दीपावली लक्ष्मी जी का पर्व है एवं आज के युग में लक्ष्मी का महत्व सर्वाधिक है। अतः यह पर्व विशेष हो जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी के लिए की गई पूजा-अर्चना का महत्व अनेक गुणा अधिक हो जाता है। भगवती महालक्ष्मी चल, अचल संपूर्ण संपत्तियों एवं अष्ट सिद्धि नव निधियों की अधिष्ठात्री साक्षात् नारायणी हैं। अग्रपूज्य देव श्री गणेश ऋद्धि- सिद्धि, बुद्धि, शुभ, लाभ के स्वामी एवं सकल अमंगलों, विघ्नों के विनाशक हैं, अर्थात दीपावली के शुभ मुहूर्त में श्री लक्ष्मी एवं गणेश जी का संयुक्त पूजन करने से घर में सभी प्रकार के सुख, ऐश्वर्य एवं आनंद का आगमन होता है। सर्व प्रथम पूजन सामग्री को पूजा स्थल पर एकत्रित करके अपने सम्मुख रखें, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थिर आसन पर बैठें।
दीपावली में पारद धातु से निर्मित गणेश लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है।
पारद लक्ष्मी गणेश: इन मूर्तियों का गंगा जल से स्नान कराकर पंचामृत से अभिषेक करें तथा रोली का तिलक करें। तत्पश्चात् पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्पमाला, वस्त्र, गंध, अक्षत, फल व दक्षिणा अर्पित करें।
स्फटिक श्री यंत्र: स्फटिक श्रीयंत्र पूजा का विशेष महत्व है। लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों के समक्ष स्फटिक श्रीयंत्र को पंचामृत व गंगाजल से स्नान करा कर स्थापित करें। तिलकादि करने के पश्चात् पंचोपचार पूजन करें। इसके प्रभाव से व्यावसायिक जीवन में दिनो-दिन उन्नति होती है तथा मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
महालक्ष्मी यंत्र: महालक्ष्मी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए इस यंत्र को गंगाजल व पंचामृत से अभिषिक्त करें तथा स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति हेतु फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, सिंदूर, नैवेद्यादि अर्पित करें।
कुबेर यंत्र: धन के देवता तथा देवताओं के धनाध्यक्ष कुबेर का आवाहन करने हेतु इनके मंत्र का उच्चारण करते हुए इस यंत्र को गंगाजल व पंचामृत से स्नान कराएं तथा पुष्पांजलि अर्पित करें। लक्ष्मी पूजन के पश्चात इस यंत्र को तिजोरी में रखें। इसके प्रभाव से व्यवसाय अथवा कार्यक्षेत्र में आय में वृद्धि होती है।
श्री यंत्र लाॅकेट: दीपावली के दिन पूजन करके इस यंत्र लाॅकेट को लाल धागे में डालकर श्रद्धा विश्वासपूर्वक गले में धारण करें।
कमल गट्टे की माला: लक्ष्मी के मंत्रों का जप करने के लिए कमल गट्टे की माला को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। संपूर्ण दीपावली पूजन के उपरांत इस पर श्री महालक्ष्मी मंत्र का जप करें।
गोमती चक्र: गोमती चक्र को शुद्ध जल से स्नान कराकर उनका चंदन, रोली, पुष्प आदि से पूजन करके उन्हें अपने पूजाघर में रखें। ये लक्ष्मी प्राप्ति में सहायक होते हैं तथा शुभ माने जाते हैं।
कौड़ी: दीपावली आदि शुभ मुहूर्तों में कौड़ियों का पूजन तथा स्थापन शुभ फलदायक माना जाता है। इन्हें गंध, अक्षत, धूप, दीप से पूजन करके अपनी तिजोरी या गल्ले में रखें, इससे, व्यवसाय आदि में बरकत होती है।
सिंदूर: लक्ष्मी जी को सिंदूर का तिलक अत्यंत प्रिय है। दीपावली पूजन के समय पर इस अभिमंत्रित सिंदूर का मां अनामिका उंगली से लक्ष्मी को तिलक करें, इससे लक्ष्मी जी की अधिक कृपा प्राप्त होगी।
दीपावली के दिन लक्ष्मी एवं समृद्धि प्राप्ति हेतु निम्नलिखित विशेष उपाय किए जा सकते हैं:
प्रचुर मात्रा में धनागमन हेतु - दीपावली से पूर्व धन त्रयोदशी के दिन लाल वस्त्र पर धातु से बने कुबेर एवं लक्ष्मी यंत्र को प्रतिष्ठित करके उनकी लाल पुष्प, अष्टगंध, अनार, कमलगट्टे, कमल के फूल, सिंदूर आदि से पूजा करें। फिर कमलगट्टे की माला पर कुबेर के मंत्र का जप करें तथा माला को गले में धारण कर लें। ¬ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्याधिपतये, धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।
धन संग्रह हेतु - दीपावली के दिन प्रातः काल स्नानादि करके मां भगवती के श्रीसूक्त का पाठ करें। लक्ष्मी जी की प्रतिमा को लाल अनार के दानों का भोग लगाएं और आरती करें। घर की उŸार दिशा की ओर से प्रस्थान करके बेल का छोटा पेड़ घर में लाएं और उसे लक्ष्मी सूक्त पढ़ते हुए घर की उŸार दिशा में किसी गमले में लगाएं। फिर प्रत्येक सायंकाल वहां शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं।
कर्ज मुक्ति हेतु - दक्षिणावर्ती गणेश जी की उपासना करें तथा ‘गजेन्द्र मोक्ष’ स्तोत्र का पाठ करें। दक्षिणावर्ती गणेश जी की मूर्ति के साथ गणपति यंत्र को भी स्थापित करें। इस यंत्र के दायीं ओर कुबेर यंत्र को स्थापित करना चाहिए। जप के पश्चात् हवन, तर्पण, मार्जन आदि करना आवश्यक माना गया है।
व्यापार में धन वृद्धि हेतु - शालिग्राम को श्वेत कमल एवं लक्ष्मी यंत्र को लाल कमल के पुष्प पर स्थापित करके पुरुष सूक्त तथा लक्ष्मी सूक्त को आपस में संपुटित कर पाठ करें। क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात्।
निम्नलिखित किसी एक मंत्र का जप कमल गट्टे, स्फटिक या लाल चंदन की माला पर करना श्रेष्ठ है। प्रतिदिन एक माला जप लक्ष्मी दोष को सर्वदा के लिए दूर करने में सक्षम है।
1. ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
2. ¬ श्री श्री ललिता महात्रिपुरसुन्दर्यै श्री महालक्ष्म्यै नमः।।
3. ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हीं श्रीं ¬ महालक्ष्म्यै नमः।।
4. महालक्ष्म्यै च विùहे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।
5. या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः।।
दीपावली पूजन स्थिर लग्न में ही करना चाहिए, ताकि लक्ष्मी जी घर में स्थिरता से वास करे। दीपावली पर स्थिर लग्न संध्या काल में वृष एवं सिंह लग्न होते हैं। दिल्ली में वृष लग्न 19.20 से 21.15 तक रहेगा एवं सिंह लग्न मध्य रात्रि उपरांत 1.54 से 4.11 तक रहेगा। वृष लग्न गृहस्थ के लिए एवं सिंह लग्न तांत्रिकों के लिए उत्तम है। व्यापारियों के लिए दिन में कुंभ लग्न में 14ः52 से 16ः20 तक अपने प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी पूजन उत्तम रहेगा। पूजन के लिए लक्ष्मी-गणेश जी के चित्र, या मूर्ति लेने चाहिए। स्फटिक, रजत या स्वर्ण की मूर्तियों की विशेष महिमा है। साथ ही कोई श्री यंत्र आदि भी स्थापित करना लक्ष्मी वास के लिए उत्तम माना गया है। इन सबका पूजन कर श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त आदि का पाठ धन की कमी को दूर कर, स्थिर लक्ष्मी का वास देता है।