लाल किताब एवं वास्तु (भवन) सुख डाॅ. हृदयेश शर्मा लाल किताब के अनुसार मकान का संबंध शनि ग्रह से है। वास्तु (मकान) के संबंध में शनि के प्रभाव क्या हैं, देखते हैं भावों में। प्रथम भावस्थ शनि: यदि शनि ग्रह प्रथम (लग्न) भाव में मंदा हो कर बैठा हो, तो यह जातक को हर प्रकार से बर्बादी देता है। ऐसा जातक जबभी म क ा न बनवाएगा, उसे धन एवं परिवार संबंधी अशुभ परिणाम मिलेंगे। द्वितीय भावस्थ शनि: ऐसे जातक को मकान जबभी जैसा मिले, ले लेना चाहिए, या जैसाभी बने, बनने देना चाहिए। तृतीय भावस्थ शनि: इस स्थान का शनि धन एवं संतान पर प्रतिकूल प्रभाव देता है। इस भावस्थ शनि वाले जातक यदि मकान बनवाना चाहते हैं, तो उन्हें भूखंड पर तीन कुत्ते अवश्य पालने होंगे। चतुर्थ भावस्थ शनि: इस स्थिति वाले जातक को अपने नाम से मकान नहीं बनवाना चाहिए और न ही खरीदना चाहिए। पंचम भावस्थ शनि: लाल किताब के अनुसार इस भावस्थ शनि वाले जातक को संतान हानि, या संतान को कष्ट जैसे कुफल मिल सकते हैं। यदि 48 वर्ष की उम्र से पहले जातक मकान बना रहा हो, तो उसे जीवित भैंसा जंगल में छोड़ना चाहिए। षष्ठ भावस्थ शनि: 36, या 39 की उम्र के बाद ही मकान बनाना हितकारी रहेगा। उपर्युक्त उम्र से पहले छठे भाव में स्थित शनि के प्रभाव से जातक जब भी मकान बनाएगा, उसकी लड़कियों तथा रिश्तेदारों के लिए शुभ नहीं रहेगा। सप्तम भावस्थ शनि: सातवें भाव में स्थित शनि वाले जातकों को बना- बनाया मकान खरीदना शुभदायक रहेगा। यदि ऐसा जातक पुश्तैनी मकान में रहेगा, तो बहुत ही शुभ रहेगा। अष्टम भावस्थ शनि: अष्टम भाव में शनि स्थित हो तथा पत्री में राहु-केतु भी मंदे हों, तो ऐसे जातक को मकान नहीं बनाना चाहिए। नवम भावस्थ शनि: जातक की जन्मपत्री के नवम् भाव में शनि स्थित हो तथा जातक की पत्नी गर्भवती हो, तो ऐसा जातक मकान न बनाए। दशम भावस्थ शनि: दशमस्थ शनि के कारण जब भी जातक मकान पूर्ण करेगा, तबसे ही उसके धन में कमी आने लगेगी, या धन का नुकसान शुरू होने लगेगा। एकादश भावस्थ शनि: इस भाव के शनि के कारण 55 की उम्र के बाद ही मकान बनाएं, या खरीदें, तो वह शुभ परिणाम देने वाला रहेगा। बारहवें भावस्थ शनि: मकान आसानी से बनता है। इस शनि वाले जातकों को लाल किताब हिदायत देती है कि निर्माण कार्य के चलते मकान के किसी भी कार्य का न रोकें।