वास्तु के अनुसार - होटल, रेस्तरां एवं रिसोर्ट प्रमोद कुमार सिन्हा वर्तमान समय में होटल व्यवसाय में काफी तेजी से प्रगति हुई है। होटल, रेस्तरां या रिसोर्ट का उपयोग शहरी जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। शादी, पार्टी, घरेलू उत्सवों एवं अन्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए होटल, रिसोर्ट एवं रेस्तरां एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन चुका है। अतः इसका निर्माण वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुकूल करना चाहिए।
प्र0- होटल, रिसोर्ट एवं रेस्तरां के विकास में स्वीमिंग पूल या पानी के फव्वारे की क्या भूमिका है ?
उ0- होटल या रिसोर्ट के उत्तर-पूर्व में तालाब, झील, गड्ढा स्वीमिंग पुल या बहते दरिया का होना व्यवसाय को चार चांद लगाते हैं। विश्वकर्मा प्रकाश के आठवें अध्याय के 15-17 वें श्लोक में पानी के लिए सबसे उपयुक्त स्थान उत्तर-पूर्व या उत्तर की ओर बताया गया है। भूमिगत पानी का स्रोत या बोरिंग भी उत्तर-पूर्व की ओर करनी चाहिए, इससे यथाशीघ्र लोकप्रियता मिलती है।
धन की कभी कमी नहीं रहती तथा लक्ष्मी का निरंतर वास होता है। फव्वारा जिसमें संगीत और प्रकाश साथ-साथ होते हैं उसे भी उत्तर-पूर्व में लगाना चाहिए। इससे धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुचारू रूप से परिसर के अंदर बना रहता है। इससे होटल या रिसोर्ट की तरफ लोगों के आकर्षण में वृद्धि होती है। स्वीमिंग पुल को दक्षिण-पश्चिम या भूखंड के मध्य भाग में नहीं रखना चाहिए। मध्य भाग में तरणताल बर्बादी और दिवालियापन का कारण बनता है।
प्र0- होटल, रिसोर्ट एवं रेस्तरां में रसोईघर का क्या महत्व है ?
उ0- किसी भी रेस्टोरेंट, होटल या रिसोर्ट में रसोईघर का होना अनिवार्य है। रसोईघर को आग्नेय क्षेत्र में बनाना चाहिए। इसके विकल्प में वायव्य मंे रसोईघर बनाया जा सकता है। परंतु इस भाग मंे बने रसोईघर में खाना बनाने का प्लेटफाॅर्म या गैस चूल्हा दक्षिण-पूर्व में रखना आवश्यक होगा अन्यथा खर्च की अधिकता एवं अग्नि से दुर्घटना का भय बना रहता है।
रसोईघर को र्नैत्य, ईशान्य, उत्तर एवं भूखंड के मध्य भाग में नहीं रखना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में होने पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी एवं दिवालियापन का सामना करना पड़ता है। दक्षिण-पश्चिम में होने पर संबंधांे में वैमनस्यता होती है तथा उत्तर की दिशा में रखने पर आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहती। रसोईघर में खाना बनाने का मुख्य प्लेटफाॅर्म पूर्व और दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए और खाना बनाते वक्त रसोईया का चेहरा पूर्व की ओर रहना चाहिए।
प्र0- होटल एवं रिसोर्ट में यात्रियांे के लिए व्यवस्था किस तरह करें?
उ0- होटल में यात्रियों के ठहरने के लिए कमरे पश्चिम, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। अतिथि कक्ष को ब्रह्म स्थान में न रखें। ब्रह्म स्थान बहुत सारी ऊर्जा को खींचता है इसलिए आराम और शांति के लिए यह स्थान उपयुक्त नहीं रह पाता। कमरे के साथ बाथरूम, बाथटब, शौचालय, चेंज रूम आदि रखने हों तो इसे उत्तर-पश्चिम या पश्चिम की तरफ बनाएं।
अतिथि कक्ष के दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम का कोना कभी खाली न रखें। कमरे में पलंग को दक्षिण-पश्चिम की तरफ लगाना चाहिए। पलंग की स्थिति कभी भी इस तरह नहीं रखनी चाहिए जिससे सोने वाले का सिर अथवा पैर सीधे द्वार की तरफ हो। सोते समय पश्चिम की ओर सिर कर सोने से नाम, यश एवं भाग्य, पूर्व की तरफ मानसिक शांति एवं धार्मिक प्रवृत्ति तथा दक्षिण की ओर धन, भाग्य एवं स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। पलंग कभी भी उभरी हुई बीम के नीचे न रखें।
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