1. खाने के लिए मत जियो, जीने के लिए खाओ। 2. प्रभात के समय एक गिलास पानी पीयें। 3. टहलना, योगासन, व्यायाम हर रोज करें। 4. जलनेती, सुत्रनेती व कभी-कभी कुंजल भी करें। 5. आंवला या त्रिफला का पानी पीयें। 6. सुबह दो तुरी लहसुन पानी के साथ निगलें। 7. सुस्ती को भूल जायें, चुस्ती से रहें। 8. थकावट के बाद आराम करें। 9. स्वयं पर निगरानी रखें। 10. नित्यक्रिया के बाद शक्ति अनुसार प्राणायाम जरूर करें। 11. हमारा भोजन ही औषधि है। 12. शौच जाउं कि न जाउं तो निर्णय करें, अवश्य जाउं। 13. अंकुरित अनाजों का प्रयोग अवश्य करें। 14. आंखों पर पानी के छीटें दिन में दो-तीन बार लगायें। 15. भोजन करूं कि ना करूं तो निर्णय लें, न करूं। 16. बुरे विचारों का त्याग व अच्छे विचारों को ग्रहण करें। 17 भोजन करते समय मौन रहने का प्रयत्न करें। 18. प्रातः व सायं काल हरि स्मरण अवश्य करें। 19. मन में निराशा को स्थान न दें। 20. भोजन में सलाद व फल मौसम के अनुसार अवश्य लें। 21. भूख लगे तब खायें, थोड़ा-थोड़ा खायें, चबा-चबा कर खायें। 22. भोजन में हाथ चक्की का आटा चोकर समेत, चावल कण व मांड़ सहित, सब्जी छिलके सहित तथा समय के अनुसार फलों का सेवन अवश्य करें। 23. जो लोग प्रभात में नहीं उठते, वे भी स्वस्थ नहीं रह सकते। 24. सप्ताह में एक दिन उपवास पानी पीकर करें या रसाहार, फलाहार करें। 25. खाने के साथ पानी न पीयें। पानी आधा घंटा पहले या एक घंटा बाद पीयें। 26. भोजन में खटाई, मिर्च, मसाला, चीनी तथा तली हुई चीजों का परहेज करें। 27. उत्तेजक पदार्थों जैसे चाय, काफी, पान, तंबाकू इत्यादि का सेवन न करें। 28. धूम्रपान व शराब, स्मैक जैसी वस्तुओं का प्रयोग न करें। इनसे शरीर तथा मन सभी खराब होते हैं इनसे भयंकर बीमारियों का जन्म होता है। 29. खाने को आधा करें, पानी को दो गुणा करें, कसरत को तीन गुणा करें, हंसने को चार गुणा करें तथा हरि स्मरण को पांच गुणा करें। 30. कर्म करें, प्रभु पर छोड़ दें, फल के पीछे ना दौड़ें, तभी दुखों से बच सकेंगे, जीवन का आनंद ले सकेंगे। 31. जैसा व्यवहार आप अपने साथ चाहते हो, वैसा ही दूसरों के प्रति करें। 32. जो कुछ भी आप करतें हैं, उसे प्रभु को अर्पण करते चले जायें, ऐसा करने से जीवन का सच्चा आनंद मिलेगा। 33. गौमाता का दूध स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है, उसका उपयोग हमें अवश्य करना चाहिए, उससे हमारा तन व मन हमेशा स्वस्थ रह सकेगा। 34. फल व सब्जियां अनुकूलता के मुताबिक छिलके सहित व दालें भी छिलके वाली प्रयोग करें। 35. प्रतिदिन ताजे पानी से स्नान करने की आदत डालें इससे मनुष्य स्वस्थ रहता है। 36. सोने के लिए डनलप के गद्दे का प्रयोग न करें। तख्त पर सोने की आदत डालें, मुलायम बिस्तर व तकिये का प्रयोग न करें। रूई का पतला गद्दा प्रयोग करें। 37. सुबह का नाश्ता हल्का रखें। मौसम के अनुसार फल, दूध, अंकुरित अनाज का प्रयोग करें। 38. स्वयं मालिश करें व सुबह की धूप बदन पर लगायें, उससे रोग दूर होते हैं, विटामिन डी भी मिलेगी। 39. प्रकृति के समीप रहना व प्रकृति के नियमों का पालन करना ही स्वास्थ्य का रहस्य है। 40. प्रातः उठते तथा सोते समय दांतों को भली प्रकार से साफ करें तथा जीभ साफ करें। प्रस्तुति: डा. सुमेर चन्द गुप्ता (एन. डी.) महामंत्री हरियाणा प्राकृतिक चिकित्सक परिषद्