गौऊ माहात्म्य
गौऊ माहात्म्य

गौऊ माहात्म्य  

श्रीकृष्ण शर्मा
व्यूस : 14229 | मार्च 2013

’’ महाभारत ’’ अनु. (18/33-35) में वर्णित है कि ’’जो पुरुष, गौआं की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुष्ट होकर गौएं उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं । गौओं के साथ मन से भी द्रोह न करें, उन्हे सदा सुख पहुंचायें, उनका यथोचित सत्कार करें और नमस्कार आदि के द्वारा उनका पूजन करते रहं । जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौआं की सेवा करता है, वह समृद्धि का भागी होता है।

1. ज्योतिष में गौ महिमा

(i)- ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिये सर्वोत्तम माना जाता है।

(ii) यदि यात्रा के प्रारम्भ में गाय सामने पड़ जाये अथवा बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने दीख जाये तो यात्रा सफल हो जाती है।

(iii) जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राषि कन्या पर हो, शुक्र की दषा चल रही हो या शुक्र अषुभ भाव ( 6, 8, 12 ) मं स्थित हो तो अपने प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की देषी गाय को 43 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंघित कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। शुक्र की महादषा 20 वर्ष की होती है अतः हमेषा भी रोटी दें तो शुभ फल प्राप्त होता है ।

(iv) गौ को रोटी देने से जन्मपत्री में पितृदोष हो तो हमेषा के लिये समाप्त हो जाता है। प्रतिदिन अथवा पितृ अमावस्या को गाय को गुड़, चारा, रोटी आदि देने से इस दोष से मुक्ति मिल जाती है ।

2. गोप अष्टमी से अभीष्ट सिद्धि और सौभाग्य वृद्धि - इस अष्टमी का उल्लेख ’’ निर्णयामृत ’’ एवं ’’ कूर्मपुराण ’’ मं है। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को प्रातः काल के समय गौआं को स्नान करायें। गंध पुष्पादि से पूजन करें तथा अनेक प्रकार के वस्त्रालंकार से अंलकृत करके उनके गोपालां (ग्वालों) का पूजन करें । गायों को गौ ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करं और थोड़ी दूर तक उनके साथ जायं तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है। इसी गोपाष्टमी को सायं काल के समय जब गायें चरकर वापस आयें उस समय भी उनका आतिथ्य अभिवादन करें, कुछ भोजन करायें और उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण कर ललाट पर लगायें तो सौभाग्य की वृद्धि होती है।

3. गाय के सींग में ब्रह्मा विष्णु महेष:- ’’भविष्य पुराण’’ में कहा गया है कि शृंगमूले गवां नित्यं ब्रह्मा विष्णुष्च संस्थितौ । श्रंरग्राग्रे सर्व तीर्थानि स्थावराणि चराणि च।। षिवो मघ्ये महादेवः सर्वकारण कारणम। ललाटे संस्थिता गौरी नाषावंषे च शणमुखः।। गौआं के सींग की जड़ में सदा ब्रह्मा और विष्णु प्रतिष्ठित हं । सींग के अग्र भाग मे चराचर समस्त तीर्थ प्रतिष्ठित हं। सभी कारणांे के कारण स्वरुप महादेव षिव सींगों के मघ्य मे प्रतिष्ठित हैं। गौ के ललाट में गौरी तथा नासिका के अस्ति भाग मे भगवान कार्तिकेय प्रतिष्ठित हैं।

4. तीर्थों का निवास:- 68 करोड़ तीर्थ एवं 33 करोड़ देवी-देवताआं का चलता -फिरता विग्रह गाय ही है ।

5. गौ सेवा से गोदान का फल ’’बृहत्पराषर स्मृति ’’ घोषणा करती है कि ’’ गाय की पीठ पर हाथ फेर दिया, बढ़िया से उसको खुजोरा कर दिया, उसको मक्खी -मच्छर से बचाने के लिये आपने गोषाला मे धुआं कर दिया, तो नित्य ऐसा करने वाले को कपिला गाय के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। गोदान करने वाला तो जीवन में गोदान ही करेगा लेकिन निष्काम भाव से गो सेवा करने वाला नित्य गोदान का पुण्य पाता है ।

6. गायों के जल पीने में विघ्न डालना महापाप:- गोकुलस्य तृषार्तसय जलार्थे वसुधाधिप उत्पादयति योविघ्नं तं विद्याद ब्रह्मधातिनम ।। राजन ! जो प्यास से व्याकुल गायों को जल पीने में विघ्न डालता है, उसे ब्रह्महत्यारा समझना चाहिये। महाभारत में वर्णित

7. मोक्ष प्राप्ति का साधन गाय -मृत्यु कटु सत्य है ’गरुड़ पुराण’ घोषणा करता है कि वैतरणी नदी पार करने का एक मात्र साधन गाय ही है ।

8. संतान (पुत्र) प्राप्ति:- गाय के दूध से बनाये जाने वाले पदार्थों जैसे मावा, दही, छाछ मं वीर्यवर्धक एवं पुष्टिवर्धक पदार्थ होते हैं जो शीघ्र सन्तान की ईच्छा रखने वालां के लिये अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होते हैं। ’’व्रत परिचय ’’ने गाय के पूजन से इसका सटीक उपाय बताया है। किसी सौभाग्यवती स्त्री को पुत्र न होता हो तो वह कार्तिक, मार्गषीर्ष या बैषाख शुक्ल पक्ष मं पहले गुरुवार को गौ पूजन प्रारम्भ करें। प्रातः काल नित्य कृत्य से निवृत्त होकर अपनी या पराई किसी भी गौ को मकान के प्रांगण में पूर्वाभिमुख खड़ी करके स्वयं उत्तराभिमुख होकर शुद्ध जल से उसकी चरण वंदना करें। फिर उसके ललाट को धोकर मध्य मं रोली का टीका लगायें और अक्षत चढायें फिर करबद्ध नतमस्तक होकर प्रार्थना करं कि ’’हे माता! म्झे पुत्र प्रदान कर।’’ इस प्रकार वर्ष भर करना चाहिये ।

9. गायों के कीर्तन एवं श्रवण से पापों का नाष:- कीर्तनं श्रवणं दानं दर्षनं चापि पार्थिव। गवां प्रषस्यते वीर सर्वपापहरं षिवम ।। महाभारत में वर्णित वीर नरेष ! गायां के नाम और गुणों का कीर्तन तथा श्रवण करना, गायां का दान देना और उनका दर्षन करना बहुत प्रषंसनीय समझा जाता है और इनसे सम्पूर्ण पापों का नाष तथा परम कल्याण की प्राप्ति होती है।

10. गौ दूध पर वैज्ञानिक शोध

(i) मां के दूध के समकक्ष: गाय के दूध पर वैज्ञानिकों ने अनेक शोध किये हैं। प्रो एन. एन. गोडकेले के अनुसार गाय के दूध में सभी महत्वपूर्ण तत्व जैसे अल्बुमिनाइड , वसा , लवण, तथा कार्बोहाइडेªट तो है ही साथ ही समस्त विटामिन भी उपलब्घ हैं। अनेक शोध के पष्चात् यह भी पाया गया है कि गाय के दूध में 8 प्रतिषत प्रोटीन, 0.7 प्रतिषत खनिज व विटामिन ए,बी,सी,डी व ई प्रचुर मात्रा मं विद्यमान है, जो गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिये अत्यन्त उपयोगी होता है। दूध में कैलोरी 65 प्रतिषत , प्रोटीन 3.3 प्रतिषत , वसा 4.1 प्रतिषत होती है , जो मां के दूघ के लगभग समकक्ष है ।

(ii) ओमेगा 3 से भरपूर:- वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि ओमेगा 3 केवल गाय के दूध में ही सबसे अघिक मात्रा मंे पाया जाता है। आहार में ओमेगा 3 से डी.एच.ए., बढ़ता है। ई.एफ.ए., मं दो तत्व ओमेगा 3 और ओमेगा 6 बताये जाते हैं । मस्तिष्क का संतुलन इसी तत्व से बनता है । विदेषी वैज्ञानिक इसके कैप्सूल बनाकर दवा के रुप में इसे बेचकर अरबों खरबां रुपये का व्यापार कर रहे हैं ।

(iii) असाध्य बीमारियों की समाप्ति:- गाय के दूध में ’स्टोनटियन ’ नामक ऐसा पदार्थ भी होता है जो अनुविकिरण प्रतिरोधक होता है। यह असाध्य बीमारियों को शरीर पर आक्रमण करने से रोकने का कार्य भी करता है। यह रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है जिससे रोग का प्रभाव क्षीण हो जाता है ।

(iv) टी.बी. और कैंसर से मुक्ति गाय के दूध में एच.डी.जी. आई प्रोटीन होने के फलस्वरुप रक्त की षिराओं में कैंसर प्रवेष नहीं कर सकता। आयुर्वेद के अनुसार क्षय (टीबी) रोगी को गाय का दूध पिलाने से इस रोग से मुक्ति मिलती है ।

(v) हार्ट अटैक की समाप्ति इन्टरनेषनल कार्डियोलाजी के अघ्यक्ष डा. शान्तिलाल शाह ने कहा है कि भंस के दूध मे लोगंचेन फैट होता है, जो नसां मे जम जाता है । भरी पड़ी नसें हार्ट में जम जाने के फलस्वरुप हार्टअटैक की सम्भावना अघिक हो जाती है इसलिये हदय रोगियों के लिये गाय का दूध ही सर्वोत्तम है ।

(Vi) चलता फिरता अस्पताल है गाय अमेरिका के कृषि विभाग मं प्रकाषित पुस्तक ’’ द काउ वन्डरफुल लेबोरेट्री ’’ मं गौ को आष्चर्य जनक रसायनषाला घोषित किया है , जो समस्त बीमारियों के लिए एक चलता- फिरता अस्पताल है । इसके दूध से हर बीमारी का उपचार संभव है ।

(Vii) गाय का दूध बचाएगा एच.आई.वी (एड्स) से:- मेलबर्न - आस्टेªलिया मं हुए अध्ययन में दावा किया गया है कि गाय के दूध को आसानी से ऐसी क्रीम में बदला जा सकता है जो इंसान को एच.आईवी. से बचा सकता है। मेलबर्न विश्व विद्यालय के वैज्ञानिक कामरकी ने पाया कि जब गर्भवती गायों को एच.आई.वी. प्रोटीन का इंजेक्षन दिया गया तो उसने उच्चस्तरीय रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला दूध दिया, जो नवजात बछडे़ को बीमारी से बचाता है। योजना दूध को क्रीम में बदलने से पहले उसके प्रभाव, सुरक्षा का परीक्षण करना है। यह क्रीम पुरुषों से यौन संबंघ के दौरान एड्स वायरस से बचा सकती है ।

11. बौद्धिक विकास से भरपूर

(i) हार्न बजाने पर गाय एक बार मं हट जाती है जबकि भैंस 3 बार मं भी नहीं हटती ।

(ii) जन्म लेने पर गाय का बछड़ा गेंद की तरह उछलता है जबकि भैंस का पाड़ा रेंगता है ।

(iii) 50 गायां को एक साथ खड़ी कर किसी एक गाय के बछड़े को छोड दिया जाये तो वह दौड़कर अपनी मां के पास ही पहुंचता है जबकि भंस के पाड़े को उसकी मां के पास लेकर जाना पड़ता है । ऋग्वेद (8/ 101/ 15 ) में उल्लिखित है ’’ गाय रुद्रां की माता, वसुओं की पुत्री ,अदिति पुत्रों की बहन और घृतरुप अमृत का खजाना है। अतः प्रत्येक विचारषील पुरुष इस निरपराध जीव का वध न करे।’



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