शनि
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शनि  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 7368 | नवेम्बर 2014

जन्मस्थान - सौराष्ट्रऋ गोत्र - कश्यपऋ पिता - सूर्यऋ माता - छायाऋ भ्राता - यमऋ बहन - यमुना, ताप्तीऋ वाहन - कौआऋ गुरु - शिव ज्योतिष एक सम्भावनाओं पर आधारित आनुभविक प्रयोगसिद्ध विज्ञान है जिसमें मानव जीवन पर ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। यह सृष्टि अनियमितता से नहीं बल्कि पूर्णतया योजनाबद्ध क्रम से काम करती है जिसे क्रियान्वित करने में ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण एवं अज्ञात ब्रह्माण्डीय शक्तियों की मुख्य भूमिका है।

हमारा जीवन नवग्रहों द्वारा संचालित है परंतु ग्रहों में शनि को सर्वाधिक प्रभावशाली व महत्वपूर्ण माना गया है। इस कथन की पुष्टि के लिए यह कथा उल्लेखनीय है - कहा जाता है कि शिव भक्त शनि की माता छाया ने अपने गर्भ में पल रहे शनि की चिंता किए बगैर भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिसके परिणामस्वरूप शनि का रंग काला हो गया। प्रकाश व रोशनी के द्योतक पिता सूर्य को शनि का काला रंग अच्छा नहीं लगा और उन्होंने शनि को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इस बात पर शनि अपने पिता से नाराज हो गये और शिवाराधना प्रारंभ कर दी।

शिव ने उन्हें वरदान दिया कि तुम सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली बनोगे और तभी से शनि सभी ग्रहों में सर्वशक्तिमान हो गये। शनि सूर्य पुत्र व यम के बड़े भाई हैं। शनि मनुष्य को उसके शुभाशुभ कर्मों के अनुसार फल देता है जबकि यम मृत्योपरान्त कर्मों का फल देता है। शनि को इस सृष्टि के संतुलन चक्र का नियामक माना जाता है। इसे न्याय का कारक इसलिए माना जाता है क्योंकि यह मनुष्य को उसकी गलतियों और पाप कर्मों के लिए दण्डित करके मानवता की रक्षा करता है।

इसलिए शनि को भक्षक नहीं अपितु रक्षक माना जाता है। फलित ज्योतिष में शनि को सेवा, अध्यात्म, कानून, कूटनीति एवं राजनीति का कारक माना जाता है। शनि का वृश्चिक राशि में गोचर: इस वर्ष 2 नवंबर 2014 को सायं 8ः54 बजे शनि तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस समय चंद्रमा कुंभ राशि, शतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में राहु के नक्षत्र में गोचर कर रहे होंगे। शनि का जातक के जीवन पर गोचरीय प्रभाव भाव व राशि के अनुसार तो होता ही है साथ ही इसे अतिसूक्ष्म रूप से समझने के लिए शनि आपकी राशि के लिए किस पाये व वाहन पर सवार होकर राशि परिवर्तन कर रहे हंै यह अध्ययन करना भी आवश्यक होता है।

शनि पाया विचार: शनि के राशि परिवर्तन के समय गोचर का चंद्रमा जन्मकालीन चंद्रमा से 1, 6, 11 हो तो शनि देव आपके लिए सोने के पाये पर और 2, 5, 9 हो तो रजत के पाये पर, 3, 7, 10 हो तो ताम्र के पाये पर व 4, 8, 12 हो तो लोहे के पाये पर राशि परिवर्तन करते हैं। इस वर्ष मेष, कन्या व कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि देव सोने के पाये पर आयेंगे तथा जातक के लिए कई प्रकार के धन व समृद्धि कारक बनेंगे। मिथुन, तुला व मकर राशि के जातकों के लिए रजत पाये पर आकर सभी प्रकार के शुभ फल व भौतिक सुख सुविधाएं प्रदान करेंगे।


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वृष, सिंह व धनु राशि के जातकों के लिए ताम्र पाये पर आने वाले शनि देव उनके लिए मिश्रित (अर्थात् कुछ शुभ व कुछ अशुभ) फल लेकर आयेंगे। कर्क, वृश्चिक व मीन राशि के जातकों के लिए लौह पाये पर आने वाले शनि देव धन हानि व व्यवसाय संबंधी कठिनाइयांे के योग लेकर आ रहे हैं। शनि वाहन विचार: शनि जिस वाहन पर सवार होकर राशि में प्रवेश करते हैं उसके अनुसार वह राशि में फल प्रदान करते हैं। शनि के वाहन को जानने के लिए जन्मनक्षत्र से शनि राशि परिवर्तन के समय चंद्र नक्षत्र तक गिनें। 9 से अधिक हो तो 9 घटा दें। शेष के अनुसार शनि का वाहन क्रमानुसार गधा, घोड़ा, हाथी, बकरा, सियार, शेर, कौआ, हंस व मयूर होगा।

शनि विभिन्न नक्षत्रों से प्रभावित जातकों के लिए निम्न वाहनों पर राशि में प्रवेश करेंगे जिनका प्रभाव इस प्रकार होगा - जन्म नक्षत्र स्वामी वाहन फल अश्विनी, मघा, मूला केतु शेर विजय, लाभ, सफलता भरणी, पू. फा., पू. षा. शुक्र सियार भय, कष्ट कृतिका, उ. फा., उ.षा. सूर्य बकरा विपरीत,असफलता,रोग रोहिणी, हस्त, श्रवण चंद्र हाथी उŸाम भोजन,सुख,लाभ मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा मंगल घोड़ा सुख, संपŸिा, यात्रा आद्र्रा, स्वाति, शतभिषा राहु गधा दुःख, वाद-विवाद पुनर्वसु, विशाखा, पू. भा. गुरु मयूर सुख एवं लाभ पुष्य, अनुराधा, उ. भा. शनि हंस लाभ, जय, सफलता अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती बुध कौआ चिंता, मानसिक कष्ट विभिन्न राशियों के लिए गोचर फल:

मेष: आपके लिए आगामी दो वर्षों के लिए शनि की अष्टम ढैया प्रारंभ होगी जो व्यावसायिक व शारीरिक कष्ट दे सकती है। अतः अपने अधिकारी वर्ग से अच्छे संबंध बनाने की चेष्टा करें तथा नई नौकरी हाथ में आये बिना क्रोध वश अपनी चलती नौकरी को न छोड़ें।

वृष: विवाह होने की संभावनाएं बनेंगी। साझेदारी, व्यापार व नौकरी में लाभ होगा। समय उŸाम है परंतु जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

मिथुन: शत्रु पक्ष, मुकद्दमा तथा प्रतियोगिता आदि में विजय प्राप्त होगी। धन लाभ, नई नौकरी और नये घर की प्राप्ति होगी।

कर्क: संतान व शिक्षा में उन्नति के संकेत मिलेंगे। सट्टे में लाभ होगा। मान-सम्मान, कीर्ति लाभ व संतान के विवाह के योग हैं।

सिंह: धन सम्पŸिा पर व्यय, नवगृह निर्माण/प्रवेश तथा वाहन प्राप्ति के योग बने हुए हैं।

कन्या: अपनी उन्नति के लिए विशेष प्रयासशील व सक्रिय होंगे तथा पराक्रम, धन लाभ व सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।

तुला: शनि की साढ़ेसाती के अंतिम चरण में कुछ धन लाभ व नया कार्य आरंभ होने के संकेत हैं परंतु मानसिक चिंता व पारिवारिक कलह रहेगी।

वृश्चिक: शनि की साढ़ेसाती का द्वितीय चरण आपकी जिम्मेदारियों व मान-सम्मान को बढ़ायेगा। शारीरिक कष्ट दूर होंगे तथा पिछले बिगड़े कार्य सुलझेंगे।

धनु: आपके लिए साढ़ेसाती का आरंभ होगा जिसमें शारीरिक, आर्थिक व मानसिक परेशानियां बढ़ेंगी। धन हानि व अति व्यय के योग बनेंगे इसलिए व्यापार में धन का निवेश आगामी दो वर्षों तक स्थगित रखें।

मकर: धन लाभ होगा, आय के साधन बढ़ेंगे तथा हर क्षेत्र में प्रसिद्धि, सफलता व सम्मान के योग हैं। पूर्वार्द्ध में विवाह व संतान लाभ के योग श्रेष्ठ हैं।

कुंभ: आपकी नौकरी, व्यापार व राजमान में वृद्धि, विस्तार व स्थिरता आयेगी। उŸारार्द्ध में विवाह व संतान लाभ के योग हैं।

मीन: शनि की ढैया से मुक्त होंगे। बाधाओं का समूल नाश होगा तथा भाग्योन्नति के योग बनेंगे। नया व्यवसाय आरंभ करेंगे/नौकरी में उन्नति होगी।


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