लाल किताब पर आधारित उपाय अशोक सक्सेना लाल किताब को अरुण संहिता भी कहा जाता है। मूलरूप से यह संहिता लंकापति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से प्राप्त की थी जो बाद में अरब देश पहुंच गई और वहां अरबी और फारसी का जामा ओढ़ लिया। लाल किताब से फलकथन काफी प्राचीन काल से किया जाता रहा है और वर्तमान समय में भी इसका महत्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। नवग्रह शांति के लिए यहां हम कुछ ऐसे उपायों का वर्णन कर रहे हैं जिनके प्रयोग से लाभ शीघ्र होता है। जब कोई ग्रह अपने घर से चलता हुआ दूसरे ग्रह के पक्के घर में पहुंच जाता है तो उसका प्रभाव बदल जाता है और इसका कुप्रभाव जातक पर पड़ता है। यदि शनि पत्रिका के 9वें भाव में बैठा हो तथा राहु भी उसी में आ जाए तो जातक पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बृहस्पति की पूजा, मंत्र का जप और चीजों का दान कर इस प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर बुध अपने पक्के घर तीसरे भाव में हो तथा राहु चैथे भाव में आ जाए और चंद्र भी चैथे भाव में विद्यमान हो तो चंद्र के उपाय से लाभ हो सकता है। यदि नीच का बुध 12वें भाव में स्थित होकर कुप्रभाव डाल रहा हो तो सामने वाले घर अर्थात छठे भाव में स्थित उसके शत्रु मंगल व शनि की वस्तुओं को कुएं में गिराने से बुध शांत होता है। जब कोई ग्रह दूसरे भाव में अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो उसके मसनुई भाग में जो निम्न कोटि का ग्रह हो उसकी चीजें वहां से हटा दें। जैसे- शुक्र मंदा प्रभाव दे रहा हो तथा राहु, केतु मसनुई ग्रह विद्यमान हो तो शुक्र की चीजें हटा देने से राहु और केतु का फल लाभदायक होगा। शनि के मसनुई ग्रह शुक्र एवं बृहस्पति की चीजें हटा देने से लाभ होगा। मंगल बद का प्रभाव दूर करने के लिए काले कुत्ते को रोटियां खिलाएं तथा मीठा रोट बनाकर बांटें। राहु का दुष्प्रभाव दूर करने के लिए जौ को दूध में धोकर लाल कपड़े में पोटली बांधकर अंधेरी कोठरी में किसी भारी चीज या पत्थर आदि के नीचे दबा दें अथवा नदी के बहते जल में प्रवाहित करें। ग्रहों की शांति के लिए सूखे नारियल को थोड़ा सा ऊपर से काटें। उसके अंदर घी तथा खांड़ भरकर सुनसान जगह पर चीटियों के बिल के पास इस प्रकार गाड़ंे कि उसका मुंह थोड़ा सा खुला रहे ताकि चीटियों को खाने में आसानी हो। यह सभी ग्रहों की शांति के लिए सर्वोŸाम उपाय है। बुध और बृहस्पति को कायम रखने के लिए सोने के जेवर गहरे रंग के कपड़े या कागज में रखें। खाना शुरू करने के पहले भोजन का थोड़ा सा अंश निकाल कर गाय को खिलाएं। विशेष उपाय- नव ग्रह शांति हेतु शुभ फल पाने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए। सूर्य- बहते पानी या नदी में गुड़ प्रवाहित करने से सूर्य का शुभ प्राप्त होता है। यह उपाय 43 दिन तक एक निश्चित समय पर गुप्त रूप से करना होगा। चंद्र- चंद्र का अच्छा प्रभाव पाने के लिए नित्य सोते समय लोटे में दूध या शुद्ध जल भरकर सिराहने में रखंे और सुबह उठकर उसे बबूल के वृक्ष की जड़ में डालें। मंगल- मंगल नेक के अच्छे प्रभाव पाने हेतु बहते जल में बतासे प्रवाहित करें और मीठी रोटी कुत्ते को खिलाएं। बहते जल में रेवड़ियां प्रवाहित करने से मंगल बद की शांति अतिशीघ्र हो जाती है। बुध- पुराने समय के छेद वाले तांबे के सिक्के जल में प्रवाहित करें। बृहस्पति- केसर का उपयोग खाने तथा नाभि और माथे पर लगाने में करने से बृहस्पति का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है। शुक्र- शुक्र की शांति हेतु गाय की सेवा या चारे का दान करें। संभव हो तो गोदान भी करें। शनि- शनि देव की शांति हेतु कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। स राहु के लिए- रात को अपने सिरहाने मूली रखकर सोएं और सुबह उसका दान करें। एक बार स्वयं को लकड़ी के कोयले से तौलकर (तुलादान) उसे नदी या नहर के पानी में बहाएं। स केतु के लिए- कुŸाों को रोटी खिलाएं। धनवृद्धि के उपाय- ग्रहों से संबंधित रंगों का प्रयोग तथा जप, पूजा अर्चना आदि कर धन की वृद्धि की जा सकती है। ग्रह, देवता, रंग, उपाय आदि का विवरण इस प्रकार है। विशेष- जो ग्रह अपने पक्के घर में हो तथा अच्छे फल देने वाले हों, उनकी वस्तुओं का दान न करें। कुपित गृह की वस्तुएं कभी दान में स्वीकार न करें, अन्यथा उनका प्रकोप और बढ़ जाएगा। ध्यान रखें। यदि सूर्य सप्तम या आठवें भाव में स्थित हो तो जातक को सुबह और शाम के समय दान नहीं करना चाहिए। सप्तम भावस्थ बृहस्पति वाले जातक को वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए। शुक्र नौवें भाव में हो तो अनाथ बच्चे को गोद नहीं लेना चाहिए। शनि प्रथम में तथा बृहस्पति पंचम में हो तो तांबे का दान नहीं करना चाहिए। षष्ठ भावस्थ चंद्र वाले व्यक्ति को कुआं, तालाब न तो खुदवाने चाहिए न उनकी मरम्मत करवायें। उसे दूध या पानी का दान भी नहीं करना चाहिए। आठवें घर में शनि हो तो सराय या धर्मशाला नहीं बनवानी चाहिए। स जिन व्यक्तियों का दूसरा घर खाली हो व आठवें घर में शनि जैसा क्रूर ग्रह स्थित हो उन्हें मंदिर के अंदर नहीं जाना चाहिए। बाहर से ही अपने इष्ट को नमस्कार करना चाहिए। यदि भाव 6, 8 या 12 में शत्रु ग्रह हो तथा 2 खाली हो तो भी मंदिर नहीं जाना चाहिए। स यदि दशम में बृहस्पति एवं चतुर्थ में चंद्र हो तो मंदिर नहीं बनवाना चाहिए। गृह निर्माण में शनि संबंधी विचार- रोटी, कपड़ा व मकान मौलिक आवश्यकताएं हंै। अतः ज्योतिष शास्त्र में जीवन निर्वाह के अन्य मुद्दों के साथ-साथ गृह निर्माण भी एक प्रमुख मुद्दा है। भवन निर्माण का विचार कुंडली के दसवें तथा ग्यारहवें भाव से किया जाता है। इस घर का स्थायी स्वामी शनि है जिसकी कृपा के बिना यह कार्य संभव नहीं हो पाता। उच्च का शनि जहां व्यक्ति को हर तरह से मालामाल करता है वहीं नीच का लग्नस्थ शनि जीवन को अंधकार के गर्त में डुबा देता है। स शनि के प्रथम भावस्थ होने की स्थिति में भवन निर्माण कराया जाए तो सब कुछ बरबाद हो जाता है। परंतु यदि भाव 7 व 10 खाली हों तो कोई हानि नहीं होती। द्वितीय भावस्थ शनि भवन निर्माण के लिए सामान्य हो तो इससे कोई हानि नहीं होती है। यदि कुंडली के तृतीय भाव में शनि हो तो घर में तीन कुत्ते पालने चाहिए अन्यथा आर्थिक तंगी से घर बरबाद हो सकता है। शनि चतुर्थ भावस्थ हो तो भवन निर्माण नहीं करना चाहिए। अन्यथा ससुराल पक्ष और भाई भतीजों को घोर कष्ट भोगना पड़ सकता है। यदि शनि पंचम भावस्थ हो तो जातक का अपना बनाया मकान हितकर नहीं होगा। ऐसे में यदि उसके लड़के मकान बनवाएं तो शुभ होगा 48 वर्ष की आयु के बाद मकान बनवाएं। स षष्ठ भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना लड़की के घर वालों के लिए अशुभ होता है। सप्तम भावस्थ शनि होने पर बने हुए पुराने मकान की चैखट संभाल कर रखें। ऐसा करने पर बने बनाए मकान बहुत मिलेंगे। अपना मकान बेचना हितकर नहीं होगा। अष्टम भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना मृत्युकारक होता है। नवम् भावस्थ शनि वाले जातक की माता या पत्नी के गर्भ में बच्चा हो तो उसे मकान नहीं बनवाना चाहिए। दशम भावस्थ शनि वाला जातक जब तक मकान नहीं बनावाता है तब तक खूब धन पाता है परंतु मकान बनते ही नीच या मंदे शनि के कारण निर्धन हो जाता है। एकादश भावस्थ शनि वाले व्यक्ति का मकान उसकी 55 वर्ष की आयु बाद ही बन पाता है। उसे दक्षिण दिशा में वास नहीं करना चाहिए। द्वादश भावस्थ शनि वाला जातक अपना मकान नहीं बनवा पाता। यदि मकान बन रहा हो तो जैसा बने बनने देना चाहिए। मकान के चारों कोने 90 डिग्री के हों तो उŸाम होगा। जातक की कुंडली के अनुसार भाव 1 से 9 तक में स्थित ग्रह अपना असर मकान में प्रवेश करते समय दायें हाथ की दिशा में तथा 10वें और 12वें स्थानों में स्थित ग्रह अपना प्रभाव बाईं दिशा से डालते हैं। खाना 7 मकान में सुख-दुख की ओर खाना 2 मकान की स्थिति बताता है। जातक को पुष्य नक्षत्र में मकान बनवाना शुरू करना चाहिए और मकान के पूरा होने पर प्रतिष्ठा करके खैरात, दान इत्यादि करना चाहिए। यदि वर्षफल की कुंडली में शनि, राहु तथा केतु सामान्य घरों में हांे तो शुभ फलदायी होते हैं अन्यथा नीच राहु और केतु मकान को बिकवा देते हैं। भवन निर्माण का विचार कुंडली के दसवें तथा ग्यारहवें भाव से किया जाता है। इस घर का स्थायी स्वामी शनि है जिसकी कृपा के बिना यह कार्य संभव नहीं हो पाता। उच्च का शनि जहां व्यक्ति को हर तरह से मालामाल करता है वहीं नीच का लग्नस्थ शनि जीवन को अंधकार के गर्त में डुबा देता है। क्र. ग्रह देवता रंग उपाय 1. सूर्य विष्णु गेहुंआ गेहूं, लाल तांबा दान करें। 2. चंद्र शिवजी दूधिया मोती, चावल, चांदी दान करें। 3. मंगल हनुमानजी लाल सौंफ देसी खांड़ मूंग, मसूर दान करें। 4. बुध दुर्गा माता हरा मूंग की साबुत दाल दान करें। 5. बृह. ब्रह्मा जी पीला चनादाल, केशर हल्दी, सोना दान करें। 6. शुक्र लक्ष्मी जी दही ज्वार, दही, हीरा, मोती दान करें। 7. शनि भैरव जी काला लोहा, तेल दान करें। 8. राहु सरस्वती नीला जौ, सिक्का, सरसों दान करें। 9. केतु गणेशजी काला/सफेद तिल, कंबल दान करें। अगर बुध अपने पक्के घर तीसरे भाव में हो तथा राहु चैथे भाव में आ जाए और चंद्र भी चैथे भाव में विद्यमान हो तो चंद्र के उपाय से लाभ हो सकता है। यदि नीच का बुध 12वें भाव में स्थित होकर कुप्रभाव डाल रहा हो तो सामने वाले घर अर्थात छठे भाव में स्थित उसके शत्रु मंगल व शनि की वस्तुओं को कुएं में गिराने से बुध शांत होता है।