घर की सजावट में बदलाव लाकर खुशहाली पाएं
घर की सजावट में बदलाव लाकर खुशहाली पाएं

घर की सजावट में बदलाव लाकर खुशहाली पाएं  

व्यूस : 5515 | जनवरी 2009
नए वर्ष में घर की सजावट में बदलाव लाकर खुशहाली पाएं आचार्या प्रिया अरोड़ा घर के साजो सामान और आंतरिक व्यवस्था व्यक्ति के जीवन व भाग्य को गहरे प्रभावित करती है। नए वर्ष में घर की व्यवस्था में परिवर्तन लाएं और और हर क्षेत्र में सफलता पाएं। वा स्तु शास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र के संबंध काफी गहरे हैं। वास्तु के गुण तथा दोषों का गृहस्वामी एवं उसके परिवार पर अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिस प्रकार किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली के आधार पर उसके बारे में काफी कुछ बताया जा सकता है, उसी प्रकार घर की संरचना एवं आंतरिक व्यवस्था को देखकर उसमें रहने वाले संपूर्ण परिवार के विषय में जाना जा सकता है। प्रत्येक वस्तु एवं कक्षों के कारक ग्रह होते हैं। नल, कुआं, बोरिंग आदि चंद्र से, रसोईघर, इलेक्ट्रिक मीटर, गीजर, कॉलम, खंभा, तिकोना आकार, लाल ईंट, पत्थर का मलबा आदि मंगल से और अंधेरा कमरा, वृक्ष का मोटा तना, टूटी ईंट या दरार वाली दीवार, कूड़ादान, गंदगी आदि राहु से संबंधित होते हैं। पूजा स्थल, पढ़ाई के कमरे, गोशाला, पक्के मकान आदि का कारक गुरु माना जाता है। अनाज भंडार, भोजन कक्ष, ओवरहेड बीम, लोहे की वस्तुएं, खंभा, ईंधन, आदि का कारक ग्रह शनि है। बैठक कक्ष, बगीचा, लंबा गलियारा, दीर्घाकार शयनकक्ष, वृक्ष, झाड़ी आदि बुध से ताल्लुक रखते हैं। टॉयलेट, बाथरूम, नाली, सेप्टिक टैंक आदि का प्रतिनिधित्व केतु करता है। शयन कक्ष, शृंगार के साधन, तिजोरी, दो जुड़वां वस्तुओं, श्रेष्ठ रंग प्रधान वस्तुओं आदि का कारक शुक्र तथा ऊंची जमीन, पत्थर, अग्निस्थान आदि का कारक सूर्य है। घर के भीतर से पूर्व दिशा की दायीं खिड़की का कारक सूर्य और बायीं खिड़की का कारक चंद्र है। घर में मुखय दरवाजे से घुसते समय दायीं तरफ के क्षेत्र का कारक राहु तथा बायीं तरफ का कारक केतु होता है। आजकल ज्यादातर लोग वास्तु के आधार पर ही विभिन्न परिसरों का निर्माण करते हैं तथा वास्तु दोषों को दूर करने के लिए फेंगशुई और पिरामिडों का उपयोग भी करते हैं। परंतु कुछ ऐसे दोष हैं जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता। इन द ा ेष् ा ा ें क े क ा र क विभिन्न ग्रह योगों का विवरण यहां प्रस्तुत है- मंगल-शनि योग रसोईघर में ही अनाज का भंडारण होने से घर मंगल-शनि योग के दोष से प्रभावित होता है। इस योग के कारण वास्तु दोषरहित रहने पर भी घर में कष्ट, अत्यधिक व्यय एवं पति-पत्नी के बीच झगड़े होते रहते हैं। मंगल-गुरु योग यदि रसोई में ही पूजा स्थल हो या पूजा स्थल में कोई हथियार (तलवार, भाला आदि) हो या पूजा स्थल के ठीक ऊपर इलेक्ट्रिक मीटर हो तो परिवार के मंगल-गुरु योग के दोष से पीड़ित होने की संभावना रहती है। इस योग के फलस्वरूप गृहस्वामी या उसके पुत्रों में किसी को रक्त संबंधी बीमारी हो सकती है। वहीं यह योग घर में वास करने वालों को घमंडी बनाता है। शनि-केतु योग यदि अनाज भंडार शौचालय से सटा हुआ हो तो घर के शनि-केतु योग के दोष से प्रभावित होने का भय रहता है। इस दोष के कारण घर के लोग निराशावादी होते हैं, उन्हें मानसिक कष्ट घेरे रहता है तथा वे स्वयं को दुखी महसूस करते हैं। गुरु-केतु योग यदि पूजा स्थल शौचालय से सटा हुआ हो तो परिवार गुरु-केतु योग के दोष से प्रभावित हो सकता है। इस दोष से ग्रस्त परिवार में गृहस्वामी अपने परिवार से विमुख हो जाता है और मात्र अपने ही विषय में सोचता रहता है। वह वैराग्य की ओर भी प्रवृत्त होता है, परंतु न तो वह संन्यास ले पाता है और न ही सांसारिक सुख प्राप्त कर पाता है। राहु-गुरु योग यदि पूजा कक्ष में अधिक अंधेरा हो, खिड़की न हो या दीवारें ऊबड़-खाबड़ हों, दीवारों में दरारें हों या उन पर गाढ़ा रंग पुता हो तो घर के राहु-गुरु योग के दोष से पीड़ित होने की संभावना रहती है। इस दोष के फलस्वरूप घर में रहने वालों को शारीरिक कष्टों तथा संघर्षों का सामना करना पड़ता है। शनि राहु योग यदि अनाज भंडार कक्ष में अत्यधिक अंधेरा हो तथा दीवारों पर से प्लास्टर उखड़ गया हो तो यह घर के शनि-राहु योग के दोष से प्रभावित होने का सूचक है। इस स्थिति में गृहस्वामी के शत्रुओं की वृद्धि होती है तथा गलत निर्णयों के कारण धन की हानि भी हो सकती है। मंगल-राहु योग यदि रसोईघर में अंधेरा या दरारें हों तो परिवार के मंगल-राहु योग के दोष से प्रभावित होने का भय रहता है। इस योग के फलस्वरूप परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है तथा गृहस्वामी के भाई को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। घर की महिलाएं अपने पति का सम्मान नहीं करतीं। बुध-मंगल योग यदि बैठक (ड्रॉइंग रूम) में खाना बनाने की व्यवस्था हो या कोई खंभा हो तो घर के बुध-मंगल योग के दोष से पीड़ित होने की संभावना रहती है। इसके कारण गृहस्वामी अपयश का पात्र बनता है। अच्छे मित्रों से उसके संबंध टूट जाते हैं तथा परिवार के सदस्यों की शिक्षा में बाधा आती है। इस प्रकार, ऐसे अनेक ग्रह योग हैं जिनसे प्रभावित घरों में खुशहाली नहीं आ पाती। ऐसे में घर की सजावट या व्यवस्था में परिवर्तन कर इन दोषों को दूर कर इनके कारण होने वाले नुकसान से परिवार रक्षा की जा सकती है। तो देर किस बात की है, नववर्ष में एक नई शुरूआत करें और खुशहाल जिंदगी जीते हुए सफलता की नई कहानी लिखें।



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