फ्यूचर समाचार के फरवरी 2010 अंक के साथ मुफ्त उपहार स्वरूप विद्याप्रदायक सरस्वती लाॅकेट दिया जा रहा है, जो कि सभी विद्यार्थियों के लिए शुभ है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सरस्वती यंत्र का लाॅकेट बहुत महत्वपूर्ण, प्रभावशाली एवं कल्याणकारी है। कलयुग के श्री सरस्वती ही हैं। जहां गति अवरोध होता है वही अंधकार और संकोच आ जाते हैं। वहीं ज्ञान, विद्या और धन का अभाव हो जाता है। विद्या की प्रचुरता के लिए आवश्यक है कि सरस्वती की उपासना की गति निरंतर बनी रहे।
सरस्वती से विद्या रूपी धन मांगने का अभिप्राय यही है कि हमारी गति में कोई बाधा उपस्थित न हो एवं गति बनी रहे जिससे अधिभौतिक और अध्यात्मक सभी प्रकार की संपत्तियों का बाहुल्य भी बना रहेगा। गति के अभाव में अंधकार ही अंधकार दिखाई देगा ‘गायत्री हृदय’ में सरस्वती का माहात्मय वर्णन करते हुए कहा गया है कि वेद (ज्ञान) की उत्पत्ति श्री सरस्वती से हुई है। आत्मारूपी ब्रह्मा से आकाश उत्पन्न हुआ। आकाश से वायु की उत्पत्ति हुई, वायु से अग्नि और अग्नि से आंेकार (प्रणव) की उत्पति हुई। प्रणव में व्याहृतियां होती है।
व्याहृतियों से गायत्री, ‘गायत्री से सावित्री, सावित्री से सरस्वती और सरस्वती से वेदों (ज्ञान) की उत्पत्ति हुई है। वेदों से समस्त लोकों का आर्विभाव होता है। सरस्वती का वाहन हंस है, जो एकाग्रता का प्रतीक है। यदि विद्यार्थी का पढ़ाई में मन न लग रहा हो तो सरस्वती यंत्र के लाॅकेट को धारण करें ताकि पठन पाठन में रूची बनी रहे।
जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में अधिक नहीं लगता हो, अथवा साक्षात्कार आदि में मन में भय अधिक लगता हो उन्हें इस लाॅकेट को पूजा, प्रतिष्ठा करवाकर नित्य गले में धारण करने से लाभ होता है। अधिक शीघ्र शुभ फल प्राप्ति के लिए महासरस्वती बीज मंत्र का स्फटिक अथवा रुद्राक्ष की माला पर नित्य 108 बार जप करें।
मंत्र: ¬ओं ऐं महासरस्वत्यै नमः विद्यार्थी: विशेष रूप से ध्यान दें कि बिना परिश्रम (मेहनत) किये विद्या प्राप्त नहीं होती। परंतु अभ्यास करने से और सरस्वती की कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी बन जाता है। विद्यादायक सरस्वती लाॅकेट आप अपने गले में अवश्य धारण करें। इसको धारण करने से आपको परीक्षा में कभी असफलता नहीं मिलेगी।
सरस्वती लाॅकेट से लाभ: उपर्युक्त विधि के अनुसार श्री सरस्वती यंत्र का लाॅकेट धारण करने से प्रतिकूल प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। और साधक अपने मन में शांति महसूस करता है। पढ़ाई में निरंतर अच्छा होने लगता है। ये सरस्वती की कृपा है।
लाॅकेट को यदि आप धारण नहीं करना चाहते हैं तो अपने पाॅकेट या स्कूल बैग में रखें या सफेद रूमाल में लपेट कर रखें। विद्यार्थी लगातार सरस्वती की उपासना या मंत्र का जाप करता है तो उसे निरंतर सरस्वती एवं बुद्धि विवेक की वृद्धि होती है।
लाॅकेट की प्रतिष्ठा एवं धारण विधि: बुधवार के दिन सुबह स्नान आदि करके अपने पूजा स्थान पर बैठकर सरस्वती का स्मरण करके ‘या सरस्वती का 108 बार मंत्र जाप करके इस लाॅकेट को धारण करने से अद्भुत चमत्कारिक लाभ होता है।
मंत्र: ओं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ओं ऐं नमः या¬ओं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा या¬ओं ह्रीं ऐं सरस्वत्यै नमः सिर्फ मंत्र जप से ही काफी लाभ होता है और जिस पर सरस्वती की कृपा हो तो उसका जीवन सफल हो जाता है।