कुछ उपयोगी टोटके ग्रहजन्य दोषों से मुक्ति के चमत्कारी टोटके बुध: बुध को शांत करने के लिए छेद किया हुआ तांवे का पैसा या प्लेट बहते पानी में डाल दें और कौड़ियों को जलाकर उसकी राख को दरिया में बहा दें। बुध व केतु लग्न और सुख भाव को छोड़कर किसी भी भाव में स्थित हों तो अशुभ होते हैं। उक्त दोनों ग्रहों के इस योग से प्रभावित व्यक्ति का जीवन उसकी आयु के 34 वें वर्ष तक गरीबी, बेरोजगारी और कलह में गुजरता है। इससे बचाव के लिए नाक छिदवाना और फिटकरी से दांत साफ करना चाहिए। इसके अतिरिक्त छोटी बालिकाओं को पीले हलवे का प्रसाद बांटना और देवी के मंदिर में केसर चढ़ाना चाहिए। यदि बुध तीसरे भाव में स्थित होकर अशुभ फल दे रहा हो तो मंगल की रात को साबुत मूंग की दाल भिगो दें और बुधवार सुबह ही उसे चिड़ियों को चुगा दें और साबुत मंूग का दान करें। बृहस्पति: इसके शुभ प्रभाव को अधिक बली करने के लिए शुद्ध केसर को नाभि तथा जीभ पर लगाना चाहिए। वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए सोने के दो सामन टुकड़े लेकर कन्या एक टुकड़े को बहते पानी में डाल दे और दूसरे को अपने पास रखे। पास रखे हुए टुकड़े को कभी भी किसी को दान न करे और न ही बेचे। सोने के अभाव में समान भार के केसर व हल्दी की पुड़ियां इस तरह काम में लाई जा सकती हैं। यदि अष्टम भावस्थ गुरु अशुभ फलकारी हो तो मंदिर में पीली वस्तु का दान करें और पीपल को जल चढ़ाए। गुरु द्वादश भाव में हो तो जातक धनवान होगा, लेकिन उसकी संतान अभाग्यशाली होगी। ऐसे में जातक को मस्तक पर पीला तिलक लगाना चाहिए और साधुओं, पीपल व निर्बल निर्धन लोगों की सेवा करनी चाहिए। इस टोटके के फलस्वरूप व्यापार में उन्नति होगी तथा संतान का भाग्य संवर जाएगा। शुक्र: यदि शुक्र को अधिक लाभकारी बनाना चाहते हो, तो गाय के दूध व ज्वार का दान करें और अपने भोजन का कुछ भाग सफेद गाय व सफेद बैल को खिलाएं। यदि शुक्र लग्न में अशुभ हो तथा भाव 7 व 10 में कोई ग्रह नहीं हो, तो जातक की शादी आयु के 25 वें वर्ष में होती है। किंतु शादी के पश्चात शीघ्र ही उसके गरीब हो जाने और उसकी पत्नी की मृत्यु की संभावना रहती है। ऐसे में गोमूत्र का सेवन करना चाहिए और सात अनाजों का मिश्रित अन्न पक्षियों को खिलाना चाहिए। यदि पापी शुक्र द्वितीयस्थ हो और गुरु भाव 8, 9 या 10 में हो, तो जातक का वैवाहिक जीवन दुखमय हो सकता है। इससे बचाव के लिए मंगल तत्व प्रधान औषधि का सेवन चाहिए।