लाल किताब, शनि एवं वास्तु विचार
लाल किताब, शनि एवं वास्तु विचार

लाल किताब, शनि एवं वास्तु विचार  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 6132 | दिसम्बर 2011

लाल किताब, शनि एवं वास्तु विचार डाॅ. निर्मल कोठारी किसी भी भवन पर ग्रहों का भी शुभाशुभ प्रभाव अवश्य पड़ता है। लाल किताब के अनुसार वास्तु संबंधी दोषों के निवारण के बारे में इस लेख में उल्लेख है। लाल किताब में वास्तु अर्थात भवन या मकान का कारण ग्रह शनि है। किसी की जन्मकुंडली में शनि उच्च का हो तो उसे भवन सुख मिलता है। इसके विपरीत शनि, नीच, अस्त या क्षीण शत्रु ग्रहों से युक्त हो तो जातक को मकान सुख से वंचित रखता है।

किसी भी जन्मकुंडली में भारतीय ज्योतिषानुसार चतुर्थ स्थान मकान कारक माना गया ह।ै लेिकन लाल किताब में मकान का कारक द्वितीय स्थान या दूसरे घर को माना गया है। सातवें भाव से भी भवन के सुख-दुख का विचार किया जाता है। जिस तरह किसी भी जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति दर्शाई जाती है, उसी तरह लाल किताब में भी किसी भी मकान में किस स्थान पर किस ग्रह से संबंधित वस्तु रखने या न रखने से क्या प्रभाव होता है। इसके संकेत दिये गये हैं।

लाल किताबनुसार मकान में वस्तुएं निम्न ग्रहों अनुसार रखनी चाहिए। उपरोक्तानुसार ग्रह से संबंधित वस्तुएं, जहां ग्रह की स्थिति दर्शाई गई है उसी स्थान या दिशा में रखने से भवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। ठीक इसके विपरीत रखने पर खराब प्रभाव मकान पर पड़ेगा। मनुष्य पर ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है और लाल किताब में ग्रहों को जजों की संज्ञा दी गयी है। इसमें भी शनि को मुख्य न्यायाधीश माना गया है अतः शनि का भावानुसार शुभाशुभ फल प्रथम बतलाए जा रहे हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा जब स्वयं का मकान बनाया जाता है तो मकान बनाने के प्रारंभिक 3 से 18 वर्षों के दौरान शनि का उस भवन पर शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति का जीवन भी प्रभावित होता है।

लाल किताब के अनुसार जन्मकुंडली में यदि शनि पहले घर में हो और सातवां व दसवां घर खाली हो तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वरना वह लोगों का ऋणी हो जाता है और उसे नुकसान होता है। यदि शनि दूसरे स्थान में हो तो व्यक्ति मकान का निर्माण मध्य में न रोकंे। ऐसा करने से सुखी रहेगा वरना उप परिणाम भुगतने होंगे। यदि शनि तीसरे घर में हो तो व्यक्ति मकान बना लेने के बाद तीन कुŸो पाले। ऐसा करने से व्यक्ति सुखी रहेगा वरना दुख भोगने होंगे। यदि शनि चैथे घर में हो तो व्यक्ति किराए के मकान में रह ले, वही अच्छा है। क्योंकि निजी मकान बनवाने से सास, माँ, मामा, दादी आदि को कष्ट उठाने होंगे। यदि शनि पांचवे घर में हो और व्यक्ति निजी मकान बनवाए तो संतान को पीड़ा रहेगी। इसके विपरीत यदि संतान द्वारा निर्मित मकान में रहे तो ठीक होगा। व्यक्ति स्वयं का मकान यदि बनवाए तो 48 की उम्र पार करके ही बनवाए।

मकान बनवाने से पहले खुदाई के समय या उससे पहले काले भैंसे को खूब खिला-पिलाकर पूजन करके छोड़ दें इसे अशुभ फल नष्ट हो जाएगा। यदि शनि छठे घर में हो तो व्यक्ति 36 से 39 की उम्र होने पर ही मकान बनावाए अन्यथा बेटी की ससुराल में परेशानी उत्पन्न जो जाएगी। यदि शनि सातवें घर में हो तो व्यक्ति मकान बनवाने पर सुखी रहता है तथा वह एक के बाद एक मकान बनाता है या बना हुआ ही खरीदता रहता है। ऐसा तभी होता है जब शनि शुभ हो। वरना अपना भी मकान बेचना पड़ता है। लेकिन मकान के बिकने तक अर्थात सौदा होने के बाद खरीदने वाला आकर रहने लगे, उससे पूर्व तक यदि वह उस मकान की देहली को पूजे तो फिर से मकान बना लेता है। यदि शनि आठवें घर में हो, व्यक्ति मकान बनाने लगे तो उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वह कष्ट में रहता है। लेकिन राहु-केतु यदि शुभ हों तो अच्छे फल भी मिलते हैं। यदि शनि नवें घर में हो तो व्यक्ति नया मकान बनाना तब प्रारंभ करे जब घर में कोई स्त्री गर्भ से हो। ऐसा व्यक्ति मकान निर्माण में अपना पैसा लगाएगा तो पिता की मौत देखेगा। इसका हल है कि अपना पैसा ऋण चुकाने में उपयोग करें। मकान एक या दो ही बनाएं। यदि शनि दसवें घर में हो और व्यक्ति अपना मकान बनाकर रहे तो उसे सुख प्राप्त नहीं होता। अपने मकान में जाते ही वह दरिद्र हो जाता है।

इससे अच्छा यही है कि वह किराए के मकान में रहे। यदि शनि ग्यारहवें घर में हो तो व्यक्ति बुढ़ापे में मकान बनवाता है। यदि शनि बारहवें घर में हो तो व्यक्ति को आयताकार मकान बनवाना शुभ रहेगा। मकान बनवाते समय अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अतः धीरे-धीरे बनवाने में ही फायदा है, लेकिन बनवाता रहे। निर्माण कार्य रोके नहीं। मकान के दरवाजे का फल: पूर्व दिशा यदि मकान का दरवाजा पूर्व दिशा में हो तो शुभ रहता है। ऐसे घर में विश्वास पात्रों का आगमन होता रहता है। पश्चिम दिशा में ठीक सामने दरवाजा रखें। उŸार दिशा यदि मकान का दरवाजा उŸार दिशा में है तो यात्राएं लंबी होती हैं और फलदायी होती है। विचार भी आध्यात्मिक व पवित्र होते हैं। पश्चिम दिशा यदि मकान का दरवाजा पश्चिम दिशा में है तो भी शुभफल देने वाला होता है व्यक्ति धीरे-धीरे आगे बढ़ता है। परंतु कोई खतरा नहीं रहता है। दक्षिण दिशा यदि मकान का दरवाजा दक्षिण दिशा में हो तो यह अशुभ होता है। उस घर का मालिक खुद भी दुखी रहता है और उस घर में रहने वाली औरतें भी दुखी रहती हैं।

यहां तक कि मौत के मुंह में जा-जा कर वापस आती हैं या उन्हें मौत ही निगल लेती है। दक्षिण के दरवाजे वाले मकान में कायदे कानून के विरुद्ध कार्यों का दब दबा रहता है। ऐसे मकान के अशुभ प्रभाव को खत्म कर शुभ में बदलने के लिए दान में बकरी देनी चाहिए और बुध ग्रह की चीजें और साबुत मंूग, मूंग की छिलके वाली दाल, टोपी, बक्सा, मिट्टी के बर्तन भी दान में देने चाहिए। लाल किताबनुसार जो मकान पुष्य नक्षत्र से बनना शुरु होकर पूरा भी इसी नक्षत्र में हो तो अति शुभ होता है। लेकिन शुभ समय में वास्तु पूजन अवश्य करना चाहिए। मकान के दाईं ओर अंधी कोठरी बनवाएं अर्थात प्रकाश की व्यवस्था वहां न करें। दरवाजे का प्रकाश व हवा ही ठीक है। इससे ज्यादा प्रकाश तबाही का कारण होता है।

लाल किताब के अनुसार उŸार-पूर्व दिशा में चांद का स्थान होता है। अतः वहां भारी सामान रखने से अशुभ फल मिलता है। किसी भी मकान में दक्षिण की दीवार की ओर एक कटोरी में दही, कपूर व घी रखें जिससे धन व स्त्री धन महत्वपूर्ण रहेगा। यदि शनि दसवें घर में हो और व्यक्ति अपना मकान बनाकर रहे तो उसे सुख प्राप्त नहीं होता। अपने मकान में जाते ही वह दरिद्र हो जाता है। इससे अच्छा यही है कि वह किराए के मकान में रहे।

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