टैरो: भविष्य कथन की पद्धति
टैरो: भविष्य कथन की पद्धति

टैरो: भविष्य कथन की पद्धति  

अविनाश सिंह
व्यूस : 4800 | अकतूबर 2006

प्रश्न: टैरो किसे कहते हैं।

उत्तर: भविष्य कथन की कई पद्धतियां हैं जिनमें एक का नाम टैरो है जो हर प्रकार की भविष्य वाणी करने में सक्षम मानी जा रही है। टैरो 78 कार्डों का डेक होता है जिसमें 22 कार्डों को मेजर आरकाना और शेष 56 कार्डों को माइनर आरकाना कहते हैं। इन कार्डों पर प्रायः चित्र अंकित होते हैं। इन चित्रों के आधार पर ही किसी भी प्रश्न का उत्तर दिया जाता है। भविष्यवाणी की इस पद्धति को टैरो कहा जाता है।

प्रश्न: इस पद्धति का इतिहास क्या है?

उत्तर: भविष्यवाणी की ‘‘टैरो’’ पद्धति कब, कैसे और किसने शुरू की इसके बारे में सही जानकारी आज तक किसी को नहीं है। फिर भी आमतौर पर यही माना जाता है कि भविष्यवाणी की यह पद्धति जिप्सियों द्वारा यूरोप पहुंची जहां इस पर काफी शोध हुआ। इस पद्धति की शुरुआत लगभग 14वीं शताब्दी में मानी जाती है। माना जाता है कि टैरो का प्रारंभिक प्रयोग इटली के एक प्राचीन खेल ‘टारोच्ची’ के लिए होता था। टारोच्ची एक प्रकार से ताश के खेल ‘ब्रिज’ का मिलता-जुलता रूप है, जो अभी भी दुनिया के कुछ हिस्सों में खेला जाता है। कार्डों की वर्तमान संख्या व बनावट टैरो कार्डों से कहीं अलग है। कहा जाता है कि टैरो कार्डों में छुपे रहस्य को सर्वप्रथम पेरिस के राज मिस्त्री ‘‘एन्टोइनी कोर्ट दी गेवेलिन’’ ने खोला और टैरो कार्डों से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित कीं। लेकिन ‘एटीला’, जो गेवेलिन का समकालीन था, ने सर्वप्रथम इन कार्डों को लोकप्रिय बना कर भविष्य कथन करने की इस पद्धति को उजागर किया। इस पद्धति को और लोकप्रिय बनाने वालों में एलिफास लेवी, ओसवाल्ड वर्थ, पाजूस आदि का बहुत हाथ रहा है। इस पद्धति की लोकप्रियता फ्रांस, इंग्लैंड और अन्य पश्चिमी देशों में भी धीरे-धीरे बढ़ी। टैरो कार्डों के इतिहास के बारे में यह भी कहा जाता है कि इन कार्डों की शुरुआत ‘मिस्र’, भारत और चीन में हुई है। ले-मो-3 प्रियमिटक 1781 के अनुसार ये कार्ड भारत में जिप्सियों द्वारा लाए गए थे। कुछ का मानना है कि इन का मुख्य स्रोत मिस्र है। जहां से 14वीं शताब्दी में ये इटली और फ्रांस पहुंचे। इस तरह से ‘टैरो कार्ड’ के इतिहास के बारे में कई प्रकार की मान्यताएं ह लेकिन सत्यता क्या है, कोई नहीं जानता। लेकिन आजकल इसकी बढ़ती हुई लोकप्रियता के कारण इसे भविष्य कथन की पद्धति में मील का पत्थर माना जाता है।


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प्रश्न: टैरो कार्डों द्वारा भविष्य कथन पद्धति किस प्रकार कार्य करती है?

उत्तर: टैरो कार्डों के विभिन्न समूह जीवन को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कार्डों पर अंकित चित्रों में छुपे रहते हैं। जातक का संबंध जिन कार्डों से बनेगा उन कार्डों के चित्र ही जातक के भविष्य में होने वाली हर घटना के सूचक होते हंै। सत्य तो यह है कि ये कार्ड भविष्य का दिशा-निर्देश ही देते हैं। ये उन स्थितियों का वर्णन करते हैं जो भूतकाल में थीं और वर्तमान और भविष्य में उनका जातक पर क्या प्रभाव होगा।

प्रश्न: मेजर आरकाना और माइनर आरकाना में क्या भिन्नता है?

उत्तर: टैरो कार्ड वास्तव में दो भागों में बंटे होते हैं जो मेजर आरकाना और माइनर आरकाना कहलाते हैं। मेजर आरकाना 22 कार्डों का सेट होता है और माइनर आरकाना 56 कार्डों का। मेजर आरकाना कार्डों को ट्रंप के नाम से भी जाना जाता है। इन कार्डों को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इन पर अंकित प्रत्येक चित्र अपने आप में बहुत ही गहरे अर्थों से भरा होता है। ये सभी कार्ड ग्रहों, राशियों, और प्राकृतिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। कार्डों को खोलने पर यदि मेजर आरकाना के कार्ड अधिक हांे, तो यह स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है। माइनर आरकाना में 14-14 कार्डों के चार सेट होते हैं, जिन्हें सूत भी कहते हैं। इन चार सूतों के नाम हंै- वैन्ड्स, कप्स, स्वोडर््स और पैन्टाकल्स जो क्रमशः अग्नि, पानी, हवा और पृथ्वी तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक सूत में 14 कार्ड होते हैं, जिनमंे 10 कार्डों पर 1 से 10 (अंक और चित्र सूत के नाम से) अंकित होते हैं और शेष चार कार्ड किंग्स, क्वीन्स, नाइट्रस और पेजेस के नाम से जाने जाते हैं। इन्हें कोर्ट कार्ड्स के नाम से भी जाना जाता है। माइनर आरकाना आम जीवन की घटनाओं, गतिविधियों तथा भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये कार्ड्स हर व्यक्ति के जीवन के प्रति हमारे खास दृष्टिकोण का परिचायक हैं।

प्रश्न: क्या टैरो कार्ड के डेक कई प्रकार के होते हैं?

उत्तर: आजकल बाजार में टैरो कार्डों के कई प्रकार के डेक उपलब्ध हैं, जिन पर चित्र भी भिन्न-भिन्न प्रकार के अंकित हैं, लेकिन सभी डेक का लक्ष्य एक ही है। समय के अनुसार कार्डों के रूप में कुछ बदलाव आता ही है और आया भी है। शुरू में टैरो कार्डों का डेक एक ही तरह का था, जिसमें 78 कार्ड होते थे जो मेजर और माइनर आरकाना पर आधारित होते थे। पुराने और नये कार्डों का लक्ष्य एक ही है- भविष्य कथन। इन कार्डों के डेक में सबसे अधिक राइडरवेट और पलेडीन हैं, जिन्हें दुनिया भर में स्वीकार किया गया है।


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प्रश्न: जातक के प्रश्न का उत्तर देने के लिए टैरो कार्डों को कैसे लगाया जाता है?

उत्तर: जैसे जातक आप से किसी विषय पर प्रश्न करता है, तो सबसे पहले टैरो कार्डों को वैसे ही मिलाएं जैसे ताश के पत्तों को मिलाया जाता है ताकि कार्ड्स अच्छी तरह मिल जाएं। फिर आप जातक को कार्ड्स की गड्डी को काटने को कहें, और कटे हुए कार्डों को एक तरफ रख दें और जो कार्ड हाथ में हैं, उन्हें एक-एक कर के खोलना शुरू करें। इस तरह से आप 13 कार्डों को खोलें और टेबल पर बिछा दें। हर एक कार्ड का संबंध प्रश्न से होगा। कार्ड पर अंकित चित्र की व्याख्या के अनुसार आप प्रश्न का उत्तर जातक को दें।

प्रश्न: क्या ये 13 कार्ड किसी विशेष आकृति में ही बिछाए जाते हैं?

उत्तर: कार्डों को बिछाने के तरीके आजकल भिन्न-भिन्न हो गए हंै। लेकिन पहले किसी खास आकृति में भी लगाए जाते थे जिसे सेल्टिक-क्राॅस कहा जाता था। लेकिन जैसे-जैसे इस पद्धति पर शोध होता गया वैसे-वैसे ही कार्डों को बिछाने के तरीके भी बदलते गए। आज भी कई अच्छे टैरो-रीडर सेल्टिक क्राॅस का ही प्रयोग करते हैं।

प्रश्न: क्या फलित करते समय 13 कार्डों को ही लिया जाता है? या इनसे कम और अधिक भी लिए जा सकते हैं?

उत्तर: आरंभ में 13 कार्डों का ही चलन था। लेकिन आजकल इसे और आसान कर दिया गया है। फलित करने वाले 3 कार्डों का भी प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त 6, 9 या 12 कार्डों को लेकर भी फलित कर सकते हैं। फिर भी 13 कार्ड और सेल्टिक-क्राॅस फलित के लिए अधिक सक्षम हैं।

प्रश्न: क्या टैरो कार्ड एक ही समय सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं?

उत्तर: टैरो कार्डों से एक समय में एक ही प्रश्न का उत्तर सही मिल सकता है, सभी प्रश्नों के नहीं। इसलिए एक समय पर एक ही प्रश्न करें। प्रश्न का उत्तर भविष्य में होने वाली घटना का सिर्फ दिशा-सूचक ही होता है।


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प्रश्न: टैरो पद्धति का वैज्ञानिक आधार क्या है?

उत्तर: ज्योतिष को छोड़ कर भविष्य कथन करने वाली किसी भी पद्धति का आधार वैज्ञानिक नहीं है। इसी तरह टैरो पद्धति का भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। हां इसका आधार आध्यात्मिक और दार्शनिक जरूर है। जिसने भी इस पद्धति का आविष्कार किया होगा, उस व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर बहुत ऊंचा रहा होगा क्योंकि कार्डों पर जो चित्र अंकित किए गए हैं, उनका आध्यात्मिक और दार्शनिक सत्र बहुत गहरा है। इन चित्रों की व्याख्या करने वाले का भी आध्यात्मिक स्तर यदि मजबूत हो, तो वह एक अच्छा टैरो रीडर बन सकता है।

प्रश्न: मेजर आरकाना के 22 कार्डों के नाम क्या हैं और ये किन तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं?

उत्तर: मेजर आरकाना के कार्डों के नाम अलग-अलग हैं और इन पर अंकित चित्र ग्रहों, राशियों और प्रकृति तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनका विस्तृत वर्णन इस प्रकार है।

1. दी फूल - वायु तत्व

2. दी मैजिशियन - बुध ग्रह

3. दी हाई प्रीस्टेसस - चंद्र ग्रह

4. दी एम्प्रेस - शुक्र ग्रह

5. दी एम्परर - मेष राशि,

6. दी हायरोफेंट - वृष राशि

7. दी लवर्स - मिथुन राशि

8. दी चैरियट - कर्क राशि,

9. जस्टिस - तुला राशि

10. दी हरमित - कन्या राशि

11. दी ह्वील आफ फारचून - गुरु ग्रह

12. स्ट्रेंग्थ - सिंह राशि

13. दी हैंग्ड मैन - जल तत्व और नेप्च्यून ग्रह

14. डेथ - वृश्चिक

15. टेम्परेन्स- धनु राशि,

16. दी डेविल - मकर राशि

17. दी टावर - मंगल ग्रह

18. दी स्टार - कुंभ राशि

19. दी मून - मीन राशि

20 दी सन सूर्य ग्रह

21. जजमेंट - अग्नि तत्व और प्लूटो ग्रह

22 दी वल्र्ड - शनि ग्रह।

प्रश्न: माइनर कार्डों के चार सूत (समूह) किस का प्रतिनिधित्व करते हैं?

उत्तर: माइनर कार्डों के चार सूत इस प्रकार हैं।

1. वैन्ड्स: यह अग्नि तत्व का माना गया है जिसका संबंध उत्साह, साहस, गतिशीलता, सृजनशीलता और पुरुष वृत्ति से है।

2. कप्स: यह जल तत्व का माना जाता है जिसका संबंध भावना, आध्यात्मिकता, परिवर्तनशीलता और स्त्री वृत्ति से है।

3. स्वोर्ड्स: इसका संबंध वायु तत्व से है जो बुद्धिमत्ता, विचार और तर्क का प्रतिनिधित्व करता है। यह आदर्शवादी, न्यायप्रिय, नैतिक सिद्धांतवादी एवं मानिसक स्पष्टता का प्रतीक है।

4. पैन्टाकल्स: यह पृथ्वी तत्व का माना जाता है, जिसका संबंध व्यावहारिकता, सुरक्षा और भौतिकता से है जो समृद्धि एवं संपन्नता का प्रतिनिधित्व करता है।


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प्रश्न: माइनर आरकाना के चार सूतों में कोर्ट कार्ड की क्या विशेषता है?

उत्तर: चार सूतों में चार-चार कार्ड कोर्ट कार्ड्स कहलाते हैं, जिनके नाम किंग, क्वीन, नाइट व पेज हैं जो क्रमशः बादशाह, बेगम, गुलाम और परिचर से भी जाने जाते हैं। इन चारों कार्डों की विशेषता इस प्रकार है।

1. किंग (बादशाह): मर्दानगी का प्रतीक है। इससे संबद्ध व्यक्ति सृजनशील, प्रेरणादायक, शक्ति संपन्न, करिश्माई व्यक्तित्व का धनी और बहादुर होता है।

2. क्वीन (रानी): नारीत्व का प्रतीक है। इससे संबद्ध महिलाएं आकर्षक, कोमल हृदय, भावुक, हंसमुख और सुंदर होती हैं। वे आमोद-प्रमोद प्रिय और विश्व का हर आनंद प्राप्त करने की इच्छुक होती हैं। उनका संबंध भावनाओं और आत्माभिव्यक्ति से रहता है।

3. नाइट (गुलाम): यौवन का प्रतीक है। इससे संबद्ध व्यक्ति ऊंची उड़ान भरने वाला, जोशीला, सफलता का इच्छुक, अपने कर्म के प्रति निष्ठावान और ईमानदारी से सेवा करने वाला होता है।

4. पेज (परिचर): यह एक बच्चे का प्रतीक है जो अपने खेल खिलौने में मस्त रहता है। उसमें मस्ती, आराम और स्फूर्ति का भाव भरा होता है। यह साहस का भी प्रतीक है।

प्रश्न: यदि कार्डों को मिलाते समय या बिछाते समय कोई कार्ड उलटा पड़े तो इसका क्या प्रभाव होता है?

उत्तर: यदि कार्ड सीधा हो, तो इसकी ऊर्जा सकारात्मक होती है और इसका प्रभाव जातक पर अच्छा पड़ेगा। इसके विपरीत यदि कार्ड उलटा पडे़, तो यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। अर्थात जातक पर उस कार्ड का प्रभाव उलटा पड़ेगा। या उस कार्ड की जो भी व्याख्या होगी उसके प्रभाव में रुकावट आ सकती है। कार्ड की ऊर्जा के स्तर में परिवर्तन आता है और प्रभाव बदल जाता है।

प्रश्न: ज्योतिष और टैरो का आपसी संबंध क्या है?

उत्तर: ज्योतिष और टैरो का पहला संबंध तो यह है कि दोनों का मुख्य लक्ष्य भविष्यवाणी करना है। दूसरा ज्योतिष में ग्रह, राशि, नक्षत्र आदि से भविष्यवाणी की जाती है। इसके अनुरूप टैरो कार्डों से बनी हर आकृति ग्रह, राशि या तत्व का प्रतिनिधित्व करती है जिसके आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। ग्रह, राशियां आदि टैरो में भी उतना ही महत्व रखते हैं जितना ज्योतिष में। ज्योतिष जहां जन्मकुंडली से ग्रहों को देखता है वहीं टैरो कार्डों के माध्यम से ग्रहों का प्रभाव देखा जाता है। अर्थात भविष्यवाणी करने का माध्यम कोई भी हो उसका आधार ग्रह, राशियां आदि ही होते हैं। इसलिए ज्योतिष और टैरो का आपस में चोली दामन का संबंध है।



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