वदिक काल से ही आदि देव भगवान शिव के शंकर, शंभु, रुद्र, महादेव, भोले नाथ आदि विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है। भगवान शिव की उपासना तंत्रों में भी वर्णित है। पंचदेवोपासना में प्रमुख शिव, विष्णु, सूर्य, शक्ति एवं गणेश जी की पूजा का विधान है।
शिव भगवान पंच मुख एवं त्रिनेत्र रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके एक मुख और एकादशमुख रूप का पूजन भी किया जाता है।
शिव उपासना ध्यान मंत्र:
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात्स्तुतम मरगण् ौव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्ववाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
मंत्र:
ॐ नमो हराय।
ॐ नमो महेशाय।
ॐ नमः शूलपाणये।
ॐ नमः पिनाकिने।
ॐ नमः पशुपतये।
ॐ नमः शिवाय।
ॐ नमो महादेवाय।
मिट्टी की 7 पिंडियां बना कर उनका पूजन एक साथ ऊपर वर्णित सातों मंत्र से करें। इसके बाद प्रत्येक का पूजन पंचोपचार विधि से करते हुए सातों का अभिषेक करें। फिर बालगणेश्वर एवं कुमार कार्तिकेय का भी पूजन करें। पूजन के बाद पिंडियों का विसर्जन किसी नदी, नहर या तालाब में कर दें।
धन एवं पुत्रादि के लिए ऊपर लिखित विधि से भगवान शिव का पूजन करें। विरोधियों से संधि के लिए किसी नदी के दोनों किनारे की मिट्टी लाकर उससे शिव लिंग बनाकर उसका पूजन करें। इस प्रयोग में शंख, पù सर्प एवं शूलधारी हरिहर की मूर्ति का ध्यान करना चाहिए।
पति एवं पत्नी में मतभेद होने पर अद्धर् नारीश्वर शिव का ध्यान कर उनकी पार्थिव पूजा करनी चाहिए जिनके चारों हाथों में क्रमशः अमृतकुंभ, पूर्णकुंभ, पाश एवं अंकुश होते हैं। एक लाख की संख्या में शिव लिंग की पूजा करने पर मोक्ष प्राप्त होता है गुड़ की पिंडी से एक लाख शिव लिंग बना कर पूजा करने पर साधक राजा के समान बन जाता है।
जो स्त्रियां गुड़ निर्मित एक हजार शिव लिंगों की पूजा करती हैं, उन्हें पति का सुख तथा अखंड सौभाग्य और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है। नवनीत निर्मित लिंगों का पूजन करने पर साधक को अभीष्ट की प्राप्ति होती है। यही फल भस्म, गोमय एवं बालू के बने लिंगों का पूजन करने पर भी प्राप्त होता है। जो साधक गोबर के बने ग्यारह लिंगों का छह मास तक प्रातः, मध्याह्न, सायं और अर्धरात्रि में पूजन करते हैं, वे धनवान एवं समृद्ध होते हैं।
जो साधक तीन मास तक प्रातः काल गोमय निर्मित तीन लिंगों का पूजन करते हैं और उन पर भटकटैया तथा बिल्वपत्र चढ़ा कर गुड़ का नैवेद्य अर्पित करते हैं, वे धनवान एवं संपत्तिशाली होते हंै। जो साठी के चावल के पिष्ट का एकादश लिंग बनाकर एक मास तक नित्य (बिना व्यवधान के) पूजन करता है, उसे सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
स्फटिक के शिव लिंग की पूजा से साधक के सभी पाप दूर हो जाते हैं। तांबे से बने शिवलिंग की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नर्मदेश्वर लिंग के पूजन से सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं तथा सारे दुखों का नाश होता है।
इसकी पूजा नित्यप्रति करनी चाहिए। जो लोग गोबर का शिवलिंग बनाकर क्रुद्ध महेश्वर का ध्यान करते हुए नीम की पत्तियों से उसका पूजन करते हंै, उनके शत्रुओं का शमन हो जाता है। जो लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन हो कर प्रतिदिन शिव लिंग का पूजन करते हंै उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
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