लाल किताब के उपायों के प्रकार
लाल किताब के उपायों के प्रकार

लाल किताब के उपायों के प्रकार  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 18485 | सितम्बर 2015

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के उपायों की जब भी बात होती है तो ‘लाल किताब’ का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन एक प्रश्न आम तौर पर किया जाता है कि किस उपाय से कोई फायदा हो सकता है? रात के अंधेरे से बचने के लिए हर कोई एक उपाय करता है। इसके लिए किसी प्रकार के प्रकाश के स्रोत जैसे विद्युत लैंप, मोमबत्ती अथवा लालटेन का प्रयोग अवश्य किया जाता है। सर्द ऋतु से बचने के लिए हम गर्म कपड़े पहनते हैं। गर्म कपड़े सर्दी से बचने का एक उपाय है, चाहे वह स्वेटर हो, कोट हो, शाॅल हो अथवा कोई भी गर्म कपड़ा। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए हर मनुष्य भिन्न-भिन्न उपाय करता है।

‘लाल किताब’ के उपायों को मुख्य रूप से चार किस्मों में बांटा जा सकता है। पहली किस्म के उपाय आम उपाय हैं जो सभी करते हैं जैसे गाय को अपने भोजन का पहला ग्रास देना, परेशानी से बचने के लिए नारियल नदी में बहाना, बीमारी से बचने के लिए हलवा, कद्दू धर्म स्थान में देना। दूसरी किस्म के उपाय कुंडली में मंदे ग्रह की स्थिति के अनुसार होते हैं। इसके लिए कुंडली का अध्ययन करके कौन सा ग्रह किस खाने में बुरा असर डाल रहा है जैसे राहु खाना नं. 8 में हो तो सिक्का पानी में बहाना चाहिये, मंगल खाना नं. 8 के लिये, किसी विधवा से दुआ लेना, बुध खाना नं. 8 के लिए नाक छेदन से, शनि खाना नं. 6 में हो तो तेल की कुज्जी पानी की तलहटी के नीचे दबाने से, शनि खाना नं. 1 के लिए सुरमा जमीन में दबाने से कुछ लाभ होता है।

तीसरी किस्म के उपाय में फौरन उपाय - जब किसी मंदे ग्रह का उपाय काम न करे तो कुछ घंटों के अंदर उसका फौरन उपाय किया जाता है। जैसे सूर्य के लिए गुड़, मंगल के लिए रेवड़ियां, बुध के लिए तांबे का पैसा, राहु के लिए कोयला दरिया में बहाना लाभदायक होता है। चैथी किस्म के उपाय में पूर्व जन्म के ऋण के उपाय आते हैं- इन उपायों की आवश्यकता कम ही पड़ती है। पितृ ऋण का अर्थ है कि जातक पर अपने बुजुर्गों के पापों का गुप्त असर पड़ता है। जैसे घर में कोई दुर्घटना हो जाए तो उसका असर जातक पर सबसे अधिक पड़ता है।

पर उसके दुख से उसके सगे संबंधी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते अर्थात पापों का असर सगे संबंधियों पर भी अवश्य पड़ता है। इसी प्रकार कई पापों का असर कई बार भावी पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ता है। जैसे द्वितीय, पांचवें, नौवें और बारहवें खाने में शुक्र, बुध या राहु है तो पितृ ऋण होता है। इस कष्ट से पीड़ित व्यक्ति को वृद्धावस्था में कष्ट मिलते हैं। इसी प्रकार धन हानि, आदर-सम्मान न मिलना इसी प्रकार के अन्य कष्ट हैं।

इनसे मुक्ति पाने के लिए परिवार के सदस्यों से बराबर मात्रा में धन ले कर किसी शुभ कार्य के लिए दान देना चाहिए। कुछ अन्य उपाय पूजा द्वारा ग्रहों के उपाय: ‘लाल किताब’ के अनुसार विभिन्न ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं:

सूर्य - हरिवंश पुराण का पाठ व सूर्य देव की उपासना।

चंद्र: शिव चालीसा व सुंदर कांड का पाठ बुध: दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ

गुरु: श्री ब्रह्मा जी की उपासना व भागवत पुराण का पाठ शुक्र: लक्ष्मीजी की उपासना

शनि: श्री भैरव जी की उपासना व शराब से परहेज राहु: सरस्वती जी की उपासना

केतु: श्री गणेश जी की उपासना दान द्वारा ग्रहों के उपाय: ‘लाल किताब’ के अनुसार खराब ग्रहों के दुष्प्रभाव से मुक्ति के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का दान करना चाहिये।

सूर्य: तांबा, गुड़ व गेहूं चंद्र: चावल, दूध, चांदी या मोती मंगल: मूंगा, मसूर की दाल, खांड सौंफ बुध: हरी घास, साबुत मूंग, पालक गुरु: केसर, हल्दी, सोना, चने की दाल शुक्र: दही, खीर, ज्वार से सुगंधित वस्तु शनि: साबुत उड़द, लोहा, तेल या तिल राहु: सिक्का, जौ या सरसों। केतु: केला, तिल का काला कंबल ग्रहों को अलग-अलग खानों में पहुंचाने का तरीका ‘लाल किताब’ के अनुसार किसी भी संबंधित ग्रह की महादशा में जो अंतर्दशा चल रही हो उस ग्रह को अच्छे घर में स्थापित कर देने से मनचाहा फल प्राप्त किया जा सकता है। यदि वह अपने पक्के खाने का नहीं हो तो अवश्य ही फल देगा।

ग्रहों को अलग-अलग भावों में पहुंचाने की विधि इस प्रकार है-

-जिस ग्रह को पहले खाने में पहुंचाना हो तो उस ग्रह से संबंधित वस्तु को गले में धारण करना चाहिए।

- जिस ग्रह को दूसरे खाने में पहुंचाना हो उस ग्रह से संबंधित चीजों को मंदिर, गुरुद्वारे में दान देना चाहिये।

- जिस ग्रह को तीसरे खाने में पहुंचाना हो उसकी चीजें नग के रूप में या धातु के रूप में हाथ में धारण की जानी चाहिये।

- जिस ग्रह को चैथे खाने में पहुंचाना हो उस ग्रह से संबंधित चीजें बहते पानी में बहाना चाहिए।

- जिस ग्रह को पांचवें खाने में पहुंचाना हो उसकी चीजें स्कूल में दान करनी चाहिये। - जिस ग्रह को छठे खाने में पहुंचाना हो उस ग्रह से संबंधित वस्तुएं कुएं में डालनी चाहिये।

- जिस ग्रह को सातवें खाने में पहुंचाना हो उस ग्रह से संबंधित चीजें जमीन के नीचे दबानी चाहिये।

-जिस ग्रह को आठवें खाने में पहुंचाना उसकी चीजें श्मशान में दबानी चाहिये।

- जिस ग्रह को नौंवे घर में पहुंचाना है उसकी चीजें धारण करनी चाहिये।

- जिस ग्रह को दसवें खाने में पहुंचाना हो उसकी चीजों को पिता को खिलाना या पहनाना चाहिये अथवा सरकारी कार्यालय की छाया जहां पड़ रही हो उसके समीप की जमीन में गाड़ना चाहिये।

- जिस ग्रह को ग्यारहवें खाने में पहुंचाना हो उसका किसी प्रकार से उपाय नहीं करना चाहिये क्योंकि इस भाव में कोई ग्रह उच्च या नीच का नहीं होता।

- जिस ग्रह को बारहवें खाने में पहुंचाना हो उसे घर की छत पर रख देना चाहिए।

कुछ ध्यान देने योग्य बातें ‘लाल किताब’ में बताए गए किसी भी उपाय को कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिन करें। उपाय के बीच कोई बाधा या नागा नहीं आना चाहिए। यदि 39 वें दिन भी यदि बाधा या नागा आ जाए तो पुनः दोबारा से उपाय करने चाहिये। ‘लाल किताब’ में होरा का महत्व नहीं है पर उपाय सूर्योदय से सूर्यास्त काल के मध्य में ही करें। रात्रि में उपाय न करें। जातक स्वयं उपाय करे तो अच्छा है, पर विशेष परिस्थितियों में जातक का रक्त का संबंध रखने वाले भी कर सकते हंै।

उपायों से पूर्व उपाय विभिन्न ग्रहों के विभिन्न उपाय करने से पूर्व निम्नलिखित उपाय अवश्य करें। ‘लाल किताब’ के उपाय करने से पूर्व नहाना आवश्यक है। यदि नये वस्त्र धारण न कर सकें तो धुले हुए स्वच्छ वस्त्र धारण करें। - शाकाहारी भोजन करें।

- अतिथियों की सेवा करें।

- माता-पिता का आदर करें।

- किसी को अपशब्द न कहें।

- ससुराल के सदस्यों का पूर्ण सम्मान करें।

- शराब तथा मांस का सेवन न करें।

- घर में टूटे बर्तन न रखें।

- दिन में संभोग न करें।

- परस्त्री गमन न करें।

- प्रतिदिन बड़ों का आशीर्वाद लें।

विशेष सावधानियां लाल किताब के अनुसार कुछ विशेष सावधानियां रखनी चाहिए जैसे-

- यदि सूर्य सातवें व आठवें खाने में हो तो सुबह व शाम को दान न करें।

- चंद्रमा यदि छठे खाने में हो तो दूध या पानी का दान न करें। ऐसे जातक को कुआं तालाब न तो खुदवाने चाहिये और न ही मरम्मत करवानी चाहिए।

- चंद्रमा यदि बारहवें खाने में हो तो साधु व महात्मा को भोजन न दें और बच्चों को निःशुल्क शिक्षा न दिलवाएं।

- गुरु यदि सातवें खाने में हो तो मंदिर के पुजारी को वस्त्र दान न करें अथवा किसी अन्य को वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिये।

- यदि गुरु दसवें खाने में हो तो जातक को मंदिर नहीं बनवाने चाहिये।

-शुक्र यदि आठवें खाने में हो तो सराय या धर्मशाला न बनवाएं।

-शुक्र यदि नौंवे खाने में हो तो भिखारी को पैसा दान न करें।

- शुक्र यदि नौंवे खाने में हो तो अनाथ बच्चे को गोद नहीं लेना चाहिए।

- यदि शनि पहले खाने में तथा बृहस्पति पांचवें खाने में हो तो जातक को तांबे का दान नहीं करना चाहिये।

- शनि यदि आठवें खाने में हो तो जातक को सराय या धर्मशाला नहीं बनवानी चाहिये।

-जिन जातकों की कुंडली में दूसरा खाना खाली हो और आठवें खाने में शनि जैसा क्रूर ग्रह बैठा हो तो उसे मंदिर के अंदर न जाकर बाहर से ही अपने इष्ट देव को नमस्कार कर लेना चाहिये।

- यदि खाना नं. 2 खाली हो और छठे आठवें या बारहवें खाने में शत्रु ग्रह हों तो जातक को मंदिर नहीं जाना चाहिये।

ग्रहों से संबंधित रंग एवं वस्तुएं ग्रह रंग वस्तुएं सूर्य गेहुंआं गेहूं, सूर्य, तांबा, गुड़, लाल वस्त्र, माणिक्य चंद्र दूधिया दूध, चावल, सफेद वस्त्र, चांदी, मोती मंगल लाल सौंफ, मसूर की दाल, चीनी, बतासे, लाल वस्त्र, मूंगा बुध हरा साबुत मूंग, हरे वस्त्र, पन्ना गुरु पीला केसर, हल्दी, चने की दाल, बेसन, पीले वस्त्र, सोने का पुखराज शुक्र दही ज्वार, दही, सफेद वस्तुएं, इत्र्र, रूई, मिट्टी, हीरा शनि काला लोहा, साबुत, उड़द, सरसों का तेल, शराब, साबुन राहु नीला जौ, सिक्का, सरसों, गोमेद केतु काला काले सफेद तिल, काला सफेद कंबल सफेद



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