हिप्नोथिरेपी द्वारा सफल और निर्बाध जीवन प्राप्ति संगीता गुप्ता मनुष्य को परमात्मा ने बहुत सारी शक्तियां देकर भेजा है। पर स्वयं मनुष्य से ये शक्तियां अक्सर छिपी रहती हैं क्योंकि वह अपने आप को जानता नहीं है। जो ऋषि-मुनि तपस्या द्वारा उन शक्तियों को जान लेते हैं वे उन्हें प्राप्त कर लेते हैं।
आधुनिक युग में ऐसी ही एक रहस्यमय शक्ति का नाम है, हिप्नोथिरेपी अथवा हिप्नोसिस। यह हमारे मन की शक्ति है। उस पर काम करते समय ब्रेन अनेक प्रकार की ब्रेन वेब्स उत्पन्न करता है, जो पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित करती हैं। इन्हें अल्फा, बीटा, गामा, डैल्टा कहते हैं।
अल्फा और डैल्टा तरंगें काफी प्रभावशाली होती हैं। अल्फा लेवल की ब्रेन वेव हिप्नोटिस्ट से उपलब्ध होती है। अल्फा लेवल में जा कर मनुष्य अपनी इच्छा, आकांक्षा, समस्या इत्यादि का समाधान कर सकता है। हिप्नोथिरेपी का उपयोग पूर्व जन्म, भावी जन्म, स्प्रिट रिलीज व स्प्रिट गाइड्स से बातचीत इत्यादि में किया जा सकता है।
मेरे पास एक विद्यार्थी आया जो लाॅ कर रहा था। वह बार-बार फेल हो जाता था। हमने उस पर फ्यूचर हिप्नोथिरेपी का सैशन लिया। कुछ सैशन में तो उसे कुछ नहीं दिखा, पर थोड़ा मेहनत करने के बाद उसे परीक्षा के प्रश्नपत्र में आने वाले 4-5 प्रश्नों का आभास हो गया और वह अच्छे नंबर से पास हो गया। फिर भी हमने उसे सलाह दी कि वह बाकी सिलेबस को भी अच्छे से पढ़े और चांस न ले। उसने ऐसा ही किया। हिप्नोथिरेपी का उद्देश्य चेतना दो प्रकार की होती है।
चेतन मन और अचेतन मन। चेतन मन में मस्तिष्क की केवल दस प्रतिशत क्षमता हेाती है परंतु अचेतन मन में ब्रह्मांड की सारी जानकारी, शक्ति, याददाश्त विद्यमान होती है। अचेतन मन में पहुंचना ही हिप्नोथिरेपी का उद्देश्य होता है। अचेतन मन हमें हर बाधा, विघ्न, दुश्मन इत्यादि से मुक्ति दिला सकता है। अचेतन मन की प्रोग्रामिंग से हम अपने ग्रहों को भी अपने वश में कर सकते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व मैंने कलकत्ता के एक विख्यात ज्योतिषाचार्य के साथ काम किया उन्होंने अपने उपायों के साथ-साथ हिप्नोथिरेपी की तकनीक को भी अपनाया। वे मुझे अपनी क्लाइंट की समस्या फोन पर बताती और उसके जो ग्रह नक्षत्र अनुकूल होते थे मैं उसके आधार पर क्लाइंट के लिए हिप्नोथिरेपी की सीडी बनाकर भेज देती थी। हमें बहुत अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो गये। प्रयोग कामयाब रहा।
धीरे-धीरे उन्होंने भी ज्योतिष विद्या के साथ-साथ हिप्नोथिरेपी भी अपना लीं। अब उनके क्लाइंट काफी अच्छे परिणाम अपने जीवन में पा रहे हैं। हिप्नोथिरेपी कैसे काम करती है जब आप गहरी तनावशून्य अवस्था में हों, उसे हिप्नोथिरेपी अवस्था कहते हैं। उस समय अचेतन मन ग्रहणशील होता है, वह सब कुछ मान लेता है।
उस समय अचेतन मन यानि अल्फा लेवल ऐसी ब्रेन वेव्स भेजता है जो ब्रह्मांड में आपके कार्य की पूर्ति करवा सकता है। पहले जमाने में एक्सरे तथा मेडिकल टेस्ट नहीं होते थे, फिर भी ध्यानावस्था में वैद्य, मुनि व ज्ञानी व्यक्ति रोगों के बारे में आंख मूंद कर ही जान लिया करते थे। वे अपने अचेतन मन में जाकर उस ज्ञान की प्राप्ति कर लेते थे।
हिप्नोथिरेपी एक पुरानी विद्या है जो आज नयी जैसी लगती है। पर उसका उपयोग अनेक विद्वान लोग बहुत हजारों साल से कर रहें है। यह सीखने में बहुत ही सरल हैं मैनें तो अपनी एक यू.के की शिष्या को फोन और स्काईप पर इसका प्रशिक्षण दिया। पर अच्छा रहता है यदि गुरु के सामीप्य में 3-4 दिन लगाकर इसे सीखा जाए।
हिप्नोथिरेपी का उपयोग बच्चों के ऊपर भी किया जा सकता है। डर, आत्मविश्वास की कमी, नर्वसनैस, चिंता, डिप्रेशन, तनाव, स्मृति-लोप इत्यादि समस्याएं होने की स्थिति में बच्चों को हिप्नोटाइज़ करके उनकी मस्तिष्क की क्षमता को बचपन से ही बढ़ाया जा सकता है। हिप्नोथिरेपी व्यक्ति के इलाज में भी कारगर साबित होती है। कैंसर तथा एड्स जैसे रोगों में हिप्नोथिरेपी द्वारा रोग की तीव्रता को कम किया जा सकता है।