औद्योगिक वास्तु के 24 सूत्र 1. औद्योगिक भूखंड के चारों ओर मार्ग होना शुभ होता है। 2. पूर्व या उत्तर की दिशा कारखाने के मुख्य द्वार के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। 3. कारखाने का मुख्य भवन भूखंड के पश्चिमी या दक्षिणी भाग में इस प्रकार बनाना चाहिए कि पूर्व एवं उत्तर में खाली जगह अधिक रहे। 4. भूखंड के ब्रह्म स्थान पर कोई काॅलम, बीम या अन्य निर्माण नहीं करना चाहिए। 5. कारखाने में भारी मशीनें दक्षिण, पश्चिम या र्नैत्य कोण में लगाया जा सकता है। 6. आग्नेय कोण में जेनरेटर, बाॅयलर, भट्टी, बिजली का मीटर आदि लगाने चाहिए। 7. र्नैत्य में कच्चे माल का स्टोर बनाया जा सकता है। 8. तैयार माल वायव्य कोण में रखना चाहिए, इससे माल जल्दी बिकता है। 9. प ्र श् ा ा स िन क कार्यालय उत्तर दिशा में बनाया जा सकता है। 10. मशीनों की मरम्मत व रखरखाव की कार्यशाला पश्चिम में बनानी चाहिए। 11. रिसर्च एवं डेवलपमेंट यूनिट पूर्व दिशा में बना सकते हैं। 12. असेंबलिंग यूनिट पूर्व या उत्तर में बनाया जा सकता है। 13. कर्मचारियों के स्टाफ क्वार्टर वायव्य दिशा में तथा प्रशासनिक अधिकारियों के क्वार्टर र्नैत्य व पश्चिम में बनाने चाहिए। 14. ह ल् क े वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था आग्नेय में तथा भारी वाहनों की वायव्य में करनी चाहिए। 15. कारखाने की चिमनी कभी भी ईशान कोण में नहीं होनी चाहिए। 16. केमिकल इत्यादि दक्षिण दिशा में रखने चाहिए। 17. वेलिं्डग के कार्य के लिए आग्नेय दिशा शुभ होती है। 18. लोहे के भंडार की व्यवस्था पश्चिम में करनी चाहिए। 19. दूध व दही का भंडारण वायव्य में करना चाहिए। 20. कारखाने के कबाड़ को यथाशीघ्र बेच देना चाहिए, इकट्ठा नहीं करना चाहिए। 21. बीम के नीचे कोई भी कर्मचारी या मशीन नहीं होनी चाहिए। 22. कार्य करते समय कर्मचारियों का मुंह उत्तर या पूर्व की ओर होना चाहिए। 23. कारखाने के ईशान कोण में कभी भी अंधेरा या गंदगी नहीं होनी चाहिए। 24. भूखंड के ब्रह्म स्थान पर कोई भारी सामान या भारी मशीनरी नहीं रखनी चाहिए।