हस्तरेखा व विवाह योग किशोर घिल्डियाल किसी व्यक्ति का विवाह कब होगा, पत्नी कैसी मिलेगी, दाम्पत्य कैसा रहेगा ये सारे तथ्य उसकी विवाह रेखा में छिपे होते हैं। यह रेखा उसके जीवन में अहम भूमिका निभाती है। इसे प्रणय रेखा व स्नेह रेखा भी कहते हैं। समाज में एक भ्रांति है कि जितनी संख्या में यह रेखा होगी, जातक के उतने ही विवाह होंगे। ऐसे अनेकानेक लोग हैं, जिनकी हथेलीे में एक से अधिक विवाह रेखाएं हैं, किंतु उनका विवाह या तो एक ही बार हुआ, या हुआ ही नहीं। वहीं ऐसे भी अनेक लोग हैं, जिनके हाथ में विवाह रेखा नहीं है, लेकिन उनका विवाह हुआ है और दाम्पत्य जीवन सुखमय रहा है। अतः उक्त मान्यता केवल भ्रम है, भ्रम के सिवा कुछ नहीं। कौन रेखा किस स्थिति में जातक के विवाह पक्ष को किस तरह प्रभावित करेगी इसका विश्लेषण यहां प्रस्तुत है। जिस जातक की प्रणय अर्थात विवाह रेखाएं एक से अधिक हों उसका अपनी पत्नी के प्रति प्रेम गहरा होता है। यदि यह रेखा प्रारंभ में गहरी और आगे चलकर पतली हो तो ऐसे जातक का प्रेम धीरे-धीरे उदासीनता में बदल जाता है इसके विपरीत यदि रेखा पतली से गहरी हो तो प्रेम बढ़ता ही जाता है। इस रेखा पर द्वीप हो तो जातक विवाह करने में सहमत नहीं होता और यदि क्राॅस हो तो विवाह अथवा प्रेम प्रसंग में विघ्न की संभावना रहती है। यदि यह रेखा आगे चलकर दो शाखाओं में बंटे तो जीवनसाथी अलगाव तो हो सकता है, किंतु तलाक हो यह जरूरी नहीं। रेखा अनेक शाखाओं में बंटे तो प्रेम का अंत स म झ न ा चाहिए। यदि किसी जातक की िव व ा ह रेखा दो भागों में ब ं ट े और एक शाखा हृदय रेखा को छूए व्यक्ति के विवाहेतर संबंध होने की संभावना रहती है। यदि किसी के शुक्र पर्वत पर द्वीप हो और उससे एक रेखा बुध पर्वत पर जाकर समाप्त होती हो तो इस स्थिति में भी विवाहेतर संबंध की संभावना रहती है। यदि कोई रेखा विवाह रेखा से आकर मिले तो वैवाहिक जीवन कष्टमय हो सकता है। यदि विवाह रेखा पर कोई काला धब्बा हो, तो पत्नी का पर्याप्त सुख नहीं मिलता है। रेखाओं का विष्लेषण करते समय यह देखना भी जरूरी होता है कि जातक का हाथ किस पर्वत से प्रभावित है क्योंकि उसके जीवन पर उसके हाथों के विभिन्न पर्वत भी रेखाओं की तरह ही प्रभाव डालते हैं। जिस जातक का शनि पर्वत अधिक स्पष्ट हो उसमें विवाह करने की इच्छा प्रबल नहीं होती। यदि चंद्र पर्वत से कोई रेखा आकर विवाह रेखा से मिले तो ऐसा व्यक्ति भोगी और कामासक्त होता है। इस प्रकार रेखाओं के ऐसे बहुत से योग हैं जो किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं। ये योग यदि अनुकूल हों तो दाम्पत्य सुखमय होता है, अन्यथा उसके कष्टमय होने की प्रबल संभावना रहती है। प्रतिकूल होने की स्थिति में किसी हस्तरेखा विशेषज्ञ से परामर्श लेकर उसमें सुधार लाने का प्रयास किया जा सकता है।