क्या आपका जीवन 'भाग्य' शब्द से जुडा हुआ है
क्या आपका जीवन

क्या आपका जीवन 'भाग्य' शब्द से जुडा हुआ है  

व्यूस : 6175 | मार्च 2012
क्या आपका जीवन ‘भाग्य’ शब्द से जुडा हुआ है? अंजना गुप्ता सबसे पहले हम भाग्य शब्द को समझ लें। कुछ वाक्य जो बहुत लोग बोलते हैं, जैसे ‘मेरे भाग्य में होगा तो जरूर मिल जायेगा’ या फिर ‘किस्मत अच्छी होगी तो मेरा काम जरूर चल जायेगा’ या फिर ‘क्या मेरे भाग्य में स्वस्थ जीवन, ज्यादा पैसा या सुखी और सफल जिंदगी लिखी है?’। भाग्य शब्द को एक ऐसा खिलौना बना दिया जिसे सफलता या असफलता के साथ आसानी से जोड़ दिया जाता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कहते हैं कि हमारे भाग्य में जो लिखा होगा, वही हमें मिलेगा। फिर तो भगवान ने हमें दो पांव दिये थे चलने के लिये तो हमने अपनी आवश्यकता के अनुसार या अपनी सुविधा के लिए रेल, कार या हवाई जहाज का अविष्कार क्यों किया। अगर हमारा जन्म गर्म प्रदेश में हुआ है तो हमने अपने आराम के लिये ए. सी. या कूलर को क्यों बनाया। भाग्य में दिन और रात लिखे थे तो हमने अपने आराम के लिए रात को रोशनी में झिलमिला दिया। इसका मतलब हमने अपने जीवन को सुविधा के साथ और सुचारू रूप से चलाने के लिये बहुत सारी चीजों का निर्माण किया है। यदि हम अपने सुखोपभोग के इन साधनों के निर्माता हैं तो हम ही तो अपने भाग्य के निर्माता हुए। लकड़ी पानी में तैरती है, लोहा पानी में डूब जाता है। लेकिन हमने इस नियम के विपरीत जाकर लोहे के बड़े-बड़े जहाज बनाये। पहाड़ पर पूरा का पूरा शहर बसा हुआ होता है तो फिर आज भाग्य का सहारा लेकर मारे-मारे या बेचारे बने क्यों घूम रहे हैं। भाग्य के सहारे तो पशु, पक्षी भी नहीं रहते, वे भी अपना खाना ढूंढ लेते हैं। कुछ पक्षी तो सर्दी से बचने के लिये हजारों मील का सफर तय करके दूसरे प्रदेश में पहुंच जाते हैं। मानव जीवन तो उस परमेश्वर की उत्तमोत्तम कृति है जिसको ईश्वर ने अपने ही रूप में बनाया है और वे सारे गुण दिये हैं जो उसके पास है। ईश्वर स्वयं रचयिता है। उसने हमें सह-रचयिता बनाया है। इन सबके लिये उसने हमें एक बहुत बड़ा उपहार दिया, मस्तिष्क व बुद्धि के रूप में जिससे हम अपने जीवन को कोई भी मोड़ दे सकते हैं। हम खुद ही अपने सुख-दुख, गरीबी-अमीरी, सफलता-असफलता के निर्माता है। हमने अपने मस्तिष्क से बड़े-बड़े आविष्कार किये, सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाये, अपनी उत्सुकता के लिये चांद पर भी पहुंच गये। गर्भाधान जैसी प्राकृतिक घटनाओं पर भी काबू पाकर हमने कृत्रिम गर्भाधान संभव कर दिया। इतना शक्तिशाली होते हुये भी इन्सान मामूली सफलता के लिये भाग्य के भरोसे क्यों रहता है। भाग्य और किस्मत जैसे शब्द नाकारा और कमजोर आदमी के लिये हैं। कर्मठ आदमी अपना भाग्य खुद बनाता है। अगर आप भी जान ले कि आपके आंतरिक संसार में क्या है, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली क्या है तो ऊर्जा के बारे में जानकर उसे परिवर्तित किया जा सकता है। अंत में जाने ब्रह्मांड के क्या नियम हैं और उसकी भाषा क्या है और इन सबका आपस में क्या संबंध है। उस ज्ञान से कुछ भी संभव है। वस्तुतः आप भाग्य के दास नहीं बल्कि भाग्य के निर्माता हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.