एक मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है यह साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से यश, मान, प्रतिष्ठा, धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कामना भेद से, यह भोग और मोक्ष दोनों को देने वाला है।
1. मेष राशि तथा वृश्चिक राशि के लिए चैदहमुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष हनुमान जी का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे मेष, तथा वृश्चिक राशि वाले व्यक्ति धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से बल, बृद्धि, धन, पद, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
2. वृष तथा तुला राशि के लिए तेरह मुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष देवराज इंद्र का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष को वृष एवं तुला राशि वाले व्यक्ति धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से भोग, ऐश्वर्य स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है।
3. मिथुन तथा कन्या राशि के लिए दशमुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को बुध की राशि-मिथुन, एवं कन्या राशि के जातक धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से, बुद्धि, विद्या, धन, संपत्ति की प्राप्ति होती है।
4. कर्क राशि के लिए, पांच मुखी रुद्राक्ष इस रुद्राक्ष को विशेष कर कर्क राशि वाले व्यक्ति धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से मानसिक शांति, सात्त्विक बुद्धि, धन, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
5. सिंह राशि के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष द्वादश आदित्यों का स्वरूप माना गया है। इसे सिंह राशि वाले लोग धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से आयु-आरोग्यता, यश, मान प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
6. धनु एवं मीन राशि के लिए चार मुखी रुद्राक्ष यह रुद्राक्ष ब्रह्माजी का स्वरूप माना गया है। इसे बृहस्पति ग्रह की राशि वाले जातक धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से धन, ऐश्वर्य, विद्या, बुद्धि तथा स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है।
7. मकर एवं कुंभ राशि के लिए सातमुखी एवं नौ मुखी रुद्राक्ष सात मुखी रुद्राक्ष महासेन अनन्त का स्वरूप है तथा नौमुखी रुद्राक्ष महाभैरव का स्वरूप माना गया है। इनमें से किसी भी अथवा दोनों को शनि की राशि वाले (मकर एवं कुंभ) जातक धारण कर सकता है। इसे धारण करने से स्वास्थ्य, धन, यश, संपत्ति की प्राप्ति होती है। संक्षिप्त धारण विधि रुद्राक्ष को पंचामृत से शुद्ध करके, अथवा गंगा जल से शुद्ध करके धूप, दीप से पूजन करके सोने या चांदी की चेन, अथवा धागे में सोमवार को धारण करें। उसके पश्चात् ¬ नमः शिवाय मंत्रा का जप 108 बार करें।