फ्यूचर समाचार के इस अंक के साथ मुफ्त उपहार शीतलता प्रदायक असली मोती दिया जा रहा है। मोती एक प्राणिज रत्न है। यह देखने में जितना सुंदर होता है, उससे कहीं ज्यादा यह मन, बुद्धि एवं वाणी को सुंदर बनाता है। वराहमिहिर ने बृहत्संहिता में यह स्पष्ट किया है कि मोती की उत्पत्ति राजा बलि के मनस्तत्व से हुई है। यह चंद्र का रत्न माना जाता है।
चंद्रमा क्योंकि मन का स्वामी है, अतः यह मन को सर्वाधिक प्रभावित करता है। मोती चंद्र की महादशा में विशेष फलदायी माना गया है। इसे गले में, भुजा में अथवा दायें हाथ की कनिष्ठा में धारण करना शुभ माना जाता है।
उपयोग विधि: किसी भी सोमवार को सुबह स्नान कर के, मोती को गाय के कच्चे दूध एवं गंगा जल में धो कर, सूक्ष्म पूजा कर के धारण करना चाहिए। यदि इसका निर्माण अथवा धारण सोमवार को किया जाए तो अधिक लाभ मिलता है। यह मेष, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मीन लग्न के जातकों को अधिक लाभ देता है। मोती को चांदी में धारण करना अधिक शुभ है। धारण करने से पूर्व चंद्र मंत्र की एक माला जप कर के धारण करने से चंद्रमा की तुष्टि होती है।
लाभ:
- मोती को चांदी के लाॅकेट में गले में धारण करने से मन-बुद्धि का विकास होता है तथा वाणी में मृदुता आती है।
- छोटा बच्चा अधिक चंचल अथवा मंद बुद्धि का होने से चांदी के चंद्र में मोती को लगवा कर सोमवार को प्रातः धारण करने से लाभ होता है।
- मेष लग्न के जातक को मोती मानसिक शांति, मातृसुख, विद्या लाभ एवं भूमि का लाभ कराता है।
- कर्क लग्न के जातक को आजीवन स्वास्थ्य रक्षा, आयुवृद्धि एवं धन का लाभ कराता है।
- कन्या लग्न के जातक को चंद्र की महादशा में मोती धारण करने से आर्थिक लाभ, संतान सुख एवं यश प्राप्त होते हैं।
- तुला लग्न के जातक को मोती धारण करने से राजकृपा, यश, प्रतिष्ठा एवं व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होते हैं।
- वृश्चिक लग्न के जातक को मोती धारण करने से धर्म, कर्म एवं भाग्य की वृद्धि, यश एवं पिता का सुख प्राप्त होते हैं।
- मीन लग्न के जातक को मोती धारण करने से विद्या लाभ, ज्ञान लाभ, पुत्र सुख एवं यश प्राप्त होते हैं।
- जिन जातकों को अपनी लग्न व कुंडली अज्ञात होती है, उन्हें मोती धारण करने से मन की शांति, प्रसन्नता प्राप्त होती हैं तथा निद्रा की बीमारी में लाभ होता है।
- जिस बच्चे को डरावने सपने आते हों अथवा बच्चा सोते समय अचानक चैंक कर रोने लगता हो, उसके गले में चंद्रयुक्त मोती, सोमवार को निर्मित कर के, सफेद धागे में पिरो कर, गले में धारण करवा कर, सवा किलो चावल में घी लगा कर बच्चे के सिर के चारों ओर सात बार उतार कर शिव मंदिर में दान करने से लाभ होता है।
- धारण के पश्चात यदि कभी भी मोती अशुद्ध हो जाए तो पुनः गाय के दूध में धो कर, चंद्र का मंत्र 108 बार जप कर के पुनः धारण करना चाहिए।
चंद्रमा का जप मंत्र: ¬ श्र्रां श्र्रीं श्र्रौं सः चंद्रमसे नमः। दान एवं नमस्कार मंत्र: दधि-शंख तुषाराभं, क्षीरोदार्णवसन्निभम्। नमामि शशिनं सोमं, शम्भोर्मुकुट भूषणम्।।