सूर्य के दो अयन होते हैं। उत्तरायण और दक्षिणायन। उत्तरायण काल में सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है और कर्क से धनु तक के भ्रमण समय को दक्षिणायन भ्रमण काल माना जाता है। हमारी हिंदू सभ्यता संस्कृति में उत्तरायण सूर्य को अति उत्तम माना जाता है। प्रायः सभी शुभ कार्य शादी विवाह, गृह प्रवेश, या जप, अनुष्ठान आदि इसी काल में संपन्न किए जाते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह प्रायः 14 जनवरी को होता है। इस वर्ष यह पर्व 15 जनवरी को होगा। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा परंतु इस वर्ष 2008 को ऐसा ही होगा क्योंकि इस बार 14 जनवरी को अर्द्धरात्रि के बाद 12 बजकर 9 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। तब तक तारीख बदलकर 15 हो जाएगी।
मकर संक्रांति का पुण्य काल तो 15 जनवरी को कई बार आया लेकिन 15 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पहली बार हो रहा है। इसका पुण्यकाल 15 जनवरी सायंकाल 4 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। निर्णय सिंधु के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल 16 घंटे तक रहता है। इस पर्व की तारीख बदलने से इस दिन होने वाले धार्मिक आयोजन व दान पुण्य भी 15 जनवरी को ही किए जाएंगे। 14 जनवरी को सूर्यास्त के 1 घंटे 12 मिनट के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करे तो पुण्य काल 15 जनवरी को आता है। ऐसा कई बार हुआ है। अब यदि हम भगवान श्री राम के जन्म समय की गणना आज के कैलेंडर के अनुसार करें तो पाएंगे कि उनका जन्म हुआ था चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को और उस वर्ष की मकर संक्रांति की तारीख ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार 27 फरवरी को हुई थी। इसी प्रकार प्रभु श्री कृष्ण के जन्म वर्ष की गणना आज के कैलेंडर से करें तो पाएंगे कि उस वर्ष जब उनका जन्म हुआ था तब तक संक्रांति की तारीख 1 फरवरी रही थी।
आदि गुरु शंकराचार्य जी की जन्म तिथि की गणना आज के कैलेंडर से करें तो जिस वर्ष उनका जन्म हुआ था उस वर्ष की मकर संक्रांति 22 दिसंबर को पड़ी थी। तात्पर्य यह कि यह जरूरी नहीं है कि यह पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाए। मकर संक्रांति 15 जनवरी को क्यों: पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है। इससे सूर्य मकर राशि में देरी से प्रवेश करता है। करीब 1700 वर्ष पूर्व 22 दिसंबर को यह पर्व होता था। इसके बाद पृथ्वी के घूमने की गति में 72 से 90 सालों में एक अंश का अंतर आता गया और मकर राशि में सूर्य के प्रवेश की तिथि उसी के अनुरूप बढ़ती गई। सर्वप्रथम सन 1904 में यह पर्व 14 जनवरी को मनाया गया था। वर्तमान में 14 जनवरी और 15 जनवरी को मकर संक्रांति आने का संक्रमण काल चलेगा। इसमें कुछ वर्षों में 14 जनवरी व कुछ वर्षों में 15 जनवरी को मकर संक्रांति होगी। इस सदी के अंत तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को होने लगेगी।
इसके उपरांत 22वीं सदी में 15 और 16 जनवरी का संक्रमण काल चलेगा। यहां पाठकों की जानकारी हेतु एक तालिका बनाकर यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि सन एक से लेकर सन दस हजार तक मकर संक्रांति कब-कब हुई और आगे कब होगी। 1.1.0001 को सूर्य मकर का 13° का था अर्थात 19 दिसंबर को मकर संक्रांति पड़ी थी। सन में मकर संक्रांति की तारीख 099 20 दिसंबर 199 21 दिसंबर 299 21 दिसंबर 399 22 दिसंबर 499 23 दिसंबर 599 23 दिसंबर 1000 25 दिसंबर 1500 28 दिसंबर 1582 में कैलेंडर में संशोधन हुआ। नोट: किसी भी वर्ष मकर संक्रांति नव वर्ष (1 जनवरी) को नहीं पड़ी। इसका क्या कारण हुआ हम आपको बताने का प्रयास कर रहे हैं। पोप ग्रेगरी 13 ने 365.2425 दिनों को एक वर्ष के आधार पर कैलेंडर को संशोधित कर आधिकारिक रूप से 1582 ए.डी. में प्रस्तावित किया। 10 दिनों (अक्तूबर 5 से अक्तूबर 14) को उस वर्ष के कैलेंडर में सम्मिलित न करके, यद्यपि यह संशोधन विश्व स्तर पर उस समय ग्रहण नहीं किया गया।
इसके पूर्व किसी महत्वूपर्ण घटना की गणना इसलिए जुलियन कैलेंडर के आधार पर की गई और इस तिथि के पश्चात ग्रेगेरियन कैलेंडर के आधार पर की गई। संशोधित कैलेंडर में 400 वर्षों में केवल 97 लीप वर्ष हैं इसलिए शताब्दी वर्षों को, जो 400 से विभाजित नहीं होते जैसे 1700, 1800, 1900, 2100, 2200 एवं 2300 ए.डी., लीप वर्ष नहीं हैं। अन्य वर्षों में जो कि 4 या 400 से विभाजित होते हैं, पूर्व की भांति लीप वर्ष हैं। पाठकों की जानकारी हेतु 14.10.1582 और 15.10.1582 के ग्रह स्पष्ट भी यहां प्रस्तुत हैं। 14.10.1582 15.10.1582 सूर्य 6े12°9श् 6े3°11श् चंद्र 5े13°31श् 1े17°19श् मंगल 3े1°41श् 2े28°9श् बुध 6े12°30श् 5े27°24श् गुरु 9े24°36श् 9े24°16श् शुक्र 5े10°3श् 4े29°5श् शनि 10े16°14श् 10े16°32श् राहु 8े14°52श् 8े15°19श् केतु 2े14°52श् 2े15°19श् चूंकि सन 1582 में 5 अक्तूबर से 14 अक्तूबर के बीच संशोधन हुआ था अतः आगे की तालिका निम्नलिखित है।
सन में मकर संक्रांति की तारीख 1700 9 जनवरी 1800 11 जनवरी 1900 13 जनवरी 1904 प्रथम बार 14 जनवरी को 2000 14 जनवरी 2102 यह पहली बार 16 जनवरी को होगी 3000 28 जनवरी 5000 25 जनवरी 10000 5 मई को सूर्य मकर में प्रवेश करेगा। अतः जनमानस को यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़े यह जरूरी नहीं है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय के आधार पर निर्धारित होती है और यह समय अयनांश के अनुसार बदलता रहता है।