हस्त-रेखाकृतियों के फल बसंत सोनी भारतीय हस्तरेखा- विद् स्त्री का बायां व पुरुष का दायां हाथ देखकर फलकथन करते हैं। हस्त रेखाओं के मिलने से कहीं कहीं आकृतियां सी निर्मित हो जाती हैं जिनको विशेष महत्व देते हुए सामुद्रिक शास्त्री फलादेश करते हैं। जिसके हाथ में रेखाएं मत्स्याकृति बनाती हैं वह संततिवान, धनवान व भाग्यवान होता है। उसके सब कार्य सिद्ध होते हैं। जिसके हाथ में तुलाकृति, गृहाकृति या वज्राकृति हो उसका काम धंधा खूब चलता है। हाथ में कमलाकृति, पुष्पाकृति, धनुषाकृति, खड्गाकृति, चक्राकृति अथवा अष्टकोणाकृति तो जातक वीर गुणवान, धनी एवं तंदुरुस्त होता है। जिसके हाथ में रेखाओं के मिलन से यदि किसी के हाथ में त्रिशूलाकृति हो वह सात्विक वृत्ति का व राजदरबारी होता है और अच्छे कार्य करता है। जिसके हाथ में कुंडल अथवा अंकुश की आकृति हो वह प्रसिद्ध जनप्रिय नेता अथवा किसी शहंशाह का बजीर होता है। नरमुंडाकृति, पंखाकृति, कंकणाकृति, अथवा पर्वताकृति सदृश्य कोई चिह्न हो तो व्यक्ति को मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा, विजयादि की प्राप्ति होती है। यदि सूर्य चंद्र, मठ, त्रिकोण, अश्व, गज, बेल अथवा नयन की आकृति हो तो जातक सुखी संपन्न होता है। उसे धनधान्यादि की कोई कमी नहीं रहती। माला, तारा, रथ या ध्वजा की आकृति व्यक्ति के राजा होने का संकेत देती है। जिसके हाथ में शंख, ध्वजा या नासिका की आकृति हो वह विद्वान होता है। वह असाधारण प्रतिभा से संपन्न होता है। अंगूठे के मध्य जौ का चिह्न ऐश्वर्य प्राप्ति का सूचक है, तर्जनी एवं मध्यमा के मध्य यह चिह्न सुखी पारिवारिक जीवन की निशानी है। हाथ में जौ के जितने चिह्न होंगे। उतने प्रकार की विद्याएं जातक को प्राप्त होंगी। कलाई पर सर्पाकृति वाला व्यक्ति चोरी छल-प्रपंच, झगड़े पापकर्म आदि करता है। यदि यह आकृति अंगूठे के मध्य हो तो वह व्यभिचारी भी हो सकता है। दोनों हाथों की मध्यमा में शंखाकृति तथा शेष उंगलियों और अंगूठों में चक्राकृतियां ऐश्वर्य प्राप्ति की सूचक हंै। संख्या के आधार पर एक हाथ में शंख व चक्र की आकृतियों का शुभाशुभत्व इस प्रकार होता है। एक शंख वाला व्यक्ति अध्ययनशील, दो शंखों वाला दरिद्र, तीन शंखों वाला पत्नी, पीड़ित, चार शंखों वाला राजा तुल्य वैभव संपन्न पांच शंखों वाला विदेश से धनार्जन करने वाला, छह शंखों वाला होशियार, सात शंखों वाला निर्धन, आठ शंखों वाला सुखी, नौ शंखों वाला नपुंसक एवं दस शंखों वाला व्यक्ति राजा अथवा योगी होता है। एक चक्र वाला व्यक्ति चतुर, दो चक्रों वाला अतिसुंदर, तीन चक्रों वाला कामी, चार चक्रों वाला दीन दुखी, पांच चक्रों वाला ज्ञानी- विज्ञानी, छह चक्रों वाला बुद्धिमान, सात चक्रों वाला प्रेमी, आठ चक्रों वाला दरिद्र, नौ चक्रो वाला शासक और दस चक्रो वाला व्यक्ति सेवक होता है।