लाल किताब के उपायों के प्रकार
लाल किताब के उपायों के प्रकार

लाल किताब के उपायों के प्रकार  

व्यूस : 8509 | जून 2008
लाल किताब के उपायों के प्रकार डी. एस. ठाकुर ज्योतिष में जब ग्रहों के उपायों की बात होगी तो लाल किताब का नाम सबसे पहले आएगा। कुंडली में ग्रहों की नेक या मंदी हालत के मुताबिक ही जातक पर अच्छा या बुरा असर पड़ता है। ग्रहों के बुरे असर से बचने और अच्छे असर को बरकरार रखने के लिए लाल किताब में उपायों का विस्तार से वर्णन किया गया है। लेकिन प्रश्न उठ सकता है कि क्या उपाय से कोई फायदा हो सकता है? रात के अंधेरे से बचने के लिए बिजली से रोशनी करना, बीमारी को दूर करने के लिए दवा लेना, मौसम के मुताबिक सर्द गर्म कपड़े पहनना ये सब उपाय नहीं तो क्या हैं। दरअसल जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए इन्सान निरंतर उपाय करता रहता है। कुंडली की ग्रहचाल को दुरुस्त करने के लिए लाल किताब के उपाय लाजबाब हैं। इन उपायों को चार किस्मों में रखा जा सकता है। पहली किस्म के आम उपाय हैं जो सभी कर सकते हैं। जैसे दुनियावी सुख के लिए गाय को ग्रास देना, परेशानी से बचने के लिए नारियल दरिया में बहाना, बीमारी से बचने के लिये हलवा, कद्दू धर्मस्थान में देना। अचानक चोट या नुकसान से बचने के लिए सिगरेट से परहेज करना वगैरह। दूसरी किस्म के उपाय कुंडली में मंदे ग्रह की स्थिति के मुताबिक होते हंै। इसके लिए कुंडली में देखना होता है कि कौन सा ग्रह किस खाने में बुरा असर डाल रहा है। उसका उपाय लाल किताब के मुताबिक होता है। जैसे राहु खाना नं. 8 के लिए सिक्का दरिया में बहाने से, मंगल खाना नं. 8 के लिए बेवा की दुआ से, बुध खाना नं. 8 के लिए नाक छेदन से, शनि खाना नं. 6 के लिए तेल की कुज्जी पानी की तलहटी के नीचे दबाने से, शनि खाना नं. 1 के लिए सुरमा जमीन में दबाने से फायदा होता है। तीसरी किस्म में आते हैं फौरन उपाय। जब किसी मंदे ग्रह का कोई उपाय काम न करे तो कुछ घंटों के अंदर-अंदर फैसले के लिए उसका फौरन उपाय किया जाता है। जैसे सूरज के लिए गुड़, मंगल के लिए रेवड़ियां, बुध के लिए तांबे का पैसा, राहु के लिए कोयला दरिया में बहाना लाभदायक होता है। चैथी किस्म में पितृ ऋण के उपाय आते हैं। इनकी जरूरत बहुत कम पड़ती है। पितृ ऋण से तात्पर्य यह है कि जातक पर अपने बुजुर्गों के पाप का खुफिया असर पड़ता है। अर्थात गुनाह कोई करे और सजा कोई और भुगते। मगर भुगतेगा उस गुनाहगार का असल करीबी ताल्लुकदार ही। कुंडली में जो ग्रह खाना नं. 9 में बैठा हो, उसकी जड़ में बुध बैठ जाए या किसी ग्रह की जड़ में दुश्मन ग्रह बैठ जाए और साथ में वह खुद भी किसी दूसरे खाने में मंदा हो जाए तो कुंडली पर बुजुर्गो के पाप का बोझ होगा जिसका उपाय अलग-अलग स्थिति में अलग-अलग होता है। जो खानदान के सभी सदस्यों को साथ ले कर करना पड़ता है। आम तौर पर उपाय की मियाद कम से कम 40 दिन और ज्यादा से ज्यादा 43 दिन लगातार होती है। मगर खानदान की बेहतरी के उपायों की मियाद लगातार की बजाय हफ्तावर होती है। लाल किताब उर्दू जबान में गैबी ताकत से लिखी गई थी। इसे समझने के लिए सोच भी गैबी होनी चाहिए। यह किताब गागर में सागर समेटे हुए है। फरमान नं. 6 के मुताबिक शक्की हालत के ग्रह के बुरे असर से बचने के लिए शक्क का फायदा उठाया जा सकता है। मगर पक्की हालत के ग्रह का असर हमेशा के लिए मुकर्रर हो चुका है और उसके बुरे असर को अच्छे में तबदील करना इन्सानी ताकत से बाहर होता है। सिर्फ खास खास खुदा रसीदा और महदूद हस्तियां ही रेख में मेख लगा सकती हैं। अर्थात मंदी ग्रह चाल को दुरुस्त करके फायदा लिया जा सकता है। मगर यह दुरुस्ती सबके बस की बात नहीं है। काबिलियत और कोशिश के बावजूद अगर नतीजा हक में न आए या बिना वजह जहमत गले लगी रहे तो मदद के लिए कुंडली में किस्मत के ग्रह की तलाश करनी होती है। जो ग्रह रुकावट डाले उसका उपाय करना होता है। मिसाल के तौर पर चंद जानी मानी कुंडलियों का खुलासा दिलचस्प साबित हो सकता है। लेकिन प्रश्न उठ सकता है कि क्या उपाय से कोई फायदा हो सकता है? रात के अंधेरे से बचने के लिए बिजली से रोशनी करना, बीमारी को दूर करने के लिए दवा लेना, मौसम के मुताबिक सर्द गर्म कपड़े पहनना ये सब उपाय नहीं तो क्या हैं। दरअसल जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए इन्सान निरंतर उपाय करता रहता है। कुंडली की ग्रहचाल को दुरुस्त करने के लिए लाल किताब के उपाय लाजबाब हैं। इन उपायों को चार किस्मों में रखा जा सकता है।



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