एक था टाईगर
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एक था टाईगर  

आभा बंसल
व्यूस : 8253 | जनवरी 2013

एक था टाईगर महाराष्ट्र के बेताज बादशाह श्री बाला साहब केशव ठाकरे की मृत्यु के पश्चात् सरकार राज का सूर्य अस्त हो गया। उनके जीवन की समीक्षा करें तो वे वास्तव में शेर की जिंदगी जिए और जब संसार से कूच किया तो भी लाखों की संख्या में इकट्ठी हुई जनता ने ‘महाराष्ट्र के टाइगर’ को दिल से अश्रूपूर्ण श्रद्धांजलि दी। यह बाल ठाकरे जी का जोशीला अंदाज ही था जिसने उन्हें शिव सैनिकों का भगवान बना दिया था। बाल ठाकरे जी का जन्म 23 जनवरी 1927 को पुणे में हुआ (कुछ जगह इसे 1926 दिखाया गया है लेकिन हमारे हिसाब से 1927 ही उनके व्यक्तित्व पर खरा उतरता है)। उन्होंने आर. के. लक्ष्मण के साथ अंग्रेजी दैनिक फ्री प्रेस जर्नल में 1950 के दशक के अंत में कार्टूनिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू किया और 1960 में उन्होंने कार्टून साप्ताहिक ‘मार्मिक’ की शुरूआत करके नये रास्ते की तरफ कदम बढ़ाया।

इस साप्ताहिक में ऐसी सामग्री हुआ करती थी जो ‘मराठी मानुष’ में अपनी पहचान के लिए संघर्ष करने का जज्बा भर देती थी। उनके मराठी समर्थक मंत्र की लोकप्रियता ने ही उन्हें पूरे महाराष्ट्र का मसीहा बना दिया। 19 जून 1966 को ठाकरे जी ने शिवसेना की स्थापना की और मराठियों की तमाम समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले ली। उन्होंने मराठियों के लिए नौकरी की सुरक्षा मांगी जिन्हें गुजरात और दक्षिण भारत के लोगों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। बाल ठाकरे जी ने महाराष्ट्र में मराठियों की एक ऐसी सेना बनाई, जिनका इस्तेमाल वे विभिन्न कपड़ा मिलों और अन्य औद्योगिक इकाइयों में मराठियों को नौकरियां आदि दिलाने में किया करते थे। उनके इन्हीं प्रयासों ने उन्हें ‘हिंदू हृदय सम्राट’ बना दिया। उन्हें उनके शिव सैनिक भगवान की तरह पूजते थे और उनके विरोधी भी उनके इस कद से पूरी तरह वाकिफ थे।

हालांकि ठाकरे जी ने खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा परंतु शिवसेना को एक पूर्ण राजनीतिक दल बना दिया और उनके शिव सैनिक बाॅलीवुड सहित विभिन्न उद्योगों में मजदूर संगठनों को नियंत्रित करने में लगे थे। शिव सेना ने जल्द ही अपनी जडं़े जमा लीं और 1980 के दशक में मराठी समर्थक मंत्र के सहारे बृहन्मुंबई नगर निगम पर कब्जा कर लिया। 1995 में भाजपा के साथ गठबंधन किया और राजनीति में उतर कर सत्ता का स्वाद भी चखा। लोगों एवं उनके राजनीतिक विरोधियों का मानना था कि वे रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाते थे जबकि उन्होंने मुख्यमंत्री का पद कभी नहीं संभाला। वे अक्सर खुद बड़ी जिम्मेदारी लेने की बजाय किंग मेकर बनना ज्यादा पसंद करते थे। कुछ लोगों के अनुसार महाराष्ट्र का यह शेर अपने आप में एक सांस्कृतिक आदर्श था। ठाकरे जी अपने समर्थकों से ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं करते थे और एक दूरी बना कर अपने बेहद सुरक्षा वाले आवास ‘मातोश्री’ की बालकनी से अवाम को दर्शन दिया करते थे।

प्रसिद्ध दशहरा रैलियों में उनके जोशीले भाषण सुनने लाखों की भीड़ उमड़ती थी। अगर आपको याद हो तो हिंदी में बनी फिल्म ‘सरकार’ ठाकरे जी के जीवन पर ही आधारित थी, अमिताभ बच्चन जी ने उनके जीवन का अत्यंत जीवंत अभिनय किया था। ठाकरे जी हिंदू धर्म, समाज व राष्ट्र के कट्टर समर्थक थे।उनके समर्थकों ने कई बार मुंबई में हिन्दू विरोधी फिल्मों का बहिष्कार किया। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में अपने सम्पादकीय संबोधन में वे काफी तल्ख एवं आलोचनात्मक अंदाज में अपने विचार व्यक्त किया करते थे और सचिन तेंदुलकर, शाहरूख खान कोई भी उनके निशाने से नहीं बचा। बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने वैचारिक मतभेदों के चलते शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का निर्माण कर लिया लेकिन मराठी जनमानस इन्हें बाल ठाकरे के प्रतिमूर्ति और उत्तराधिकारी के रूप में देखती हैे क्योंकि इनकी कार्यशैली और बाल ठाकरे की कार्यशैली में काफी समानता है।


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बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे विगत काफी वर्षों से शिवसेना का कुशलता से नेतृत्व कर ही रहे हैं, अब देखना है कि ये दोनों बाल ठाकरे द्वारा प्रदत्त विरासत के उत्तराधिकारियों के रूप में महाराष्ट्र की राजनीति को क्या दिशा प्रदान करते हैं। आइये अब करें बाला साहब ठाकरे जी की जन्मकुंडली का विश्लेषण: बाला साहब ठाकरे जी की जन्म कुंडली में अनेक महत्वपूर्ण ग्रह योग विद्यमान हैं जिनके प्रभाव से ये अपने जीवनकाल में अंतिम सांस तक एक योद्धा की भांति जिए। रूचक योग - इनकी जन्मकुंडली में मंगल के स्वगृही होकर केंद्र में होने से रूचक योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से इनका व्यक्तित्व प्रभावशाली, अदम्य साहस, उच्च पराक्रम, स्फूर्ति व निर्भयता से परिपूर्ण था तथा अपने धर्म के प्रति कट्टर भावनाएं भी कूट-कूट कर भरी थीं। इनके अंदर उच्च कोटि की संगठनात्मक शक्तियां थीं। अधियोग - चंद्रमा से छठे भाव में शुभ ग्रह के होने से यह योग बनता है।

इनकी कुंडली में चंद्रमा से छठे भाव में बृहस्पति के होने से अधियोग बन रहा है। इस योग के कारण ठाकरे जी उच्च मान, प्रतिष्ठा के साथ शिवसेना के सेनानायक बने। इस योग के प्रभाव से उनके अंदर नेतृत्व क्षमता के विशेष गुण भी विद्यमान थे। शिवसैनिक उनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन एक राजा की आज्ञा की भांति करते थे। वेशि योग: सूर्य से द्वितीय भाव में ग्रह होने से वेशि योग बनता है। इनकी कुंडली में सूर्य से द्वितीय भाव में बृहस्पति ग्रह होने से यह योग बन रहा है। इस योग के शुभ प्रभाव से वे स्पष्टवक्ता एवं सत्यवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे जिसके कारण इन्होंने जीवन में अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और अपनी धार्मिक आस्था और हिंदुत्व के प्रति अपने विचारों से कभी नहीं झुके। उत्तम योग: सूर्य से चंद्रमा नवम भाव में होने से इनकी कुंडली में उत्तम योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से उनके जीवन में यश, मान-प्रतिष्ठा, बुद्धि, कौशल, धन, वैभव की प्राप्ति हुई।

इनके अंतिम समय में मृत्यु के पश्चात भी लाखों करोड़ों लोग इनके अंतिम दर्शनों के लिए शिवाजी पार्क पहुंचे। कलानिधि योग: जन्मकुंडली में द्वितीय अथवा पंचम भाव में यदि गुरु हो तथा बुध, शुक्र से युत या दृष्ट हो तो यह योग बनता है। इनकी जन्मपत्रिका में बृहस्पति द्वितीय भाव में स्थित है तथा बुध और शुक्र कुंडली में एक साथ होने से कलानिधि योग बन रहा है। इस योग के शुभ प्रभाव से वे एक उत्तम कार्टूनिस्ट, कलाविद् तथा लेखक थे और इसी योग के कारण फिल्म की जानी मानी हस्तियों से इनके अच्छे संबंध थे तथा पूरी फिल्म इंडस्ट्री में ठाकरे जी का अच्छा खासा दबदबा था। इन योगों के अतिरिक्त ठाकरे जी की कुंडली में लग्नेश शनि लाभ भाव में, चंद्रमा भाग्य स्थान में तथा लग्न में योगकारक दो शुभ ग्रह शुक्र तथा बुध होने से एवं लग्न पर लग्नेश की दृष्टि होने से इनको दीर्घ आयु प्राप्त हुई।

धर्म स्थान का स्वामी नवमेश बुध, कर्मेश शुक्र एवं क्रूर ग्रह अष्टमेश सूर्य की युति लग्न में होने से इनमें धार्मिक कट्टरता का गुण विशेष रूप से विद्यमान था। इनके लिए इन्होंने जीवन में कठोर निर्णय लेने में भी हिचकिचाहट महसूस नहीं की। लग्न में सूर्य, बुध, शुक्र की युति तथा द्वितीय भाव में गुरु की स्थिति के प्रभाव से ठाकरे साहब प्रभावशाली व आकर्षक व्यक्तित्व के धनी, कुशल वक्ता तथा हास्य व व्यंग्य से युक्त कुशल पत्रकार थे। नवम भाव में चंद्रमा की स्थिति व भाग्येश के लग्नस्थ होने के कारण मराठी लोगों के भरण पोषण व हिंदुत्व की रक्षा का बीड़ा उठाकर मसीहा बन गए और महाराष्ट्र में विशेषरूप से लोकप्रिय हुए।

कुंडली में छठे घर में राहु की स्थिति लग्न में सूर्य, बुध और शुक्र का उत्तम योग, जनता में लोकप्रियता के चतुर्थ भाव में रूचक योग तथा नवम भाव में प्रबल शत्रुहन्ता योग बनाने वाले व उच्च कोटि की प्रतिष्ठा दिलाने वाले चंद्रमा की श्रेष्ठ स्थिति तथा द्वितीय भाव में गुरु के कारण इन्होंने अपनी बेबाकी व अपने मुखपत्र सामना में अपनी निर्भीक टिप्पणियों के प्रभाव से राष्ट्रीय राजनीति में विशेष सम्मानित दर्जा हासिल किया। वर्तमान समय में इनकी बुध की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा चल रही थी। बृहस्पति ग्रह इस लग्न के लिए अकारक है तथा अष्टम से अष्टम स्थान का स्वामी होकर मारक भाव में स्थित है। गोचर में शनि की साढ़ेसाती चल रही है एवं लग्नेश शनि के ऊपर अशुभ ग्रह राहु का गोचर भी चल रहा है। इन सभी ग्रहों, गोचर व दशाओं के चलते इस महान व्यक्तित्व की जीवन यात्रा पूर्ण हुई।


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