पिछले महीने पंडित जी करनाल में रह रहे एक समृद्ध व्यवसायी परिवार के यहां वास्तु परीक्षण करने गए। उनसे मिलने पर उन्होंने बताया कि जब से वे अपने नए घर में आए हैं उनके पुत्र के जीवन में एक के बाद एक समस्या खड़ी हो गई है। उसका स्वास्थ्य बहुत खराब रहता है। काफी बार अस्पताल में भर्ती हुआ है। सेहत खराब होने की वजह से उनके व्यवसाय में अस्थिरता उत्पन्न हो गई है। उनका एक बेटा तथा एक बेटी है। बेटे की शादी कुछ वर्ष पहले की थी परन्तु संतान होने में भी रुकावटें आ रही हैं। बेटी की भी शादी हो चुकी है परन्तु भाई के स्वास्थ्य को लेकर वह भी काफी चिंतित रहती है जिसकी वजह से उसे माइग्रेन की समस्या हो गई है। वह अकेले ही पूरे परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं जिसकी वजह से काफी हतोत्साहित हो चुके हैं। बीमारी पर अत्यधिक खर्चों की वजह से घर में आर्थिक समस्याएं हो गई हैं। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए दोष: - उनके घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां बनी थीं जो कि वंशवृद्धि, आर्थिक व मानसिक परेशानियों का कारण होती हैं। - उत्तर में रसोई बनी थी तथा रसोई के उत्तर में गैस तथा दक्षिण पूर्व में सिंक बना था जो वैचारिक मतभेद, भारी खर्च व मानसिक तनाव का कारण होती है। - उत्तर-पश्चिम का कोना बंद था जो कि जीवन में उत्साह की कमी, निराशा तथा परेशानियों का कारण होता है। - उत्तर-पश्चिम बढ़ा हुआ था। - दक्षिण-पश्चिम में द्वार था। - घर के उत्तर-पूर्व में सैप्टिक टैंक था। सुझाव: - उत्तर-पूर्व में बनी सीढ़ियों को लाॅबी की दक्षिण की दीवार के साथ बनाने को कहा गया। - रसोई को दक्षिण-पूर्व में बैठक की जगह बनाने की सलाह दी गई। - उत्तर-पश्चिम में बने वाशिंग एरिया की छत हटाने की सलाह दी जिससे वह कोना खुल सके। - दक्षिण-पश्चिम के दरवाजे को अन्दर की ओर से तीन फुट ऊंची दीवार बनाकर बंद करने को कहा गया। - उत्तर-पूर्व में बने सैप्टिक टैंक को पूर्व में स्थानांतरित कराया गया। पंडित जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात उनके जीवन में सुख शांति बढ़ेगी तथा बेटे के स्वास्थ्य में भी बढ़ोरी होगी।