वास्तु सीखें
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वास्तु सीखें  

प्रमोद कुमार सिन्हा
व्यूस : 5007 | जुलाई 2011

प्र0- रसोईघर भवन के किस क्षेत्र में और क्यों बनानी चाहिए?

उ0- वास्तु के अनुसार भवन में रसोईघर बनाने का सबसे उपयुक्त स्थान दक्षिण-पूर्व अर्थात् आग्नेय क्षेत्र है। रसोई के लिए प्रयुक्त किरोसिन, गैस, छुरी, कांटे, इत्यादि मंगल की वस्तुएं हैं। ये सभी वस्तुएं रसोईघर में रहती है। साथ ही आग्नेय दिषा का स्वामी शुक्र ग्रह है जो भगवती अन्नपूर्णा का प्रतिनिधि भी है। अतः इस स्थान पर रसोईघर बनाने से भोजन की कभी कमी नही होती तथा भोजन स्वादिष्ट बनता है तथा भवन में निवास करने वाले लोगों की पाचन शक्ति ठीक रहती है। अगर यह संभव न हो तो उत्तर-पष्चिम क्षेत्र में रसोईघर बनाया जा सकता है। परंतु इस भाग में बने रसोईघर में खाना बनाने का प्लेटफार्म या गैस का चूल्हा दक्षिण-पूर्व में रखना आवष्यक होगा। अन्यथा खर्च की अधिकता एवं अग्नि से दुर्घटना का भय बना रहता है।

प्र0- उत्तर-पूर्व एवं नैर्ऋत्य दिशा में रसोईघर रखने का क्या परिणाम होता है ?

उ0- रसांेईघर को उतर-पूर्व दिशा में होने पर मानसिक अशांति, कलह, धन की बर्बादी, खर्च की अधिकता, खाद्य पदार्थो की बर्बादी या कमी एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रसोईघर कोदक्षिण-पश्चिम की ओर होने से घर में कलह होता रहता है, जिसके फलस्वरूप जीवन दुखमय हो जाता है। साथ ही विस्फोट एवं दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। उत्तर की ओर रसोईघर अत्यंत अषुभ होता है क्योंकि यह स्थान कुबेर का है। इसके दूषित होने से आवष्यकता से अधिक खर्च की संभावना रहती है।

प्र0-रसोईघर में खाना बनाने का मुख्य प्लेटफार्म कहां पर रखना चाहिए ?

उ0- रसोईघर में खाना बनाने का मुख्य प्लेटफार्म पूर्व और दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए। स्टोव या गैस बर्नर को पूर्व की दीवार पर रखना चाहिए क्योकि रसोई का अधिपति मंगल है तथा मंगल का वास रसोईघर में होता है। अतः खाना बनाने वाले प्लेटफार्म उपयुक्त स्थान में रखने से अग्नि भय, जख्म एवं दुर्घटना की आशंका नही रहती।

प्र0- रसोईघर में कुकिंग प्लेटफार्म उतर, उतर-पूर्व, नैर्ऋत्य एवं वायव्य में क्या फल देता है?

उ0- कुकिंग प्लेटफार्म, कमरे के ठीक मध्य उतर-पूर्व में न रखें, यह बहुत ही अशुभ होता है। इसके उतर दिशा में होने पर आर्थिक हानि तथा दिवालियेपन का भय रहता है। दक्षिणी नैर्ऋत्य में स्वास्थ्य की समस्याएं बनी रहती है तथा घर के लोग पेट की बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। वायव्य में कुकिंग प्लेटफार्म भी अच्छा फल नही देता है लोगों को कभी भी विश्राम का समय नही मिलता है तथा परिवार में तनाव का माहौल हमेशा बना रहता है। रसोईघर यदि पश्चिम दिशा में हो और पश्चिम मुखी खाना बनाने की व्यवस्था हो तो खाना हमेशा बनता रहता है, क्योंकि अतिथियों का आवागमन निरंतर उस भवन में बना रहता है।

प्र0- खाना बनाने वाले गृहणियों का मुंह किस ओर होना चाहिए ?

उ0- खाना बनाते वक्त गृहणियों का मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। पश्चिम या दक्षिण की तरफ मुंह करके रसोई बनाने वाले गृहिणी का स्वास्थ्य बार-बार बिगड़ता रहता है। शरीर में दुर्बलता महसूस होती है। स्फूर्ति एवं उत्साह की कमी रहती है तथा मन भी अषांत रहता है। साथ ही परिवार में दरिद्रता का आगमन होता है।

प्र0- क्या शयनकक्ष में रसोईघर बनाना चाहिए ?

उ0- शयनकक्ष में रसोईघर कदापि नही बनाना चाहिए और न ही रसोईघर में सोना चाहिए। इसके पीछे दो कारण है। रसोईघर पर मंगल ग्रह का और शयन एवं कामक्रीड़ा पर शुक्र का प्रभाव होना। यह शुक्र एवं मंगल युति का सूचक है जो ऐसे घर में रहनेवाले के लिए अशुभ हो सकती है।

प्र0- रसोईघर का आंतरिक विन्यास कैसा होना चाहिए ?

उ0- रसोईघर के प्लेटफार्म के उतर-पूर्व के कोने में बेसिन या सिंक अलग हटकर बनाएं। रसोईघर में वास-वेसिन को खाना बनाने वाले प्लेटफार्म के ठीक समानांतर नही रखना चाहिए क्योंकि रसोईघर में आग और पानी का एक सीध मे होना बीमारी और धन की हानि का कारक होता है। रसोईधर में बर्तन धोने के लिए वास-वेसिन को वायव्य में लगाना चाहिए। वायव्य में इसकी जगह नही रहने पर इसे रसोईघर के बाहर भी लगाया जा सकता है। दक्षिण की दीवार के तरफ के प्लेटफार्म पर माईक्रोवेब, ओवन, मिक्सर ग्राइंडर आदि रखें।

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