कुछ लोग एक ही समय पर हर देवी-देवता की पूजा करते हैं। वे हर तरह के तत्व को शक्तिवान कर लेते हैं परन्तु जीवन भर दुःखी रहते हैं। कारण यह है कि उन्होंने त्रिक भावों में स्थित विपरीत ग्रहों को भी जागृत कर लिया है। भारतीय ज्योतिष में त्रिक भाव अर्थात्- छठे, आठवें और बारहवें भावों को बुरे फल की श्रेणी में रखा गया है। छठा घर झगड़े, मुकदमें, ऋण, बीमारी का घर तो अष्टम भाव मौत का घर, पाताल के अंधेरे का, तो द्वादश भाव व्यय का, मोक्ष का और खुले आकाश का भी होता है। इन त्रिक भावों में स्थित ग्रहों की भेद भरी गाथा है। छठा भाव छठे भाव को ‘उपचय’ भाव भी कहा जाता है। उपचय का अर्थ है गतिशील। छठे घर में स्थित ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव बहुत तेज रफ्तार के साथ होता है। यह भाव मनुष्य के मानसिक संताप, दुश्मनी, बीमारी, ननिहाल परिवार, नौकरी, रखैल, भूतबाधा, कर्ज़ और फौजदारी मुकदमे का कारक है। छठे घर में स्थित विभिन्न ग्रहों का फल लाल किताब के अनुसार इस प्रकार होता है। सूर्य छठे भाव में सूर्य हो तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। स्वास्थ्य के लिए शुभ फल भी देता है परन्तु किसी गंभीर या लम्बी बीमारी का कारण नहीं बनता। सूर्य ऊँची राज सत्ता का कारक है परन्तु छठे घर में सूर्य ऐसे संन्यासी स्वभाव का हो जाता है जिसके लिए धन दौलत का कोई महत्व नहीं होता। वह अपनी किस्मत से संतुष्ट रहता है और किस्मत भी उसकी जरूरतें पूरी करती है। आर्थिक पक्ष से ऐसा सूर्य शाही अमीरी नहीं देता परन्तु गरीबी भी नहीं देता। ऐसे सूर्य के जो उपाय दिए गए हैं उनका तर्क यह है कि सूर्य अपनी ही वस्तु को स्वीकार करे और अपने अशुभ फल को समाप्त कर दे। उपाय बंदरों को गुड़ खिलाना, लाल चीटियों को सतनाजा डालना, मंदिर में दूसरों द्वारा दान की गई वस्तु अपने पास रखना (अपने पास से भी कुछ पैसे मंदिर में चढ़ाकर)। चंद्रमा छठे भाव में अशुभ चन्द्रमा मंगल की दृष्टि से और अशुभ हो जाता है। जब वह वृश्चिक राशि का हो या शनि, राहु, केतु से उसका सम्बन्ध हो अर्थात् इन तीनों ग्रहों में से कोई उसके साथ बैठा हो या चंद्र पर उसकी दृष्टि पड़ रही हो, चंद्र के साथ यदि केतु बैठा हो तो गुर्दे के रोग देता है। छठे घर का चंद्रमा माँ की सेहत व सुख के लिए अच्छा नहीं होता। राहु से सम्बन्ध मानसिक रोग पैदा करता है। शनि से सम्बन्ध शारीरिक एवं मानसिक कष्ट देता है। औरतों की कुडली में छठे घर का चंद्रमा बच्चे के जन्म के समय कठिनाई पैदा करता है। उपचार घर में खरगोश पालना, रात को दूध न पीना, मंदिर में दूध अर्पित करना। मंगल छठे घर में शुभ राशि का मंगल बाधाएं दूर करने वाला मंगल बन जाता है। यह दुश्मनों को मात देता है परन्तु मंगल शुभ होना चाहिए। फौज की नौकरी में जाना भी शुभ मंगल की निशानी है। होटल, ढाबा और रेस्तरां आदि भी इस मंगल के प्रभाव के अधीन हो सकते हैं। परन्तु यह मंगल अपनी सातवीं एवं आठवीं दृष्टि से बारहवें स्थान को भी प्रभावित करेगा और लग्न को भी। लग्न में वह खास तौर पर चोट करता है। यह चोट सिर या चेहरे पर लग सकती है। छठे घर का अशुभ मंगल व्यक्ति की रूचि हिंसक कर देता है अर्थात् अपनी शक्ति का गलत उपयोग करता है। उपाय हर महीने कन्याओं को जिमाएँ, संतान के जन्मदिन पर मिठाई की जगह नमकीन वस्तु बाँटें। -क्रमशः