कुछ उपयोगी टोटके ब्रजवासी संत बाबा पफतह सिंह की कलम से... ग्रहजन्य दोषों से मुक्ति के चमत्कारी टोटके ये टोटके 40-43 दिन तक लगातार सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य ही करने चाहिए। बीच में यदि कोई बाधा आ जाए तो इन्हें फिर से नए सिरे से आरंभ किया जा सकता है। सूर्य सूर्य की अशुभ स्थिति के फलस्वरूप होने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए रविवार को बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करना चाहिए। यदि सूर्य लग्न में व शनि सातवें भाव में हो अथवा सूर्य और शनि की युति हो, तो जातक को पितृ सुख नहीं मिल पाता। इसके अतिरिक्त उसकी स्त्री बीमार रहती है। वह स्वयं कामासक्त होता है। शनि अष्टम में हो, तो पुरुष कई विवाह करता है, क्योंकि उसकी स्त्रियां मरती रहती हैं। मंगल पंचम में हो, तो जातक के पुत्रों की अकाल मृत्यु होती है। सूर्य लग्न में हो और सातवां भाव खाली हो, तो जातक की शादी 24 वर्ष की आयु के पहले नहीं होती और 24 वां वर्ष अत्यंत दुखदायी होता है। उसे अपने घर में कुआं खुदवाना या चापा कल लगवाना चाहिए। सूर्य सातवें भाव में और शनि लग्न में हो या सूर्य को देखता हो, तो जातक के पुत्र संतान नहीं होती। उसके घर में कलह और गरीबी रहती है। उसे बिना सींग की काली गाय को रोटी खिलानी चाहिए और तांबे का एक चैकोर टुकड़ा गाड़ देना चाहिए। साथ ही भोजन का कुछ अंश अग्नि में आहुति के रूप में डालना चाहिए। यदि सूर्य सातवें भाव में हो, तो जातक के स्त्री से अलगाव, व्यापार में हानि, भागीदारों से झगड़े आदि की संभावना रहती है। इन समस्याओं से बचाव के लिए मीठा खाकर पानी पी लेना चाहिए। चंद्र चंद्र अशुभ हो तो जातक के माता-पिता बीमार रहते हैं, उसके घर में अशांति रहती है, वह मानसिक तथा शारीरिक कष्ट ग्रस्त रहता है। इसके अतिरिक्त उसे धन की हानि होती रहती है। इन समस्याओं से मुक्ति के लिए रविवार की रात सिरहाने के समीप सफेद धातु के बर्तन में दूध रख कर सोना चाहिए और सुबह उठते ही वह दूध पीपल या कीकड़ की जड़ में बिना बोले डाल देना चाहिए। यदि अकेला चंद्र अष्टम में हो और उसके शत्रु ग्रह जैसे बुध आदि लग्न में हों तो जातक को उसकी 34 वर्ष की आयु तक विशेष कष्ट होता है। उसे टी.बी., गुर्दे की बीमारी, मिरगी अथवा कैंसर होने की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए उसे निम्नलिखित उपाय करने चाहिए। घर में श्मशान घाट के कुएं का पानी रखें। घर में बुजुर्गों के पैर छुएं व बच्चों को दूध पिलाएं। चांदी का चंद्र बनाकर उसका पूजन करें। यह क्रिया तब तक करते रहें जब तक लाभ न हो जाए। चंद्र केतु के साथ किसी भी भाव में हो तो दूषित होता है। इस योग से प्रभावित जातक के उसकी दादी के जीवित रहने तक पुत्र संतान नहीं होती। उसे अपने घर में स्थित चापा कल का पानी जिस शिला पर गिरता हो उस शिला को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। उसकी स्त्री को अपने नेत्र व मस्तक दुग्ध मिश्रित जल से नियमित रूप से धोते रहना चाहिए और भैरों मंदिर में दूध चढ़ाना चाहिए।