रेखा एवं योग
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रेखा एवं योग  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 7613 | फ़रवरी 2007

रेखा एवं योग जन्मकुंडली की ही तरह हथेली में भी अनेक योग होते हैं। इन शुभाशुभ योगों के माध्यम से व्यक्ति के कर्म एवं प्रारब्ध की रूपरेखा की पड़ताल की जा सकती है। इस आलेख में कुछ प्रमुख योगों का परिचय दिया जा रहा है...

जिस तरह साहित्य समाज का दर्पण है उसी तरह मनुष्य का हाथ उसके जीवन का दर्पण होता है। हाथ की रेखाओं पर्वतों आदि में उसके जीवन का सारा रहस्य छिपा होता है। इन रेखाओं का फल कथन ज्योतिष के विभिन्न योगों के आधार पर भी किया जाता है। यहां पंच महापुरुष योग के आधार पर रेखाओं के फलाफल का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है।

रुचक योग: यदि हथेली में मंगल पर्वत पूर्णतः विकसित, स्पष्ट तथा लालिमायुक्त, लिए हुए हो और मंगल रेखा सीधी, पतली तथा सुंदर हो, तो व्यक्ति के हाथ में रुचक योग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से बलवान तथा हृष्ट पुष्ट होता है। वह अपने कार्यों से समाज और देश का नाम रोशन करता है। समय पड़ने पर देश का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। उसका जीवन राजा के समान होता है। वह अपने देश, कला और संस्कृति के प्रति जागरूक रहता है। उसे देश की प्रतिष्ठा का ध्यान रहता है। वह किसी दबाव में आकर कोई कार्य नहीं करता है। वह दीर्घायु होता है और सेना व पुलिस में उच्च पद प्राप्त करता है।

भद्र योग: यदि बुध पर्वत पूर्णतः विकसित हो तथा बुध रेखा सीधी, पतली, गहरी और लालिमायुक्त हो तो भद्र रेखा के नाम के अनुरूप भद्र योग बनता है। इस योग का जातक साहसी, निर्भीक तथा पराक्रमी होता है। वह शत्रुहंता होता है या फिर शत्रु को मित्र बनाने की कला भी उसे अच्छी तरह आती है। उसका व्यक्तित्व अपने आप में पूर्ण होता है। वह ऊंचा उठने की भावना रखता है। अपने जीवन के मार्ग का निर्माण वह स्वयं करता है और उसी पर चलता ह।ै वह दसू रा ंे की सहायता में सदा तत्पर रहता है। उसकी बुद्धि अत्यंत कुशाग्र तथा उर्वर होती है, जिसके फलस्वरूप वह जटिल से जटिल कार्य सुगमता से कर लेता है। व्यापार की दृष्टि से जातक कुशल कारोबार करने वाला होता है। उसका बालपन संघर्षमय लेकिन वृद्धावस्था सुखी संपन्न होती है।

हंस योग: यदि तर्जनी अनामिका से लंबी हो, गुरु पर्वत पूर्णतः विकसित तथा लालिमायुक्त हो और उस पर क्राॅस चिह्न के अलावा कोई अन्य चिह्न न हो, तो यह योग हंस योग कहलाता है। इस योग का व्यक्ति लंबा, दिव्य व्यक्तित्व और आकर्षक स्वभाव का होता है। उसका चेहरा हंसमुख ललाट, उन्नत छाती विशाल होती है। दूरदर्शी होने के साथ-साथ वह सभी की सहायता में तत्पर रहता है। वह नौकरी में उच्च पद प्राप्त करता है। वह न्यायप्रिय होता है और निर्णय लेने की उसकी क्षमता विलक्षण होती है। इस योग के लोग प्रलोभन या दबाव में आकर किसी प्रकार का गलत समझौता नहीं करते हैं। इनके परिचितों की संख्या अधिक होती है। इनका बुढ़ापा अत्यंत सुखपूर्वक बीतता है।

मालव्य योग: यदि शुक्र पर्वत दबा न हो, न ही अधिक उन्नत हो, परंतु सामान्यतः विकसित, चमकीला तथा स्वस्थ हो, जीवन रेखा मणिबंध को स्पर्श करती हो, अंगूठा लंबा तथा पीछे की ओर झुका हो, शुक्र पर्वत पर किसी प्रकार का बिंदु, जाल या बाधक रेखाओं के चिह्न न हों, तो यह मालव्य योग कहलाता है। इस योग का व्यक्ति सुंदर तथा आकर्षक होता है। उसका चेहरा आकर्षक, रंग लाल और कमर पतली होती है। वह चंद्रमा के समान ओज एवं कान्ति वाला हेाता है। वह बुद्धि मान एवं चतुर भी होता है और कठिन परिस्थितियों में विचलित नहीं होता। उसकी आय के कई स्रोत होते हैं। वह कम परिश्रम करके अच्छी आय अर्जित कर लेता है। उसका पारिवारिक जीवन अत्यंत सुखमय होता है। उसे सभी तरह के भोग मिलते हैं। अपने कार्य से वह देश विदेश में सम्मानित होते हैं।

शश योग: हथेली में तीन मणिबंध हों, पहले मणिबंध से मत्स्याकार होकर भाग्य रेखा शनि पर्वत के बिंदु तक पहुंचती हो और शनि पर्वत पूर्ण विकसित हो, तो यह शश योग कहलाता है। इस योग का व्यक्ति साधारण कुल में जन्म लेकर उच्च पद पर आसीन होता है। उसे राजनीति में महत्वपूण्र् ा सफलता मिलती है। वह भूमिपति, नौकर-चाकर, पशु, वाहन आदि से युक्त होता है और पूर्ण सुख भोगता है। वह गांव का मुखिया या नगरपालिका का अध्यक्ष होता है। वह देश का प्रसिद्ध नेता भी हो सकता है। वह सरल स्वभाव का और विवेकशील जब हुआ चमत्कार दाम्पत्य सलाह कभी-कभी जीवन में बहुत निराशा घिर आती है, संकटों से उबरने का कोई उपाय ही नहीं सूझता।

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