नटवर सिंह की जन्मकुंडली में गुरु की महादशा में राहु की अंतर्दशा रही है, जो 5.7.2008 तक रहेगी। राहु जन्म राशि से अष्टम भाव में होने के कारण 9.11.2006 तक उन्हें परेशानी में रखेगा जिसके कारण वे हर काम विरोध करेंगे और अपमानित होंगे। उनकी जन्मकुंडली में केन्द्राधिपति दोष से दूषित होकर गुरु भाग्य स्थान में बलवान है। अतः गुरु की महादशा में काफी उतार-चढ़ाव रहा होगा। शनि की महादशा 5.7.2008 के बाद आएगी, अतः उससे पहले वे लोकसभा में किसी भी उच्च पद पर आसीन नहीं हो पाएंगे।
कांग्रेस पार्टी और अन्य किसी भी दल में उन्हें कोई पद नहीं मिलेगा, हालांकि वर्तमान समय में विरोधी दल के नेता उनकी सहायता कर रहे हैं। लेकिन जब तक राहु मीन राशि में है तब तक वे कहीं के नहीं रहेंगे। उनकी जन्मकुंडली से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कुंडली अधिक शक्तिशाली है। अतः वे श्री सिंह को जितना बदनाम करना चाहेंगे उतना ही 9.11.2006 तक उन्हें इसका विपरीत फल मिलेगा। साढ़ेसाती शनि का प्रभाव प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ऊपर और आप पर भी चल रहा है।
अतः दोनों के संघर्ष का लाभ किसी तीसरे पक्ष को मिल सकता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भविष्य भारत के प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह की राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा 19.7.2004 से चल रही है जो 25.2.2008 तक रहेगी। अतः उनके पद पर बने रहने की पूरी संभावना है। लेकिन फरवरी 2007 से फरवरी 2008 तक का समय काफी उतार-चढ़ाव के साथ बीतेगा। सन् 2006 में बहुत कुछ घटित होंगी, फिर भी वे अपने पद पर बने रहेंगे। लेकिन जन्म राशि के ऊपर शनि के चलन और 1 नवंबर 2006 तक शनि के कर्क राशि में रहने के कारण वे मानसिक स्तर पर उद्विग्न रह सकते हैं।
उनकी कुर्सी बार-बार हिलती रहेगी। मानो अब गई तब गई। क्या भारत - पाकिस्तान युद्ध संभव है? भारत की जन्मकुंडली में 6.12.2006 स े 10.1.2007 के बीच कुछ परिवर्तन हो सकते और कुछ अनहोनी घटनाएं देश में या लोक सभा में देखने को मिल सकती हैं। भारत की वृषभ लग्न की कुंडली में वर्तमान समय में शुक्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा जुलाई 2008 तक चलेगी परंतु गोचर में योग कारक ग्रह शनि अपने जन्म राशि के ऊपर चल रहे हैं। और 1 नवंबर 2006 से शनि अग्नि तत्व राशि सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। और केतु 9 नवंबर 2006 को सिंह राशि में प्रवेश करें।
शनि और केतु का संबंध 10 जनवरी 2007 तक रहेगा। और मंगल तुला राशि में 14 अक्तूबर 2006 के पश्चात् 27 नवंबर 2006 तक तुला राशि में शनि की दृष्टि में रहेंगे। मंगल की दृष्टि जन्म लग्न और शनि की दृष्टि भी लग्न पर पड़ेगी। इसीलिए 1 नवंबर से 10 जनवरी तक भारत में काफी उथल-पुथल रहेगी। विशेषकर 1 नवंबर से 27 नवंबर तक देश में अराजकता और अशांति बनी रहेगी। देश को एक प्रबल सरकार की कमी महसूस होगी। देश युद्ध करने को विवश हो सकता है। क्योंकि देश के अंदर एक दल का दूसरे दल से, एक जाति का दूसरी जाति से, एक धर्म का दूसरे धर्म से आपसी मतभेद का लाभ पड़ोसी देश पाकिस्तान उठाएगा।
और हमारे भारत को अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा जैसे कि दुर्घटना, अग्नि भय से परंतु विजय पताका भारत की ही लहराएगी। जब-जब शनि-मंगल की स्थिति अग्नि तत्व राशि में एक दूसरे को देखते हैं या एक साथ रहते हैं तो ऐसी स्थिति पैदा होती है। नवंबर महीना में शनि मघा नक्षत्र के अंदर चलन करेंगे। मघा नक्षत्र का स्वामी केतु सिंह राशि में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होंगे और मंगल तुला राशि में चित्रा नक्षत्र में होंगे और चित्रा नक्षत्र का स्वामी मंगल अपने ही नक्षत्र में शनि की दृष्टि में रहेंगे। ऐसी स्थिति भयानक हो सकती है।
यदि ऐसा नहीं हुआ तो किसी कारणवश सरकार चली जाएगी। लोकसभा भंग हो सकती है और चुनाव हो सकता है। जब-जब शनि जलचर राशि से अग्नि तत्व राशि में प्रवेश करता है। और अग्नि तत्व से फिर जलचर राशि में वापस जाता है तब-तब ऐसी घटनाएं घटी हैं। 1975 में शनि कर्क राशि में थे तब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। और शनि जब सिंह राशि में प्रवेश किया 1979 तक इंदिरा गांधी चुनाव के द्वारा सत्ता में फिर से आई। इसीलिए मेरे विचार में 9 नवंबर 2006 से 10 जनवरी 2007 तक मनमोहन सिंह जाएंगे और कोई और नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी की तरफ अग्रसर होंगे।