लाल किताब में वर्णित उपायों का चयन
लाल किताब में वर्णित उपायों का चयन

लाल किताब में वर्णित उपायों का चयन  

व्यूस : 9486 | जून 2008
लाल किताब में वर्णित उपायों का चयन रेनू सिंह ज्योतिष शास्त्र मनुष्यों के पिछले जन्मों के कर्म फल (प्रारब्ध) को जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति द्वारा दर्शाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में एक अध्याय ग्रहजन्य कष्टों के निवारण के उपायों का होता है, जिसमें लग्नेश तथा लग्न के लिए शुभ ग्रहों का रत्न धारण करना, अनिष्टकारी ग्रहों की शांति के लिए उनका पूजन, मंत्र जप, हवन और ग्रह संबंधित वस्तुओं के दान का उल्लेख होता है। जीवन के कष्टों को दो भागों में बांटा गया है। एक वे जिनको उपायों द्वारा शांत किया जा सकता है, और दूसरे वे जिनका भोग कर ही निवारण होता है। यह कुंडली के अध्ययन से ज्ञात होता है। उदाहरण के लिए यदि चैथा भाव और चतुर्थेश, कर्क राशि और स्वामी चंद्र, पापी ग्रह मंगल, शनि और राहु से युक्त या दृष्ट होकर ग्रस्त हो तो चैथे भाव से संबंधित विषय- माता, सुख, शांति या जातक की छाती पीड़ित होगी। जब भाव, भावेश, राशि व उसका स्वामी चारों ही पीड़ित हों तो जातक को कष्ट भोगना ही पड़ता है। परंतु यदि किसी भाव संबंधी कुछ तत्व ही पीड़ित हों और उन शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो कष्ट निवारण के उपाय प्रभावी व शुभफलदायक होते हैं। लाल किताब के सिद्धांत और उपाय वैदिक ज्योतिष से कुछ भिन्न हैं। जैसे षष्ठ भाव को पाताल और अष्टम भाव को शमशान कहा गया है। ग्रह जनित पीड़ा की शांति हेतु उपायों का वर्गीकण इस प्रकार किया जा सकता है। ग्रहों के शुभ प्रभावों को बढ़ाने के उपाय इसके लिए संबद्ध ग्रह की वस्तु स्वयं किसी अन्य को न देनी चाहिए, वरन् उस वस्तु को उसके कारक से लेकर अपने पास रखना चाहिए। जैसे शुभ चंद्र को बलवान करने के लिए माता (चंद्र) के हाथ से चांदी की वस्तु (चंद्र की वस्तु) को लेकर अपने पास रखना चाहिए। ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर करने के उपाय किसी कष्टकारी ग्रह की वस्तु को पृथ्वी में गाड़ कर उस ग्रह के दोष को दूर करना। जैसे यदि अशुभ शनि षष्ठ भाव (पाताल) में स्थिति होकर अत्यंत कष्टकारी हो तो शनि की वस्तु सरसों के तेल को मिट्टी के बर्तन (बुध-षष्ठ राशीश) में भरकर और उसका ढक्कन अच्छी तरह बंद कर, किसी तालाब के किनारे (शुक्र स्थान, जो शनि का मित्र है) गाड़ देने से शनि शांत हो जाता है और इस तरह कष्टों का निवारण हो जाता है। थोड़े अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए संबद्ध ग्रह से संबंधित वस्तु को चलते पानी में बहाना, अर्थात् कष्टों को दूर करना। जैसे यदि राहु अष्टम भाव (शमशान) में अचानक बाधाएं दे रहा हो तो सीसा धातु (राहु) के 100 ग्राम वजन के आठ टुकड़े (शनि अष्टम भाव का कारक ग्रह) - प्रतिदिन एक टुकड़ा बहते पानी में प्रवाहित करने से राहु जनित पीड़ा की शांति होती है। थोड़ा शुभ और थोड़ा अशुभकारी ग्रह को पूर्ण शुभकारी बनाने के लिए उसके मित्र ग्रह को प्रसन्न कर उसकी सहायता लेना जैसे यदि षष्ठ भाव (पाताल) में केतु बुरा फल दे रहा हो तो जातक को छोटी उंगली (बुध) में सोने (बृहस्पति) की अंगूठी (बुध) पहनने से षष्ठ राशीश बुध और बृहस्पति (केतु के गुरु) प्रसन्न होकर केतु पर अंकुश रखते हैं। थोड़े अशुभ ग्रह के प्रभाव को खत्म करने के लिए उस ग्रह के परम शत्रु की वस्तु अपने पास रखना। जैसे अष्टम भाव स्थित मंगल के थोड़े अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए हाथी दांत (राहु-मंगल का शत्रु) की कोई वस्तु अपने पास रखनी चाहिए। किसी शुभ ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए संबंधित वस्तु को उसके दूसरे कारक को अर्पित करना। जैसे बृहस्पति की अशुभता दूर करने के लिए चने की कच्ची दाल (बृहस्पति की वस्तु) मंदिर (धर्म स्थान-बृहस्पति) में चढ़ानी चाहिए। परंतु मंदिर में कोई वस्तु चढ़ाने से पहले यह देख लेना आवश्यक है कि कुंडली के दूसरे भाव (धर्म स्थान) में उस ग्रह का शत्रु स्थित न हो, अन्यथा नुकसान होगा। ग्रह के इष्ट देव की आराधना करना। जैसे यदि षष्ठ भाव (पाताल) स्थित राहु समझ न आने वाला रोग दे रहा हो तो नीले फूलों (राहु की वस्तु) से देवी सरस्वती (राहु की इष्ट देवी) की पूजा आराधना करनी चाहिए, इससे रोग से छुटकारा मिलता है। दो अशुभ ग्रहों का झगड़ा मिटाने के लिए उनके मित्र ग्रह को उनके बीच में स्थापित करना। जैसे शनि और सूर्य (विपरीत स्वभावी ग्रह) षष्ठ भाव (पाताल) में स्थित होकर अशुभ प्रभाव डालते हों, तो उनके साथ में बुध को (जो सूर्य और शनि दोनों का मित्र है) स्थापित करने के लिए घर में फूलों वाले पौधे (बुध की वस्तु) लगाने चाहिए। उपाय के लिये विशेष नियम ग्रहों के दुष्प्रभाव शीघ्र दूर करने के लिए 43 दिन तक प्रतिदिन उपाय करने चाहिए। यदि बीच में प्रयोग खंडित हो जाए तो फिर से शुरू करें। ये उपाय दिन के समय करने चाहिए। एक दिन में केवल एक ही उपाय करना चाहिए। स जातक के असमर्थ होने पर खून के रिश्ते वाला कोई व्यक्ति उसके नाम से यह उपाय कर सकता है। क्या नहीं करें- सूर्य ग्रह कुंडली में बलवान होने पर- जातक को सूर्य की वस्तुएं सोना, गेहूं, गुड़ व तांबे का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा सूर्य निर्बल हो जायेगा। चंद्र बलवान होने पर- चांदी, मोती, चावल आदि (चंद्र की वस्तुएं) उपहार या दान में नहीं देने चाहिए। मंगल बलवान होने पर- मिठाई, गुड़, शहद आदि मंगल की वस्तुएं दूसरों को न तो देने चाहिए न ही खिलाने चाहिए। बुध बलवान होने पर- कलम का उपहार नहीं देना चाहिए। बृहस्पति बलवान होन पर- पुस्तकों का उपहार नहीं देना चाहिए। शुक्र बलवान होने पर- सिले हुए सुंदर वस्त्र, सेंट (परफ्यूम) और आभूषण उपहार में नहीं देने चाहिए। स शनि बलवान होने पर- शनि की वस्तु शराब दूसरों को नहीं पिलानी चाहिए। राहु को बलवान करने के लिए जातक को सीसे (राहु की वस्तु) की गोली अपने पास रखनी चाहिए। केतु को बलवान करने के लिए कुŸाा (केतु का कारक) पालना चाहिए। ऊपर वर्णित सरल और सुलभ उपायों का आवश्यकतानुसार श्रद्धापूर्वक पालन करने से जातक को ग्रह जनित पीडा़ से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.