एक अच्छा भला मकान भूत बंगला कैसे बन जाता है इसका कारण मात्र वास्तुदोष है। ऐसे मकानों में कोई भी परिवार सुख-चैन से नहीं रह पाता। किसी को व्यापार में घाटा होता है, किसी को पुत्र की हानि होती है, तो सरकारी मुकदमे का सामना करना पड़ता है। उŸार-पूर्व कटा हुआ हो, तिरछा हो गोलाकार हो, वहां सीढ़ियां हों, शौचालय बना रखा हो तो, नर्वस सिस्टम बिगड़ जाता है, और व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है।
नैर्ऋत्य में मुख्य द्वार हो, आग्नेय में कुआं हो या आगे का भाग बढ़ा हुआ हो, दक्षिण-पश्चिम भाग कटा या बढ़ा हुआ हो, ब्रह्म स्थान में कुआं हो, भट्टी, सीढ़ियां, गड्ढ़ा या कोई बड़ा पेड़ हो तो यह बृहद वास्तुदोष कहलाता है। विभिन्न वास्तुदोषों के कारण कोई भी ऐसे मकान में सुख नहीं पाता, कोई न कोई दुख या परेशानी हमेशा लगी रहती है। अशुभ भूखंड में बीमारी, क्लेश, दरिद्रता या मानसिक तनाव बढ़ जाता है, व्यापार में हानि होने लगती है, मान-सम्मान दांव पर लग जाता है।
कभी किसी भूखंड पर कोई मजार रही हो, उसके नीचे मानव या पशु की अस्थियां पड़ी हों, उस पर कोई गाय मर गई हो, श्मशान वेश्यालय या जुआखाना रहा हो, तो उस पर घर बनाकर रहना भी अशुभ माना जाता है। ऐसी अशुभ जगहों को या तो छोड़ देना चाहिए, और यदि छोड़ना संभव न हो, तो दोष निवारण के उपाय करा लेने चाहिए। जहां तक हो सके मकान या भूखंड खरीदते समय उसके बारे में पूर्व जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए ताकि बाद में जान-माल का नुकसान न उठाना पड़े।
अधूरे, टूटे-फूटे, बिना छत के, बिना खिड़की दरवाजे वाले मकान में रहना भी अशुभ माना जाता है। ऐसे किसी भी मकान में वास नहीं करना चाहिए जिसमें पुरानी लकड़ी के दरवाजे या खिड़कियां लगी हुई हों, जंग लगे हुए लोहे व पुरानी ईंटों का प्रयोग हुआ हो।
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