ग्रहों की चर्चा आते ही अधिकांश लोगों का ध्यान ‘‘शनि’’ की ओर ही आकर्षित होता है तथा एक भय की दृष्टि से इसे देखते हैं। जबकि सत्यता इससे कहीं अलग है क्योंकि शनिदेव को भगवान शिव के द्वारा दण्डाधिकारी का पद मिला हुआ है अब यदि दण्डाधिकारी सबके सामने अपना कोमल हृदय प्रस्तुत करेंगे तो अपराधियों को दण्ड देने में और मनुष्य द्वारा किये गये गलत कर्म का दण्ड देने में व्यवधान उत्पन्न होगा और सृष्टि संचालन बाधित हो जायेगा तो शनि का क्रूर या क्रोधी स्वभाव केवल गलत कर्मों को नष्ट करने के लिए है
शनि की साढ़ेसाती और ढैया में मनुष्य के गलत कर्म या भूल आदि का फल प्राप्त होता है यदि साढ़ेसाती जीवन में न आये तो हमारे गलत कर्म के परिणाम एकत्रित होते रहेंगे जिन्हें आगे हमें भोगना पड़ेगा इसलिए शनि की साढ़ेसाती साथ के साथ ही परिणाम देकर गलत कर्मों को भस्म करती है और मनुष्य को संघर्ष की अग्नि में तपाकर परिपक्वता की स्वर्ग सी चमक भर देती है। ज्योतिषीय दृष्टि कोण: हमारे जीवन से जुड़े बहुत से अहम घटक शनि के अंतर्गत आते हैं।
यदि हमारी कुंडली में शनि पीड़ित या निर्बल स्थिति में हो तो उनसे संबंधित विभिन्न समस्याएं होती हैं। आजीविका: यदि कुंडली में शनि नीच राशि में है त्रिक भाव में है मंगल या केतु के प्रभाव से पीड़ित है या पूर्णतः अस्त हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति संघर्ष करने पर भी आजीविका क्षेत्र में उन्नति कर पाता। बार-बार क्षेत्र बदलने पड़ते हैं तथा आजीविका में उतार-चढ़ाव सदैव आते रहते हैं। व्यापारिक क्षेत्र में: यदि शनि कुंडली में पीड़ित है तो ऐसे व्यक्ति को लोहे, मशीनों, पुर्जों, पैट्रोल, कोयला, गाड़ी, कैमिकल आदि के व्यापार में उन्नति नहीं होती अतः शनि निर्बल होने पर इन व्यापारों को नहीं करना चाहिए।
स्वास्थ्य की दृष्टि में: यदि शनि नीच राशि (मेष) में है या छठे, आठवें बारहवें भाव में है या षष्टेश और अष्टमेश से प्रभावित है तो ऐसे में व्यक्ति का पेट, पाचन तंत्र सदैव बिगड़ा रहता है तथा जोड़ों के दर्द जैसे कमर, घुटने कोहनी आदि की समस्या भी रहती है इसके अतिरिक्त बालों की समस्या तथा वात रोगों से भी व्यक्ति परेशान रहता है। जनता के समर्थन में: राजनीति के संबंध में भी शनि की भूमिका होती है क्योंकि शनि जनता का नैसर्गिक कारक है
अतः शनि कुंडली में पीड़ित हो तो व्यक्ति को जनता का समर्थन पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। अतः कुंडली में शनि बलहीन या पीड़ित हो तो जीवन में बहुत सी आवश्यक चीजों का अभाव हो जाता है अतः ज्योतिष और सृष्टि सचांलन में शनि की एक अहम भूमिका है उपरोक्त स्थितियों में शनि के मंत्र, पूजन, व्रत, सेवा आदि करके स्थिति को सुधारा जा सकता है।