कुछ दिन पूर्व पंडित जी, बैंगलुरू के एक व्यापारी के यहाँ वास्तु निरीक्षण करने गए। उनके घर में बातचीत के दौरान उनकी पत्नी ने बताया कि लगभग 7-8 माह पहले इस घर मे आने के बाद आर्थिक समस्याएं बढ़ गई हैं तथा हमारे बीच में काफी लड़ाई व आपसी वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गए हैं। इसी दौरान घर में चोरी भी हो चुकी है।
वास्तु निरीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोषः-
- लिफ्ट दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोण में स्थित है और घर का आग्नेय कोण भी कटा हुआ है जिसके कारण धन की कमी व चोरी की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं।
- घर का प्रवेश द्वार दक्षिण-पूर्व में है। यह पुरूष वर्ग को घर से ज्यादा बाहर रखता है।
- बैठक की दक्षिणी दीवार पर घड़ी होने से हर शुभ काम मंे विलम्ब होता है।
- रसोई के दक्षिण कोण मंे गैस-चूल्हा होने से स्त्रियों का स्वास्थ्य खराब रहता है।
- रसोई में मंदिर दक्षिण में स्थित है।
- मुख्य शयनकक्ष उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में है जिसके कारण स्वास्थ्य समस्याएं एवं पति-पत्नी के बीच में वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते हैं।
- उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में भारी गमले और काँटों वाले फूल नहीं रखने चाहिए इससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
सुझाव :
- लिफ्ट दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) में घर से बाहर है। इसलिए इसका असर कम होता है। फिर भी लिफ्ट के दोनों तरफ एक-एक पौधा रखना लाभदायक रहेगा।
- घर के दक्षिण-पूर्व में एक हरियाली का चित्र लगायंे।
- घर के प्रवेश द्वार के बाहर तीन छोटे या एक बड़ा पिरामिड लगायें, स्वास्तिक लगाने से भी घर में शुभ ऊर्जा का संचार होगा तथा सभी समस्याएं कम होंगी।
- बैठक कक्ष में घड़ी दक्षिण से हटा कर उत्तर की दीवार पर लगाएं। अनावश्यक खर्चे कम होंगे।
- रसोई में दक्षिण से गैस-चूल्हा हटा कर उसे पूर्व की तरफ रखें। पानी और आग एक दिशा में होने पर उनके मध्य एक दीवार खड़ी कर दें। मतभेद कम होंगे।
- रसोई में मंदिर नहीं होना चाहिए, उसे हटा कर बैठक कक्ष में उत्तर-पश्चिम के कोने पर ले आएं या रसोई के उत्तर-पश्चिम (वायव्य) के कोने पर लगायें।
- मुख्य शयनकक्ष उत्तर-पूर्व (ईशान) से बदल कर पश्चिम में कर दें, पीछे वाली दीवार के ऊपर पहाड़ का चित्र लगायें जिससे स्थिरता बनी रहेगी और वैचारिक मतभेद मधुरता मंे परिवर्तित होंगे।
- उत्तर-पूर्वी शयनकक्ष को अतिथि, अध्ययन के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है।
- बच्चे के कमरे में अध्ययन मेज दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य) से हटा कर कमरे के उत्तर-पूर्व (ईशान) में कर दें और किताबों की आलमारी को दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य) में कर दें और बिस्तर को उत्तर से हटा कर पश्चिम में कर दें, इससे बच्चों को अच्छी नींद आएगी अथवा पढ़ने में भी मन लगा रहेगा।
- उत्तर-पूर्व (ईशान) की बालकनी से भारी गमले हटा कर दक्षिण-पश्चिम की बालकानी के कोने में रख दें और उत्तर-पूर्व (ईशान) में एक फव्वारा लगाएं। धन का आवागमन व सुख शान्ति बढे़गी।
प्रश्न 2:-पंडित जी मैं अपनी लड़की / दामाद के लिये दिये गये विभिन्न विकल्पों में से मुंबई में बन रही एक बहुमंजिला इमारत में घर खरीदना चाहता हूँ। कृप्या बताने की कृपा करें कि अकेला कौन सा फ्लैट लेना चाहिए तथा यदि जोड़ा लें तो कौन सा लेना चाहिए।
उत्तर:- फ्लैट न0 1 सर्वोत्तम है। उत्तर, उत्तर-पूर्व में विस्तार होने के कारण यह चहुंमुखी विकास देने में सहायक है।रसोईघर पूर्व दिशा में होना अच्छा है। दोनों शौचालयों का पश्चिम व उत्तर-पश्चिम में होना भी अच्छा है। दक्षिण में मुख्य द्वार व शाफ्ट के कारण पश्चिम का कुछ भाग कम होना भी अन्य अच्छे गुणों के कारण भूला जा सकता है। यदि जोड़ा लेना हो तो 1 और 2 अच्छे हैं क्योंकि इसमें द्वार भी दक्षिण-पूर्व का मिल जायेगा तथा आकार भी ठीक हो जायेगा। दक्षिण-पूर्व का मुख्य द्वार सेहत व उत्साह के लिये श्रेष्ठ है तथा दक्षिण के द्वार से बहुत ज्यादा लाभदायक है।
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