1. परिभाषा और प्रकार वास्तु संदर्भ में, किसी भी प्रकार की मानव रचित रुकावट को वीथिशूल कहते हैं। “वीथि” का शाब्दिक अर्थ सड़क, मार्ग या रास्ता है और “शूल” का शाब्दिक अर्थ तीर, बाण या काँटा है। प्राचीन समय की अपेक्षा आधुनिक युग में, विशेषकर शहरों में, प्रत्येक भूखंड किसी न किसी मार्ग के समीप होता है। इसीलिए आजकल वीथिशूल अधिकतर मानव निर्मित मार्गों के कारण होता है।
भूखंड से सटे हुए एक या एक से अधिक मार्ग हो सकते हैं। जैसे:- मार्ग भूखंड की तरफ आते हैं और फिर वहीं खत्म हो जाते हैं (dead-end): अन्य मार्ग भूखंड की ओर आते हैं और भूखंड से सटते हुए निकलते हैं। मार्ग के आने और मुड़ने का आकार कोई भी हो सकता है, जैसे V-आकार, T-आकार या L-आकार: गोलाई लिए हुए मार्ग भूखंड की ओर बाण की तरह तो नहीं आते परन्तु इन्हें वीथिशूल की श्रेणी में माना जाता है और इन्हें अदृश्य वीथिशूल कहा जाता है। यह भूखंड के एक ओर या दोनों ओर हो सकते हैं: वीथिशूल भूखंड के जितने अधिक हिस्से पर होगा भूखंड उतना ही अधिक प्रभावित होगा। इसी प्रकार मुख्य द्वार का वीथिशूल अधिक प्रभावित माना जाता है।
2. वीथिशूल शुभ या अशुभ? मार्ग यातायात से ऊर्जा का प्रवाह भूखंड की ओर होता है। आम धारणा के अनुसार वीथिशूल को अशुभ माना जाता है परंतु हर प्रकार का वीथिशूल अशुभ नहीं होता। कुछ दिशाओं के वीथिशूल शुभ भी होते हैं। सरलता के लिए इस तथ्य को सर्वप्रथम आठ दिशाओं वाले चित्र से समझेंगे: √ √ √ √ चिह्नित दिशाओं से उत्पन्न वीथिशूल शुभ होते हैं और ग ग ग ग से चिह्नित दिशाओं से उत्पन्न वीथिशूल अशुभ होते हैं। अशुभ दिशाओं से आने वाले मार्गों से जब वाहन आदि भूखंड की दिशा में आते हों तो भूखंड में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिससे भूखंड निवासियों को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ता है।
इसके विपरीत शुभ दिशाओं से आने वाले मार्गों से जब वाहन आदि भूखंड की दिशा में आते हों तो भूखंड में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिससे भूखंड निवासियों का सुख, समृद्धि, विकास आदि बढ़ता है। सूक्ष्म रूप से विचार करने पर वीथिशूल के निम्न 16 प्रकार होते हैं: √ √ √ √ से चिह्नित दिशाओं से उत्पन्न वीथिशूल शुभ होते हैं और ग ग ग ग से चिह्नित दिशाओं से उत्पन्न वीथिशूल अशुभ होते हैं।
उपरोक्त चित्र के अनुसार शुभाशुभ वीथिशूल निम्न हैं: अदृश्य वीथिशूल में मार्ग का जो हिस्सा भूखंड के सबसे समीप होता है उसकी दिशा अनुसार फल होते हैं। उपरोक्त वीथिशूलों में विशेष शुभाशुभ निम्न हैं: -
विशेष शुभ: उत्तर उत्तर-पूर्व (छछम्) और पूर्व उत्तर-पूर्व (म्छम्) -
विशेष अशुभ: ददक्षिण-पश्चिम(ैैॅ) और पदक्षिण-पश्चिम (ॅैॅ)।
3. वीथिशूल के शुभाशुभ फल उपरोक्त वर्णित वीथिशूलों के शुभाशुभ फल निम्न हैं:
शुभ वीथिशूल और उसके फल:
1. उत्तर-पूर्व (छम्): यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासी के लिए शिक्षा, धन, यश एवं समृद्धि दायक है। इस वीथिशूल के होने पर भूखंड स्वामी अधिक यात्राएँ करता है। निवासी मानसिक तौर पर संतुष्ट रहते हैं और आध्यात्मिकता की ओर प्रवृत्त होते हैं।
2. पूर्व उत्तर-पूर्व : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासियों के लिए शिक्षा, विकास, इच्छापूर्ति, सुखद वातावरण, धन, यश और समृद्धिदायक है।
3. पूर्व : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासियों को सफलता, धन, सुखद वातावरण, परस्पर संबंधों में मधुरता, अचानक लाभ और समृद्धि मिलती है। निवासी मानसिक तौर पर भी सुखी रहते हैं।
4. दक्षिण दक्षिण-पूर्व : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड स्वामी की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, मानसिक स्थिरता रहती है, घर में शान्ति होती है, शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है, अविवाहित बच्चों का शीघ्र विवाह होता है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है और यश आदि की प्राप्ति होती है।
5. पश्चिम : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासी न्यायोचित मार्ग से धन अर्जित करते हैं, मान-सम्मान बढ़ता है, प्रतियोगिता एवं कानूनी लड़ाई में सफलता मिलती है, भाग्य वृद्धि एवं यश प्राप्ति होती है और जीवन सुखद होता है।
6. उत्तर उत्तर-पश्चिम : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासियों को सभी स्थितियों में सफलता मिलती है। उत्तर उत्तर-पश्चिम (छछॅ) वीथिशूल वाले भूखंड विशेषतया वकील, राजनेता, पुलिस ऑफिसर, धार्मिक नेता आदि के लिए अधिक लाभदायक सिद्ध होते हैं।
7. उत्तर : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासियों को आर्थिक सफलता मिलती है, महिलाओं को विशेष सम्मान मिलता है, लड़कियों को अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है, मानसिक शान्ति का वातावरण रहता है और जीवन सुखद रहता है।
8. उत्तर उत्तर-पूर्व : यह वीथिशूल शुभ है। भूखंड निवासियों का आर्थिक विकास होता है, मानसिक शान्ति रहती है, जीवन सुखद रहता है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है, बच्चांे को अच्छी शिक्षा मिलती है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
अशुभ वीथिशूल और उसके फलः
1. पूर्व दक्षिण-पूर्व : यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड निवासियों को धोखा मिलता है, मानसिक विचलन बढ़ता है, घर की विवाहित बेटियों के लिए अशुभ है, आर्थिक हानि होती है, चोरी हो सकती है, आग लग सकती है, खर्च एवं ऋण बढ़ते हैं और दुर्घटना भी हो सकती है।
2.दक्षिण-पूर्व : यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड निवासियों में मानसिक उन्माद बढ़ता है, अनिश्चितता की स्थिति होती है, गलत आदतें पड़ती हैं, सभी कार्य अपूर्ण से रहते हैं और आत्मविश्वास में कमी आती है।
3.दक्षिण : यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड निवासियों में असुरक्षा की भावना एवं डर बढ़ता है, दुर्घटना एवं आकस्मिक मृत्यु हो सकती है, धैर्य में कमी आती है, स्वास्थ्य खराब रहता है और मानसिक विचलन बढ़ता है।
4. दक्षिण दक्षिण-पश्चिम यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड स्वामी को आर्थिक हानि होती है, भूखंड निवासियों में असुरक्षा एवं डर की भावना बढती है, घर की महिलाओं पर अशुभ असर होता है, निवासियों में गलत आदतें बढ़ती हैं और जीवन में हर तरफ से बाधाएं एवं निराशाएं आती हैं।
5. दक्षिण-पश्चिम यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड निवासियों में मानसिक विचलन एवं अस्थिरता बढ़ती है, आर्थिक हानि जैसा वातावरण रहता है, असुरक्षा की भावना बढ़ती है, बच्चों के लिए अहितकारी होता है, निवासियों का स्वास्थ्य खराब रहता है और प्रगति रुक सी जाती है।
6. पश्चिम दक्षिण-पश्चिम यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड का मुखिया अस्वस्थ रहता है, घर में कलह रहता है, आर्थिक हानि होती है, मुखिया में घर से अलग रहने की प्रवृत्ति आती है और मानसिक निर्बलता बढ़ती है।
7. उत्तर-पश्चिम (छॅ): यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड के निवासियों को अत्यधिक आर्थिक हानि हो सकती है, मानसिक निर्बलता बढ़ती है, दुर्घटना हो सकती है, जीवन में संघर्ष एवं बाधाएं बढ़ती हंै और कानूनी लड़ाई में हार होने की संभावना बढ़ती है।
8.पश्चिम उत्तर-पश्चिम यह वीथिशूल अशुभ है। भूखंड के निवासियों को आर्थिक हानि झेलनी पड़ती है, कोई भी कार्य योजना अनुसार पूर्ण नहीं हो पाता, शत्रु बढ़ते हैं, ऋण बढ़ते हैं, गलत आदतंे पड़ती हैं और जीवन में अस्थिरता आती है।
अशुभ वीथिशूल के उपाय प्रतिकूल वीथिशूल के अशुभ फलों में कमी के लिए निम्न उपाय किये जा सकते हैं:
1. भूखंड के वीथिशूल प्रभावित भाग को बाकी के भूखंड से अलग करके बेच दें।
2. जिस भूखंड भाग पर वीथिशूल है, उस दीवार पर आंतरिक और बाह्य तरफ से नौ-नौ पिरामिड बराबर-बराबर दूरी पर लगायें।
3. जिस भूखंड भाग पर वीथिशूल है उस पर दीवार की बाहरी ओर लोहे की तार लगा दें।
4. वीथिशूल वाले भूखंड भाग पर हरे-भरे पौधे लगाएं और यदि यह भाग दक्षिण-पश्चिम में हो तो चारदीवारी ऊँची करा लें।
5. वीथिशूल वाले भूखंड भाग के बाहरी ओर एक कन्वेक्स पाकुआ मिरर लगायंे जिससे नकारात्मक ऊर्जा परावर्तित हो जाय और भूखंड के अंदर न आने पाए।
6. वीथिशूल वाले भूखंड भाग के बाहर सड़क की दिशा में एक हैलोजन लाइट लगायें।
5. निष्कर्ष आम धारणा के विपरीत, प्रत्येक वीथिशूल भूखंड निवासी के लिए प्रतिकूल नहीं होता। इसीलिए भूखंड चयन के समय वीथिशूल का सूक्ष्म निरीक्षण आवश्यक है। अगर भूखंड खरीदने के पश्चात् अशुभ वीथिशूल का पता चले तो उपरोक्त उपायों में से संभव उपाय करने चाहिए या फिर वास्तु विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए।
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