प्र.- किसी भी कार्यालय के निर्माण हेतु किस तरह का भूखंड लाभप्रद होता है?
उ.- किसी भी कार्यालय को विकसित करने के पूर्व भूखंड का चयन आवष्यक है। कार्यालय के लिए आयताकार या वर्गाकार भूखंड का चयन सर्वश्रेठ होता है। ईषान्य वृद्धि भूखंड पर भी कार्यालय का निर्माण लाभप्रद होता है। भूखंड के दक्षिण और पष्चिम में बड़ी-बड़ी ईमारतें, पेड़-पौधा तथा उत्तर और पूर्व में खुला मैदान, दरिया, तालाब या कृत्रिम पानी का स्थान, कार्यालय के समृद्धि में चार चांद लगाता है।
अर्थात् धन-धान्य, दौलत संपत्ति में बढोत्तरी कर सुख और ऐष्वर्य की वृद्धि करता है। कार्यालय के उत्तर, उत्तर-पूर्व एवं पूर्व दिषा में अधिक से अधिक तथा दक्षिण और पष्चिम दिषा में कम से कम खुली जगहंे रखना लाभप्रद होता है।
प्र.-कार्यालय का प्रवेश द्वार किस स्थान से रखना शुभ फलप्रद होता है?
उ.-कार्यालय का प्रवेष द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिषा की ओर से रखना चाहिए। प्रवेष द्वार पर किसी प्रकार की रूकावट एवं वेध न रहे।
प्र.-कार्यालय में मुख्य अधिकारी या प्रबंध निदेशक को किस स्थान पर बैठकर कार्य करना चाहिए?
उ.-मुख्य अधिकारी, प्रबंध निदेषक या स्वामी को भवन के दक्षिण-पष्चिम में बैठकर कार्य करने के लिए जगह निर्धारित करनी चाहिए। कार्यालय के स्वामी का कक्ष सबसे बड़ा अर्थात् अन्य कमरों से बड़ा होना चाहिए। कार्यालय स्वामी या मुख्य व्यक्ति को बैठने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान कक्ष एवं कमरे के दक्षिण-पष्चिम की दिषा में होता है। इस स्थान पर बैठकर कार्य करने से उचित निर्णय लेने की क्षमताओं एवं शक्तियों में वृद्धि होती है।
दिमागी कार्य द्वारा लोगों की सेवा करने वाले व्यक्ति जैसे- डाॅक्टर, वकील, ज्योतिषी, प्रोफेसर एवं अधिकारीगण को वास्तु शास्त्र के निर्देषों के अनुसार हमेषा कक्ष के दक्षिण-पष्चिम दिषा में पूर्वाभिमुख होकर बैठना चाहिए तथा वस्तु का क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारीगण को अधिक संपन्नता के लिए उत्तराभिमुख होकर बैठना चाहिए।
प्र.-कार्यालय में मुख्य अधिकारी को बीम या शहतीर के नीचे बैठकर कार्य करना चाहिए?
उ.-मुख्य व्यक्ति या पदाधिकारी को बीम, शहतीर या सिल्ली के नीचे बैठकर कार्य नहीं करना चाहिए। इसके नीचे बैठकर कार्य करने पर कार्यों में गतिरोध आता है तथा व्यक्ति तनावग्रस्त रहता है। शहतीर अथवा बीम छतों का भार अपने ऊपर उठाये रहता है, अतः इनके ऊपर असाधारण भार रखा होता है। वजन नीचे की दिषा में गुरूत्वाकर्षण के नियम के अनुसार कार्य करता है।
फलस्वरूप असाधारण गुरूत्वाकर्षण बल शहतीर या बीम के नीचे बैठकर कार्य करने वाले व्यक्तियों पर भी पड़ता है। इसके कारण काफी असहज सा महसूस होता है। फलस्वरूप कार्य ठीक से नहीं हो पाता एवं असफल होने की संभावना बनी रहती है।
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