श्री साईंबाबा का यह बहुत ही चमत्कारिक व्रत है। इस व्रत को प्रारंभ करने के पूर्व हथेली के आकार का एक नया सफेद कपड़ा लेकर उसे गली हल्दी में डुबाकर सूखा लें। गुरुवार को प्रातः अथवा सायं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पूर्व दिशा की ओर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर एक आसन रखें एवं उस पर साईंबाबा की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करें। अब साईंबाबा को चंदन/कुमकुम का तिलक लगाएं, ताजे फूलों की माला चढ़ाएं, दीपक जलाएं एवं अगरबत्ती-धूपबत्ती भी लगाएं।
इन तैयारियों के पश्चात् बाबा के सामने बैठकर पहले से तैयार हल्दी वाले सूखे पीले पकड़े में एक सिक्का रखकर जिस कार्यसिद्धि के लिए व्रत रख रहे हैं, उस कार्य को निर्विघ्न पूरा करने के लिए साईंबाबा से सच्चे दिल से प्रार्थना करते हुए उस सिक्के को कपड़े में लपेटकर गांठ बांध दें। अब आसन पर विराजित साईंबाबा के चरणों में इसे रख दीजिए। अपने मन में सामथ्र्य अनुसार 5, 7, 9, 11 अथवा 21 गुरुवार व्रत रखने का प्रण करें (मन्नत मानें)।
यह सभी सिर्फ प्रथम गुरुवार को मन्नत मानते समय करना चाहिए, बाद में प्रत्येक गुरुवार को विधि अनुसार केवल व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। प्रत्येक गुरुवार को व्रत आरंभ करते समय व्रत वाली पुस्तक के मुखपृष्ठ एवं प्रथम पृष्ठ पर दिए गए साईंबाबा के स्वरूप को प्रणाम करें। तत्पश्चात् बाबा की तस्वीर/मूर्ति पर कुछ फूलों की पंखुड़ियों को अर्पित करते हुए श्री साईं अष्टोत्तरशत नामावली का पाठ करें। इसके बाद श्री साईंबाबा व्रत कथा के छः अध्याय पढ़ें और साईंबाबा का ध्यान करें।
आरती द्वारा कथा समाप्त करें और प्रसाद के रूप में घर पर बनाई खिचड़ी अथवा मिठाई या फल सबको बांटें एवं स्वयं ग्रहण करें। इस प्रकार श्री साईंबाबा व्रत की विधि पूर्ण होती है। ऐसा व्रत करने से आने वाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। जीवन में सरलता, सद्बुद्धि तथा पवित्रता आ जाती है। घर से गरीबी-निर्धनता दूर होती है। क्लेश, दुख, दोष आदि दूर हो जाते हैं तथा शांति, आनंद एवं उल्लास का आगमन होता है। यदि ऐसा व्रत संपूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास तथा विधिपूर्वक पूजन सहित किया जाये तो आर्थिक-सामाजिक-मानसिक अड़चनें-बाधाएं दूर होती हैं।
इस व्रत का शुभ असर, किसी न किसी रूप में कम समय में अनुभव होने लगता है। मन में अपार शांति का अनुभव होता है। आपके द्वारा पुस्तक प्राप्त करने वाला स्नेहीजन यदि आपकी प्रेरणा से इस व्रत को रखेगा तो उतनी ही मात्रा में आपकी भाग्यवृद्धि तथा सुख-समृद्धि में अवश्य वृद्धि होगी। माने गए गुरुवार पूरे होने के पश्चात् विधिपूर्वक एवं इस पुस्तक में आगे लिखी गई रीति द्वारा उद्यापन करना चाहिए।
व्रत रखने के सामान्य नियम
1. साईं भक्तों को प्रेमपूर्वक तथा श्रद्धा से साईंबाबा का व्रत रखना चाहिए। स्मरण रखें कि मन में वैर रखकर कभी भी साईं के घर से प्राप्ति नहीं हो सकती।
2. यह सरल व्रत सभी स्त्री-पुरुष यहां तक कि बच्चे भी रख सकते हैं।
3. व्रत को शुरू करते समय 5, 7, 11 अथवा 21 गुरुवार की मन्नत रखनी चाहिए।
4. स्मरण रखें कि व्रत के दौरान भूखे न रहें। फलाहार करके यह व्रत किया जा सकता है। भोजन मीठा, नमकीन कैसा भी किया जा सकता है। प्याज, लहसुन, मांस तथा तामसी भोजन के इस्तेमाल पर रोक है।
5. यह व्रत सरल होने के साथ ही बहुत चमत्कारी है। माने गए प्रत्येक गुरुवार को विधिपूर्वक व्रत रखने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
6. यह व्रत किसी भी गुरुवार को बाबा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष ‘धूप-अगरबत्ती’ कर शुरू किया जा सकता है। जिस कार्य-सिद्धि के लिए व्रत कर रहे हों, उसके लिए बाबा से मन ही मन पवित्र हृदय से प्रार्थना करें।
7. साईंबाबा का यह व्रत कभी भी सूतक, पातक, श्राद्ध इत्यादि में भी रखा जा सकता है।
8. यदि व्रत के दौरान किसी गुरुवार आप यात्रा पर या बाहर (निवास शहर या गांव के) हांे तो उस गुरुवार को छोड़कर उसके बाद के गुरुवार को व्रत करें।
9. यदि किसी कारणवश किसी गुरुवार को व्रत न कर पाएं तो उस गुरुवार को गिनती में न लेते हुए मन में किसी प्रकार की शंका न रखते हुए अगले गुरुवार से व्रत जारी रखें एवं माने हुए गुरुवार पूरे कर व्रत का उद्यापन करें।
10. एक बार मन्नत अनुसार व्रत पूर्ण करने के पश्चात् फिर मन्नत कर सकते हैं और फिर व्रत कर सकते हैं।
व्रत का उद्यापन
1. मन्नत के गुरुवार पूरे होने पर व्रत का उद्यापन करना चाहिए। इस दिन कुछ गरीबों को भोजन कराना चाहिए एवं पशु-पक्षियों को भोजन डालना चाहिए।
2. पूजा के सिक्के को देव स्थान पर रखें या जल में प्रवाहित कर दें। व्रत करने वाले को जो सुख-शांति व लाभ प्राप्त होगा, उसमें और वृद्धि करने तथा इच्छित मनोकामना को परिपूर्ण करने हेतु व्रतधारी को चाहिए कि वह अपने स्नेहीजनों को भी इस व्रत का माहात्म्य समझाएं।
3. जो पुस्तकें बांटनी हैं, उनके आवरण पर श्री साईं बाबा के चित्र पर तिलक लगाकर श्रद्धापूर्वक अपने स्वजनों को दें।
4. उपरोक्त विधि से व्रत रखने एवं उद्यापन करने से आपकी शुभ मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी यह निश्चित जानें।
व्रत के फल श्री साईंबाबा का गुरुवार व्रत रखने से निम्न फल प्राप्त होते हैं-
1. पुत्र प्राप्ति
2. कार्य सिद्धि
3. वर प्राप्ति
4. वधू प्राप्ति
5. खोया धन मिले
6. जमीन-जायदाद मिले
7. धन मिले
8. साईं दर्शन
9. शांति
10. शत्रु शांत हों
11. व्यापार में वृद्धि
12. परीक्षा में सफलता
13. पति का खोया प्रेम मिले
14. बांझ को भी औलाद हो
15. इच्छित वस्तु की प्राप्ति
16. यात्रा योग मिले
17. खोया रिश्तेदार मिले
18. रोग निवारण
19. कार्य सिद्धि
20. मनोकामना पूर्ति इत्यादि।