क्या व्यस्त करते है जन्म कुंडली के भाव
क्या व्यस्त करते है जन्म कुंडली के भाव

क्या व्यस्त करते है जन्म कुंडली के भाव  

व्यूस : 11135 | जून 2008
क्या व्यक्त करते हैं जन्मकुंडली के भाव? लक्ष्मी नारायण शर्मा ‘मयंक लाल किताब मूल रूप में चाहे अरबी या फारसी भाषा में रही हो लेकिन यह अरुण संहिता का रूप है। इसका उर्दू अनुवाद भी हुआ है। इस किताब की मान्यताएं एवं व्यक्ति द्वारा पूर्वजन्म में किए गए दुष्कर्म जनित कुयोगों से बचने के उपाय और अन्य ज्योतिषीय अवधारणायें भारतीय वैदिक विज्ञान ज्योतिष की हैं यद्यपि इसके कुछ सिद्धांत भारतीय ज्योतिष सिद्धांतों से भिन्न भी हैं। लेकिन इतना अवश्य है कि इस किताब में वर्णित उपाय लाभकारी होते हैं। लाल किताब के अनुसार जो कुंडली बनती है उसमें जन्मलग्न कोई भी हो उसे विलुप्त कर मेष राशि को लग्न मान लिया जाता है और ग्रहों को उसी घर में रहने दिया जाता है जिसमें वे मूल लग्न कुंडली में थे। लाल किताब के अनुसार जन्म कंुडली के बारह घरों अर्थात् भावों का विवरण निम्नवत है। प्रथम भाव (पहला घर)- यह घर हमारे वर्तमान का द्योतक है। पिछले कर्मों के अनुसार हम कैसा भाग्य लेकर आए हैं यह सब यह घर बताता है। यहां इस घर का संबंध पूर्व दिशा से है। ग्रहों की श्रेष्ठ स्थिति के अनुसार ग्रहों से संबंधित दिशाओं के मकान व्यक्ति के लिए शुभ एवं प्रगतिकारक होंगे। जातक की हैसियत, उसकी परोपकार की भावना, यौवन, वाहन सुख, कार्यक्षेत्र, धनदौलत, व्यवसाय, शरीर क े विभिन्न अगं , कारगर दवाइया,ं माथा एवं चेहरा, स्वभाव आदि का बोध इसी घर से होता है। व्यक्ति का अध्यात्म से लगाव, मोक्ष आदि की जानकारी भी इस घर से मिलती है। इस घर का कारक ग्रह सूर्य है। दूसरा घर- राशि क्रम की दूसरी राशि बृष इस घर में मानी जाती है जिसका स्वामी शुक्र है। लेकिन बृहस्पति को इस घर का कारक माना गया है। लाल किताब के अनुसार यह घर धन, दौलत, इज्जत, व्यक्ति की मानसिक स्थिति, आध्यात्मिक स्थिति, घर गृहस्थी, कुटुंब आदि से संबंध रखता है। यह उŸार पश्चिम दिशा का सूचक है। इस घर में गुरु का फल उŸाम मिलता है। यदि आठवें भाव में कोई ग्रह न हो तो सभी ग्रह अच्छा फल देते हैं। व्यक्ति के घर के पालतू जानवरों के बारे में इसी घर से जाना जा सकता है। रिश्तेदारों के साथ लेन देन की जानकारी भी इसी घर से मिलती है। व्यक्ति का मकान कैसा होगा, उसके पास कितने मकान होंगे यह सब इसी घर से ज्ञात होता है। तीसरा घर- यह घर मंगल के कब्जे में रहता है। वह इस घर का कारक है। यद्यपि यह मिथुन राशि का घर है तथा इसका स्वामी बुध है। लेकिन बुध यहां अच्छा फल नहीं देता है। इस घर से व्यक्ति की भुजा, शक्ति, पराक्रम, भाइयों, रिश्तेदारों से संबंध, यौवन, जिगर, शरीर में खून, धन संबंधी लेन देन एवं उसका शुभाशुभ, मित्र, अस्त्र शस्त्र आदि की जानकारी मिलती है। इस घर में मंगल को शुभ फलदायी माना गया है। इसमें मेष, वृश्चिक एवं मकर के मंगल को शुभ माना गया है। चूंकि मंगल की दिशा दक्षिण है इसलिए यहां पर इन राशियों में से किसी में भी मंगल हो तो व्यक्ति के लिए दक्षिण दिशा का दरवाजा शुभ होता है। चैथा घर- चैथा घर चंद्र का होता है क्योंकि मेष से चतुर्थ कर्क राशि होगी। चंद्र इसका कारक ग्रह है। इसमें चंद्र को अच्छा फल देने वाला माना गया है। लाल किताब के अनुसार इस घर से पिता की स्थिति, उनसे संबंध, उनकी जायदाद आदि की जानकारी मिलती है जबकि पाराशर ज्योतिष के अनुसार यह घर माता का है। यह घर व्यक्ति के मन की स्थिति, गृहस्थ जीवन, जल एवं दूध, वस्त्र व्यवसाय, माता की स्थिति, छाती, दिल आदि के बारे में बतलाता है। यह हमारी आमदनी के जरिये भी बतलाता है। मकान, भवन आदि की जानकारी इसी घर से मिलती है। पांचवां घर- यह घर व्यक्ति की विद्या, औलाद, पेट, आदि के बारे में बतलाता है। शोहरत, इज्जत आदि की जानकारी भी इसी घर से मिलती है। बेटे, बेटियों के साथ लेन-देन कैसा रहेगा, भाग्य कैसा होगा, आध्यात्मिक ज्ञान की स्थिति कैसी होगी, शिक्षा कैसी होगी, पूजा, उपासना आदि अभिरुचि कैसी होगी, देवी देवताओं की पूजा हमें लाभ देगी आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों का ज्ञान भी इसी घर से मिलता है। इस घर में सूर्य की सिंह राशि आती है अतः यह घर पूर्व दिशा का परिचायक है। छठा घर- इस घर को पाताल कहा गया है। इस घर का मालिक बुध है। रिश्तेदारों की माली हालत तथा व्यक्ति के उनसे संबंध, व्यक्ति की पाचन शक्ति, गर्मी-सर्दी सहन करने की क्षमता, भाग्य के उतार-चढ़ाव, धन दौलत के त्याग, कमर, पुट्ठों एवं नाड़ियांे की दशा आदि का विचार इसी घर से किया जाता है। इस घर में बुध उŸाम फल देता है। सातवां घर- यह घर मैदानी दुनिया कहलाता है। इस घर में यद्यपि तुला राशि आती है इसलिए शुक्र इसका मालिक है लेकिन बुध एवं शुक्र दोनों ही इसके कारक ग्रह हैं। व्यक्ति के परिश्रम के फल, जायदाद, पूर्वजों से प्राप्त धन, बचत, पत्नी के मायके एवं उसकी स्थिति, लड़की, बहन, पोती आदि, त्वचा से संबंधित बीमारियों, विवाह, स्त्री संबंध आदि की जानकारी इसी घर से मिलती है। ये सब स्थितियां इस घर में बैठे शुभाशुभ ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती हैं। आठवां घर- इस घर में मंगल की वृश्चिक राशि आती है। मंगल इस घर का कारक है। चूंकि इसे मौत का घर कहा गया है इसलिए शनि भी इसका कारक है। व्यक्ति के कार्य स्थल तथा आवास की स्थिति, उसकी मौत, शरीर में पीठ की स्थिति एवं उससे संबंधित रोगों, अन्य बीमारियांे, धन, जीवन में आने वाले कष्टों, पाचन शक्ति, अन्य स्त्री/पुरुषों से संबंध आदि की जानकारी इसी घर से प्राप्त होती है। नौवां घर- यह सबसे महत्वपूर्ण घर है। इसमें गुरु की धनु राशि आती है। गुरु इस घर का कारक ग्रह है। यह व्यक्ति की किस्मत का घर है। व्यक्ति के धन के व्यय, धर्म, परोपकार, अध्यात्म ज्ञान, पैतृक संपत्ति, मकान, मंदिर, नाक, नथुने, ओज, बुजुर्गों की दशा आदि की जानकारी इसी घर से प्राप्त होती है। व्यक्ति के भाग्य और पूर्व जन्म की जानकारी भी इसी इसी घर से मिलती है। दसवां घर- यह शनि की मकर राशि का घर है। इसका मालिक शनि है। इस घर से व्यक्ति के व्यापार, व्यवसाय, नौकरी, मकान के अंदरूनी हिस्से, स्वास्थ्य, बल आदि की जानकारी मिलती है। व्यक्ति के स्वभाव, लोगों के साथ उसके व्यवहार, उसके जीवन, पिता की जायदाद की जानकारी इसी घर से मिलती है। इस प्रकार कुंडली का यह महत्वपूर्ण भाग है। ग्यारहवां घर- यह आय और लाभ का घर है। लाल किताब इसे लालच का घर कहती है। शनि, की कुंभ राशि इस घर में आती है। शनि इसका कारक है। व्यक्ति के स्वार्थ और लाभ की स्थिति मकान की बाहरी साजसज्जा आदि की जानकारी इसी घर से मिलती है। जिंदगी के आखिरी दिनों की स्थिति का ज्ञान भी इसी घर से प्राप्त होता है। व्यक्ति के भाग्य, माता पिता की माली हालत की जानकारी भी इसी घर से मिलती है। बारहवां घर- शुभ ग्रह बृहस्पति की मीन राशि इस घर में पड़ती है। राहु भी इस घर का कारक है। यह खर्चे का घर है। व्यक्ति के मन में अचानक उत्पन्न होने वाले विचारों का पता इस घर से चलता है। व्यक्ति की शाप या आशीर्वाद देने की क्षमता का ज्ञान इसी घर से मिलता है। वहीं व्यक्ति के सुख-दुख, पड़ोसियों के साथ व्यवहार, हड्डियों एवं सिर की स्थिति, स्त्री एवं पति सुख, भविष्य आदि की जानकारी भी इसी घर से मिलती है।



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