छुटकारा मिलता है। यदि समय रहते किसी योग्य हस्त रेखा विशेषज्ञ अथवा ज्योतिषी से सलाह लेकर उक्त उपाय किए जाएं, तो पेट के रोगों से रक्षा हो सकती है।



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